बिहार में कोरोनाः इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे लोग, श्मशान घाटों पर शवों के आने की संख्या में इजाफा, रिकॉर्ड नहीं

By एस पी सिन्हा | Published: July 22, 2020 07:20 PM2020-07-22T19:20:19+5:302020-07-22T19:20:19+5:30

बिहार की राजधानी पटना के गुलाबी घाट पर सामान्य दिनों में होनेवाली अंत्येष्टी की तुलना में काफी इजाफा देखा जा रहा है. यहां नगर निगम की पंजी में नाम पता दर्ज करने वाले योगेन्द्र बताते हैं कि पहले की तुलना में शवों के आने की संख्या में काफी इजाफा हो गया है.

Coronavirus Bihar patna People lack of treatment increase number dead bodies cremation ghats | बिहार में कोरोनाः इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे लोग, श्मशान घाटों पर शवों के आने की संख्या में इजाफा, रिकॉर्ड नहीं

नगर निगम के पंजिका में अपना नाम दर्ज करवाते हैं. जबकि अधिकतर लोग बगैर नाम दर्ज कराये वापस लौट जाते हैं. (file photo)

Highlightsइसकी कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं मिल पा रही है, क्योंकि कई लोग पंजी में दर्ज कराये बगैर अंत्येष्टी कर वापस लौट जाते हैं.कोरोना से मरने वाले लोगों की अंत्येष्टी की अनुमति नहीं है, बावजूद इसके बगैर इसके मरने वालों की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी देखी जा रही है. कई लोग विद्युत शव दाह गृह में अंत्येष्टी संपन्न कराते हैं और अधिकतर लोग परंपरागत तरीके से लकड़ी के माध्यम से अंत्येष्टी करते हैं.

पटनाः बिहार में कोरोना के जारी कहर के बीच स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है. हालात ऐसे हो गये हैं कि बहुत से लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ दे रहे हैं. सबसे ज्यादा भयावह स्थिति जिलों की है, जहां की सुध लेने वाल कोई नहीं है.

श्मशान घाटों पर भी अंतिम संस्कार की संख्या में अच्छा-खासा इजाफा देखा जा रहा है. हालांकि इसकी कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं मिल पा रही है, क्योंकि कई लोग पंजी में दर्ज कराये बगैर अंत्येष्टी कर वापस लौट जाते हैं.

बिहार की राजधानी पटना के गुलाबी घाट पर सामान्य दिनों में होनेवाली अंत्येष्टी की तुलना में काफी इजाफा देखा जा रहा है. यहां नगर निगम की पंजी में नाम पता दर्ज करने वाले योगेन्द्र बताते हैं कि पहले की तुलना में शवों के आने की संख्या में काफी इजाफा हो गया है.

कोरोना से मरने वाले लोगों की अंत्येष्टी की अनुमति नहीं

हालांकि यहां कोरोना से मरने वाले लोगों की अंत्येष्टी की अनुमति नहीं है, बावजूद इसके बगैर इसके मरने वालों की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी देखी जा रही है. कई लोग विद्युत शव दाह गृह में अंत्येष्टी संपन्न कराते हैं और अधिकतर लोग परंपरागत तरीके से लकड़ी के माध्यम से अंत्येष्टी करते हैं.

इनमें कुछ लोग ही नगर निगम के पंजिका में अपना नाम दर्ज करवाते हैं. जबकि अधिकतर लोग बगैर नाम दर्ज कराये वापस लौट जाते हैं. उनमें से अधिकतर ग्रामीण इलाकों के लोग होते हैं. जिनका प्रमाण पत्र प्रखंड कार्यालयों से बनता है. इस तरह पटना में करीब सात जगहों पर अंत्येष्टी के लिए घाट बने हुए हैं, जिनमें अधिकतर जगहों पर नाम दर्ज करने की व्यवस्था नही की गई है.

केवल बांसघाट, गुलाबी घाट और पटना सिटी के घाटों पर ही निगम के लोग तैनात किये गये हैं. जबकि बिहार के ग्रामीण इलाकों के घाटों पर कोई देखने वाला नही होता है. ऐसे में जानकारों का कहना है कि किसकी मौत किस वजह से हो रही है, यह पता तो नहीं चल पा रहा है, कारण की जांच के अभाव में अधिकतर लोग बेमौत मर जा रहे हैं और परिजन सामान्य मौत समझकर अंत्येष्टी भी कर दे रहे हैं. इसतरह बिहार में कोरोना से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा मिल पाना कठिन है.

कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार की लापरवाही लगातार सामने आ रही है

कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार की लापरवाही लगातार सामने आ रही है ताजा मामला पटना सिटी चौक इलाके का है, जहां आज सुबह एक व्यक्ति की मौत कोरोना वायरस के कारण हो गई. लेकिन मौत के 10 घंटे से ज्यादा गुजर जाने के बावजूद अब तक जिला प्रशासन ने शव उठाने के लिए इंतजाम नहीं किया गया.

इसके पहले पटना सिटी के ही मालसलामी इलाके में एक मरीज की मौत के 14 घंटे बाद उसका शव उठाया जा सका था. इसतरह से कोरोना को लेकर सरकार के दावों और सिस्टम की लापरवाही दो अलग-अलग रास्ते पर दिख रहे हैं. पटना सिटी के हरमंदिर गली में रहने में वाले 50 साल के एक शख्स पिछले दिनों संक्रमित पाए गए थे.

वह होम क्वॉरेंटाइन मेरा कर अपना इलाज करा रहे थे, लेकिन आज सुबह उनकी मौत हो गई. परिवार वालों ने तत्काल इसकी सूचना जिला प्रशासन और कंट्रोल रूम को दी. लेकिन खबर लिखे जाने तक सब को उठाने के लिए कोई पहल नहीं की गई थी. 10 घंटे से ज्यादा का वक्त गुजर जाने के बावजूद घर के अंदर शव पड़ा हुआ है.

इस घटना के बाद परिवार वालों से लेकर आसपास तक के लोग डरे हुए हैं. सिटी के एसडीओ राजेश रोशन, स्थानीय चौक थाना और एनएमसीएच अस्पताल को इस पूरे मामले की जानकारी दे दी गई है, लेकिन अब तक कोई इंतजाम नहीं किया गया है. स्वास्थ्य विभाग के इस लचर व्यवस्था को लेकर लोगों के बीच में आक्रोश है. इसतरह के कई मामले जिलों से भी सामने आने लगे हैं. राज्य में हर मोड़ पर सरकार की लापरवाही देखा जाने लगा है.

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