लाइव न्यूज़ :

लॉकडाउन के दौरान धार्मिक स्थलों को खोलना उचित नहीं: विशेषज्ञ, जानिए क्या है कारण

By भाषा | Updated: June 1, 2020 20:12 IST

धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति को लेकर जाने-माने महामारी विशेषज्ञ का कहना है कि बुजुर्गों की मौजूदगी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के और अधिक बढ़ने का खतरा है।

Open in App
ठळक मुद्देमहामारी विज्ञान के प्रोफेसर एवं प्रमुख गिरिधर आर बाबू ने कहा कि अभी इस चरण में धार्मिक स्थलों को खोलना उचित नहीं है।अचानक लॉकडाउन और काम करने के सामान्य तरीकों में कमी का परिणाम मानसिक स्वास्थ्य के प्रभावित होने के रूप में निकलता है।

बेंगलुरु: आगामी आठ जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति एक जाने-माने महामारी विशेषज्ञ को रास नहीं आई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के स्थलों पर अधिक लोगों, खासकर बुजुर्गों की मौजूदगी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के और अधिक बढ़ने का खतरा है। स्वस्थ भारत की दिशा में काम करने वाले संगठन ‘पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ में जीवन अध्ययन महामारी विज्ञान के प्रोफेसर एवं प्रमुख गिरिधर आर बाबू ने कहा कि अभी इस चरण में धार्मिक स्थलों को खोलना उचित नहीं है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सबसे पहली बात तो यह है कि धार्मिक संस्थान जीवित रहने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक नहीं हैं, यद्यपि बहुत से लोगों के लिए, अचानक लॉकडाउन और काम करने के सामान्य तरीकों में कमी का परिणाम मानसिक स्वास्थ्य के प्रभावित होने के रूप में निकलता है।’’ प्रोफेसर बाबू ने कहा, ‘‘अधिकतर धर्मों में घरों से पूजा-इबादत करने का प्रावधान है। धार्मिक संस्थानों को खोलना जोखिम भरा है क्योंकि इनमें से ज्यादातर बंद स्थान होते हैं, अधिकतर स्थलों पर लोगों की सबसे ज्यादा मौजूदगी होती है और इन स्थानों पर संवेदनशील श्रेणी में आने वाले वरिष्ठ नागरिक जैसे लोग जाते हैं।

’’ उन्होंने कहा कि युवा तथा स्वस्थ लोगों के साथ एक स्थान पर बुजुर्गों की अधिक संख्या में मौजूदगी जैसी चीजें खतरे को और बढ़ा सकती हैं क्योंकि स्वस्थ लोग हल्के लक्षणों और दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर सकते हैं। छह साल तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ काम कर चुके बाबू कर्नाटक में पोलियो के प्रसार को रोकने और खसरा निगरानी शुरू करने जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए दूसरे राज्यों से लोगों के आगमन को जिम्मेदार ठहराया।

बाबू ने उदाहरण देकर कहा कि कर्नाटक में पिछले शुक्रवार तक कोरोना वायरस के 248 मामले थे जिनमें से 227 मामले ऐसे लोगों से संबंधित थे जो दूसरे राज्यों, खासकर महाराष्ट्र से आए थे। उन्होंने कहा कि किसी स्थान पर लोगों की भीड़ को रोकने के लिए दिशा-निर्देश स्पष्ट, कड़े और पूरे देश में बाध्यकारी होने चाहिए।

टॅग्स :कर्नाटककोरोना वायरसकोरोना वायरस हॉटस्‍पॉट्सकोरोना वायरस इंडियाकोरोना वायरस लॉकडाउन
Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टKarnataka: बेलगावी में स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म, 2 आरोपी गिरफ्तार

भारतKarnataka Politics: एक बार फिर ब्रेकफास्ट टेबल पर सिद्धारमैया-शिवकुमार, डिप्टी सीएम के घर पहुंचे CM सिद्धारमैया

क्रिकेटटीम इंडिया से बाहर, 10 चौका, 8 छक्का, 50 गेंद और नाबाद 113 रन?, त्रिपुरा बॉलर पर टूटे इशान किशन

क्रिकेटकर्नाटक राज्य क्रिकेट संघः क्या फिर से बाजी मार पाएंगे पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद?, केएससीए चुनाव में केएन शांत कुमार दे रहे टक्कर

भारतनाश्ते में इडली और वड़ा के साथ ही सत्ता की खींचतान कम?, आखिर कैसे 60 दिन बाद सीएम सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार फिर से एकजुट?, जानें कहानी

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत