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देश के कई राज्य में फंसे प्रवासी मजदूर और छात्र, सीएम बोले- बस नहीं विशेष ट्रेन चलाएं सरकार, गृह मंत्रालय ने कहा-ट्रकों को न रोके

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 30, 2020 19:19 IST

देशभर में अलग-अलग जगह फंसे मजदूरों, छात्रों और यात्रियों की आवाजाही को गृह मंत्रालय द्वारा हरी झंडी दिखाने के बाद अब कई राज्य प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य वापस लाने और दूसरे राज्य भेजने की तैयारियों में जुट गए हैं।

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ठळक मुद्देकेन्द्र सरकार ने राज्यों से लॉकडाउन के दौरान माल से लदे ट्रकों के साथ ही खाली ट्रकों के एक राज्य से दूसरे राज्य में आवागमन को बाधारहित बनाने को कहा।नीतीश ने इस छूट के लिए केन्द्र सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि ये निर्णय उपयुक्त एवं स्वागतयोग्य हैं।

नई दिल्लीः देश के कई राज्य में प्रवासी मजदूर, छात्र और यात्री फंसे हुए हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने निकालने पर सहमत हो गई है। राजस्थान सरकार आज सुबह से करीब 40,000 प्रवासी मजदूरों को राज्य से बाहर भेज चुकी है।

गृह मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा कि ट्रकों / माल वाहक, खाली ट्रकों के राज्यों में सुनिश्चित आवागमन के लिए स्थानीय अधिकारी देश भर में अंतरराज्यीय सीमाओं पर अलग-अलग पास पर जोर नहीं देंगे। यह देश में वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई चेन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। 

गृह मंत्रालय ने कहा कि माल पहुंचाने अथवा माल लेने के लिये जाने वाले ड्राइविंग लाइसेंस सहित दो चाली, एक सीयि के साथ चलने वाले सभी ट्रकों को आने जाने की अनुमति होनी चाहिये। ट्रकों के अंतरराज्यीय आवागमन को लेकर स्थानीय प्रशासन द्वारा अलग पास मांगे जाने की रिपोर्टों पर गृह मंत्रालय ने कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस ही इस मामले में काफी है।

हालांकि कई राज्य ऐसे भी हैं खासकर दक्षिण भारत के राज्य, जो कि केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि वे प्रवासी मजदूरों को अपने घर भेजने के लिए विशेष रूप से ट्रेन चलाएं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है कि वे प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष ट्रेन चलाएं। योगी सरकार अब तक 12,000 प्रवासी प्रवासी मजदूरों को हरियाणा से वापस घर ला चुकी है। यूपी सरकार ने 10 लाख लोगों के लिए क्वॉरेंटाइन सुविधा की तैयारी कर रखी है।

मंत्रालय की तरफ से जारी नवीनतम दिशानिर्देश का “सख्ती से पालन” करना होगा

सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को लॉकडाउन (बंद) के कारण फंसे हुए प्रवासी कामगारों, छात्रों और तीर्थयात्रियों की देश के अंदर आवाजाही के लिये गृह मंत्रालय की तरफ से जारी नवीनतम दिशानिर्देश का “सख्ती से पालन” करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। केंद्र सरकार ने बुधवार को नए दिशानिर्देश जारी कर राज्यों को फंसे हुए छात्रों, प्रवासी कामगारों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को उनके गृह प्रदेश या गंतव्यों तक दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए ले जाने की इजाजत दे दी थी।

ये दिशानिर्देश फंसे हुए लोगों की आवाजाही के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के उद्देश्य से तैयार किये गए हैं। प्रेस ब्रीफिंग के दौरान यह पूछे जाने पर कि कुछ राज्यों और अन्य लोगों द्वारा की गई मांग के अनुरूप क्या विशेष ट्रेनों और निजी वाहनों की इजाजत भी इन लोगों के परिवहन के लिये दी जाएगी, केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्या सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि अभी जारी किये गए आदेश “बसों के इस्तेमाल और लोगों के समूह” के लिये हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या तीन मई के बाद ई-वाणिज्य गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाएगा, श्रीवास्तव ने कहा, “हमें नए आदेशों के आने का इंतजार करना चाहिए।” तीन मई को व्यापक बंद की अवधि खत्म हो रही है।

आवाजाही की व्यवस्था करते समय राज्य सरकारों को कुछ निश्चित बातों का ध्यान रखना होगा

श्रीवास्तव ने गृह मंत्रालय की तरफ से आयोजित नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “आवाजाही की व्यवस्था करते समय राज्य सरकारों को कुछ निश्चित बातों का ध्यान रखना होगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को नोडल अधिकारी तैनात करना होगा जो ऐसे फंसे हुए लोगों के लिये मानक व्यवस्था तैयार करेगा।” उन्होंने कहा, “उन्हें ऐसे लोगों को पंजीकृत करना होगा और संबंधित राज्यों को सड़क मार्ग से इनका आवागमन सुनिश्चित करने के लिये आपस में चर्चा करनी होगी।”

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की जांच की जाएगी और जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं होंगे उन्हें जाने की इजाजत दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यात्रा के लिये बसों का इंतजाम किया जाएगा और इन गाड़ियों को सैनिटाइज किया जाएगा तथा बसों में यात्रियों के बैठने की व्यवस्था करते समय सामाजिक दूरी पर सख्ती से अमल किया जाएगा।

अधिकारी ने गृह मंत्रालय के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि पारगमन मार्ग में आने वाले सभी राज्य ऐसे आवागमन की इजाजत देंगे और गंतव्य पर पहुंचने के बाद स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी यात्रियों की जांच करेंगे और अगर उन्हें संस्थागत पृथक-वास केंद्रों में रखने की जरूरत नहीं होगी तो उन्हें 14 दिनों तक घर पर पृथक-वास की इजाजत दी जाएगी। यात्रियों की नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच की जाएगी और उनकी निगरानी की जाएगी। उन्होंने कहा कि यात्रियों को ‘आरोग्य सेतु’ ऐप के इस्तेमाल के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।

सभी राज्यों को सख्ती से इन दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा

श्रीवास्तव ने कहा, “सभी राज्यों को सख्ती से इन दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।” अधिकारियों ने हैदराबाद (तेलंगाना की राजधानी) और चेन्नई (तमिलनाडु की राजधानी) गए केंद्र के अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) से मिली जानकारी से भी मीडिया को अवगत कराया। इन दलों की अध्यक्षता केंद्र सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी कर रहे थे और इनमें स्वास्थ्य देखभाल, आपदा प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इस दल को देश में कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में इस बीमारी की रोकथाम के लिये उठाए गए कदमों की समीक्षा करने को कहा गया है।

श्रीवास्तव ने कहा कि हैदराबाद में आईएमसीटी ने अस्पतालों, केंद्रीय औषधि भंडारों, आश्रय गृहों और मंडियों का दौरा किया। यह पाया गया कि राज्यों के पास पर्याप्त संख्या में जांच किट और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) हैं और मरीजों की जांच से लेकर उनकी अस्पताल से छुट्टी तक उन पर नजर रखने के लिये सूचना-प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। दल ने प्रदेश में कोविड-19 के लिये नोडल-सेंटर बने अस्पताल का दौरा किया और पाया कि यहां सभी मानकों का पालन किया जा रहा है। उसमें एक प्रयोगशाला है जहां रोजाना 300 जांच की जा सकती हैं और प्रदेश के 97 फीसदी मामलों का यहां इलाज हो रहा है। दल ने किंग कोटी में जिला अस्पताल का दौरा किया और पाया कि वहां सभी मानकों का पालन किया जा रहा था।

उन्होंने कहा कि यह सुझाव दिया गया है कि अस्पताल में पीपीई किट पहनने और उतारने का काम अलग होना चाहिए। कर्मचारियों और मरीजों के लिये अलग गलियारा होना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि आईएमसीटी ने हुमायूं नगर निषिद्ध क्षेत्र का भी दौरा किया जिसे बैरीकेड कर दिया गया है और यहां घर-घर नजर रखी जा रही है।

सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए

अधिकारियों ने कहा कि आईएमसीटी ने चेन्नई में दौरा करने के बाद सुझाव दिया कि सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए और मछुआरों के गांवों में कोरोना वायरस के खिलाफ जागरुकता “बेहद जरूरी” है। उन्होंने आईएमसीटी का हवाला देते हुए कहा कि दल ने पाया कि लोगों के ठीक होने की दर काफी अच्छी है क्योंकि 2058 लोगों में से 1,168 लोगों को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई जिसका मतलब 57 प्रतिशत लोग ठीक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह सुझाव दिया गया कि भीड़-भाड़ वाली जगहों, झुग्गियों, बैंकों आदि में सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन करवाने के लिये कदम उठाए जाएं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे हुये प्रवासी मजदूरों, छात्र-छात्राओं, श्रद्धालुओं, पर्यटकों एवं अन्य लोगों के आवागमन को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में छूट दिए जाने का स्वागत किया।

नीतीश ने इस छूट के लिए केन्द्र सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि ये निर्णय उपयुक्त एवं स्वागतयोग्य हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारा आग्रह था और उस पर केन्द्र सरकार ने सकारात्मक निर्णय लिया है। इससे बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में फंसे हुये बिहार आने के इच्छुक प्रवासी मजदूरों, छात्र-छात्राओें, श्रद्धालुओं, पर्यटकों तथा अन्य लोगों को यहां आने में सुविधा होगी और उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन जनहित में है और सबको इसका पालन करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने इस मामले में केन्द्र सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम के अन्तर्गत जारी दिशा-निर्देशों का हमेशा अनुपालन किया है। कोरोना वायरस पर चर्चा के लिए गत 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में नीतीश ने कहा था कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थानों में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं।

उन्होंने कहा था, ‘‘केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरुप हम बंद का पालन कर रहे हैं। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आपदा प्रबंधन कानून के अनुसार अन्तरराज्यीय आवागमन पर प्रतिबंध है, जब तक नियमों में संशोधन नहीं होगा, तब तक किसी को भी वापस बुलाना नियम संगत नहीं है। केन्द्र सरकार इसके लिये आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करे।’’ उन्होंने कहा था कि कोटा ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों में भी बड़ी संख्या में बिहार के छात्र पढ़ते हैं। भाषा अनवर सिम्मी सिम्मी

घर लौटने को बेताब प्रवासी कामगारों को है मुख्यमंत्रियों से आशा

 लॉकडाउन के कारण फंसे और किसी तरह अपना गुजारा कर रहे 23 वर्षीय आमिर सोहेल को अब बस घर जाना है, अपने बेटे को गले लगाना है और घर के आंगन में चारपाई डालकर सुख की नींद सोना है, अब उसका मन नहीं लग रहा है। बिहार में मुजफ्फरपुर के रहने वाले सोहेल को केन्द्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद अब उस बस का इंतजार है, जो उन्हें अपने घर, अपनों तक ले जाएगी।

गुजरात के सूरत में पेशे से दर्जी का काम करने वाला सोहेल पिछले 40 दिन से खाने और खुद को जिंदा रखने की कोशिश करते-करते थक चुका है, अब बस उसे अपनी सरकार की उस बस का इंतजार है जो उसे सूरत से मुजफ्फरपुर ले जाएगी। उसने फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मैं अब बस घर जाना चाहता हूं। हम यहां संघर्ष कर रहे हैं। बड़ी मुश्किल से खाना मिल रहा है। मैं सोचता रहता हूं कि, दूसरों की तरह मुझे भी घर लौटने की कोशिश करनी चाहिए थी। लेकिन अगर मैं मर जाता तो, मेरे परिवार का क्या होता।

अब बस मुझे मेरे बेटे के पास जाना है। उसे सीने से लगाना है।’’ केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को जारी ताजा दिशा-निर्देशों में लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी कामगारों, छात्रों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को सशर्त अपने-अपने घर जाने की अनुमति दी है। आदेश के अनुसार, ये लोग सिर्फ बसों में ही यात्रा कर सकेंगे और इसके लिए गृह राज्य तथा जिस राज्य में व्यक्ति फंसा हुआ है, दोनों के बीच आपसी सहमति होना आवश्यक है। घर लौटने के इच्छुक सभी लोगों की बस में बैठने से पहले और गंतव्य पर पहुंचने के बाद जांच की जाएगी तथा अन्य सुरक्षा निर्देशों का भी कड़ाई से पालन किया जाएगा। वहीं, महाराष्ट्र के नागपुर में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले सुमन ने फैसला किया था कि वह पैदल ही अपने घर मध्यप्रदेश के मेघनगर लौट जाएगी, लेकिन उसके साथ के लोगों ने उसे रोक लिया। सभी को सूचना मिली थी कि पुलिस पैदल घर जा रहे लोगों को हिरासत में ले रही है।

सुमन ने बताया, ‘‘मैं पैदल घर जाने को तैयार था। मैं भोजन और अन्य सामान्य चीजों के लिए इंतजार करते करते थक गया हूं। जब हम कमाते थे, फिर चाहे वह थोड़ा ही क्यों नहीं था, हम अपनी शर्तों पर जीते थे। अब हमें हर चीज के लिए भीख मांगना पड़ता है। अब जब बसें आएंगी, तो मैं सबसे पहले उससे जाना चाहता हूं। वैसे तो मैं सात महीने से यहां हूं, लेकिन पहले कभी घर की इतनी याद नहीं आयी।’’ 22 वर्षीय कामगार ने बताया, ‘‘लॉकडाउन की इस अनिश्चितता के कारण मुझे अपने घर की बहुत याद आती है।

घर जाकर मैं सबसे पहले मां के हाथ का बना हुआ खाना खाना चाहता हूं।’’ इन प्रवासी मजदूरों को घर कैसे लाया जाए या भेजा जाए, इसकी रूपरेखा अगले कुछ दिन में तय होगी, लेकिन घर वापसी को बेकल ये मजदूर चाहते हैं कि उनका नाम उस सूची में जरूर शामिल हो, जिन्हें सरकार घर लेकर जाएगी। लॉकडाउन के कारण 21 अन्य लोगों के साथ मंगलोर में फंसे बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के ही 34 वर्षीय रामनाथ ने बताया, ‘‘हमें बताया गया है कि इसके लिए पास की जरुरत होगी। मुझे पास कहां से मिलेगा? क्या आप मुझे बता सकती हैं? मैं घर जाने का यह अवसर गंवाना नहीं चाहता।’’

दो बच्चों के पिता रामनाथ का कहना है कि अगर उन्हें गांव जाकर वहां कोई काम मिल जाता है तो वह फिर कभी वापस नहीं आना चाहेंगे। नागपुर में फंसे उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के रहने वाले 23 वर्षीय अविनाश कुमार का कहना है, ‘‘हमने टीवी पर देखा कि हमारे मुख्यमंत्री हमें वापस ले जाने में मदद करेंगे। आशा करता हूं कि वे जल्दी ही कुछ करेंगे। मैं बस जाना चाहता हूं, फिर वो मुझे कैसे भी ले जाएं, बस, ट्रेन या कार, कैसे भी। मैं बस जाना चाहता हूं। यहां ना तो खाना है और नाहीं पैसे बचे हैं।’’ 

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