Lockdown extension: गुजरात के साणंद में काम शुरू, गृह मंत्रालय ने कहा-50 हजार श्रमिकों में से 60 प्रतिशत काम पर लौटे
By भाषा | Updated: April 28, 2020 18:07 IST2020-04-28T18:07:02+5:302020-04-28T18:07:02+5:30
गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि सूरत में प्रवासी मजदूरों के लिए NGO, प्रशासन और इंडस्ट्रीज़ ने मिलकर खाने के पैकेट्स और राशन किट्स का इंतजाम किया। IMCT ने प्रशासन को श्रमिकों को कोरोना की जानकारी उन्हीं की भाषा में देने का सुझाव दिया है।

टीम के ब्योरे का हवाला देते हुए कहा कि कुल 50,000 श्रमिकों में से करीब 30,000 श्रमिक काम पर लौट चुके हैं। (photo-ani)
नई दिल्लीः गृह मंत्रालय की एक अधिकारी ने बताया कि अहमदाबाद भेजी गयी अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम ने (आईएमसीटी) पाया है कि अहमदाबाद के साणंद औद्योगिक बेस में वाहन उद्योगों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है और 50 प्रतिशत क्षमता के साथ वहां काम हो रहा है।
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दो टीमें गुजरात में अहमदाबाद और सूरत भेजी गयी थीं। श्रीवास्तव ने रिपोर्ट का विवरण देते हुए कहा कि अहमदाबाद गयी टीम ने पाया कि साणंद औद्योगिक बेस में दवा उद्योग में काम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की अध्यक्षता में गयी इन टीमों में लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारी थे। श्रीवास्तव ने रिपोर्ट का विवरण देते हुए कहा कि अहमदाबाद गयी टीम ने पाया कि साणंद औद्योगिक क्षेत्र में दवा उद्योग में काम हो रहा है । उन्होंने कहा कि क्षेत्र में वाहन औद्योगिक इकाइयों ने भी काम शुरू कर दिया है और 50 प्रतिशत क्षमता के साथ काम हो रहा है ।
उन्होंने टीम के विवरण का हवाला देते हुए कहा कि कुल 50,000 श्रमिकों में से करीब 30,000 श्रमिक काम पर लौट चुके हैं। सूरत का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि टीम ने बड़े पैमाने पर रोजगार देने वाले वस्त्र और हीरा उद्योगों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत की । श्रीवास्तव ने कहा कि अधिकतर मजदूरों को पिछले महीने का वेतन मिल गया है । उन्होंने कहा कि केंद्र की एक टीम ने सूरत के प्रशासन को भी भविष्य के लिए योजनाएं तैयार करने को कहा है। अहमदाबाद भेजी गयी अंतर मंत्रालयी टीम के बारे में उन्होंने बताया कि टीम के सदस्यों ने पाया कि प्रशासन के पास मरीजों को कोविड-19 समर्पित अस्पतालों में भेजने के लिए पर्याप्त क्षमता है ।
करीब 20 मरीजों को इन अस्पतालों में भेजा गया है । मरीजों के परिजनों के जवाब के आधार पर टीम ने पाया कि अहमदाबाद में अस्पताल की सुविधाएं संतोषजनक हैं और चिकित्सा दल भी संयुक्त रूप से निगरानी में मदद कर रहा है ।
केंद्रीय टीम ने अहमदाबाद में काठवाडा और नरोदा आश्रय स्थलों का दौरा किया, जहां सुझाव दिया गया कि सामाजिक दूरी के मानदंड के पालन के लिए श्रमिकों को 33 आश्रय स्थलों में ठहरने के लिए भेजा जा सकता है। पाया गया कि आश्रय स्थल में समुचित सुविधाएं हैं । उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में टीम ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार की मदद से सरदार पटेल अस्पताल में बहु विषयक अनुसंधान इकाई की स्थापना की जा सकती है। यहां कोविड-19 परीक्षा की सुविधा भी खोली जा सकती है । भाषा आशीष दिलीप दिलीप
IMCT held discussions with various stakeholders including textile and diamond industries, who are major employers of labourers. Most labourers have received the pay for last month. Central team has told Surat administration to prepare future plans as well: Punya Salila Srivastava https://t.co/HGAyN4Y1C8
— ANI (@ANI) April 28, 2020
पश्चिम बंगाल गैर-जरूरी वस्तुओं की भी होम डिलीवरी की अनुमति, व्यापारी खुश
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कोराना वायर से जुड़ी पाबंदियों के बीच गैर-आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी की अनुमति दिये जाने से छोटे व्यापारी और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में मंगलवार को उत्साह दिखा। उनका कहना है कि इससे वित्तीय परेशनियां दूर होंगी। व्यापारियों को आशंका है कि लाकडाउन बढ़ाया जा सकता है। इससे उनका नुकसान कई गुना बढ़ सकता था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुदरा व्यपारियों को होम डिलीवरी की इजाजत देने का आश्वासन दिया है लेकिन इस बाजारे में अभी राज्य सरकार की ओर से व्यापक दिशानिर्देश नहीं जारी किए गए हैं। पश्चिम बंगाल व्यापार संघों के परिसंघ के अध्यक्ष सुशील पोद्दार ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद हम आशान्वित हैं। हम चाहते हैं कि सरकार हमें अपनी दुकानों या गोदामों को खोले बिना ग्राहकों को उनकी जगह पर सामान पहुंचाने की अनुमति दे। यह दोनों के लिए फायदेमंद स्थिति होगी। सरकार सामाजिक दूरी बनाकर रखने के मानदंड को लागू कर सकती है और लाखों लोगों की आजीविका को बचाया भी जा सकता है’’
उन्होंने कहा कि छोटे व्यापारी अपने ग्राहकों को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और वे एक-दूसरे से मिले बिना फोन पर आसानी से लेन-देन कर सकते हैं, लेकिन माल की डिलीवरी तो करनी ही होगी। उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, सरकार को आवश्यक वस्तुओं की अपनी परिभाषा को व्यापक बनाने की आवश्यकता है। यहां तक कि आवश्यक सामग्रियों की ढुलाई करने वाले मालवाहक गाड़ी का कोई पूर्जा या हिस्सा अगर क्षतिग्रस्त हो जाता है तो वह कल पुर्जा एक आवश्यक वस्तु बन जाता है।’’
पोद्दार ने कहा कि वह मामले पर स्पष्ट आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इस व्यापार परिसंघ के 10 लाख सदस्य हैं। केन्द्र सरकार द्वारा दुकानों को खोलने के बारे में कुछ निश्चित ढील दिये जाने की घोषणा के बाद व्यापार परिसंघ ने राज्य सरकार को लिखे पत्र कर अपने सुझाव दिए हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (पश्चिम बंगाल) के महासचिव रबी शंकर रॉय ने कहा कि वे अंतिम दिशानिर्देश प्रकाशित होने तक प्रतीक्षा करेंगे और फिर टिप्पणी करेंगे।
उन्होंने कहा कि कई व्यापारियों को डर है कि अगर इस निर्णय का लाभ ई-कॉमर्स कंपनियों को जाता है तो यह छोटे व्यवसायों के लिए अधिक घातक होगा। बड़े खुदरा विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले, रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) ने कहा कि सभी प्रकार के स्टोरों को संचालन करने की अनुमति दी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य सरकार द्वारा व्यवसायों को बढ़ावा देने और लोगों के जीवन को आसान बनाने के के लिए गैर-आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी की अनुमति देने के निर्णय की घोषणा की।