सांसदों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती, लोस में पेश विधेयक, जानिए पूरा मामला

By भाषा | Published: September 14, 2020 07:00 PM2020-09-14T19:00:34+5:302020-09-14T19:01:13+5:30

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को पेश किया जो संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा। जोशी ने कहा कि वह संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अधिनियम 1954 में संशोधन करने का विधेयक पेश कर रहे हैं।

Coronavirus Delhi 30 percent reduction salary of MPs bill introduced in lokshabha | सांसदों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती, लोस में पेश विधेयक, जानिए पूरा मामला

महामारी को फैलने से रोकने के लिये कुछ आपात कदम उठाये जाने जरूरी हैं।

Highlightsविधेयक पेश किया गया जिसका उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा।अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह 7 अप्रैल को लागू हुआ था।अध्यादेश में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी ने त्वरित राहत और सहायता के महत्व को प्रदर्शित किया है।

नई दिल्लीः लोकसभा में सोमवार को सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत कटौती करने वाला एक विधेयक पेश किया गया जिसका उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा।

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को पेश किया जो संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा। जोशी ने कहा कि वह संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अधिनियम 1954 में संशोधन करने का विधेयक पेश कर रहे हैं।

इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह 7 अप्रैल को लागू हुआ था। अध्यादेश में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी ने त्वरित राहत और सहायता के महत्व को प्रदर्शित किया है और इसलिये महामारी को फैलने से रोकने के लिये कुछ आपात कदम उठाये जाने जरूरी हैं।

सरकार की ओर से पेश कृषि संबंधी विधेयक सरकार का किसान विरोधी षड्यंत्र: कांग्रेस

कांग्रेस ने सरकार की ओर से लोकसभा में पेश कृषि से संबंधित विधेयकों को ‘किसान विरोधी षड्यंत्र’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि इससे किसानों को नहीं, बल्कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों को आजादी मिलने वाली है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ किसान ही हैं जो ख़रीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं। मोदी सरकार के तीन 'काले' अध्यादेश किसान-खेतिहर मज़दूर पर घातक प्रहार हैं ताकि न तो उन्हें एमएसपी व हक़ मिलें और मजबूरी में किसान अपनी ज़मीन पूंजीपतियों को बेच दें।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह मोदी जी का एक और किसान-विरोधी षड्यंत्र है।’’ लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने संसद परिसर से बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार जो दो विधेयक लेकर आई है वो किसानों और कृषि क्षेत्र को तबाह करने वाले हैं। आज का दिन काला अक्षर से लिखा जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमने सदन में इसका विरोध किया। मंत्री जी ने कहा कि ये किसानों को आजादी देते हैं। यह सरासर झूठ है। ये किसानों को नहीं, बल्कि बड़े उद्योगपतियों को आजादी देते हैं।’’

गौरतलब है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता विधेयक और कृषि सेवा अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पेश किये। ये विधेयक अध्यादेशों का स्थान लेने के लिए पेश किए गए हैं। देश के कुछ हिस्सों में किसान संगठन इनका विरोध कर रहे हैं।

Web Title: Coronavirus Delhi 30 percent reduction salary of MPs bill introduced in lokshabha

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