दो साल से 'अंडा सेल' में बंद कैदी ने कोर्ट से लगाई गुहार, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल अधिकारियों से मांगा जवाब
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 29, 2022 08:04 PM2022-01-29T20:04:53+5:302022-01-29T20:18:19+5:30
कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि औरंगाबाद जेल अधीक्षक को आदेश दिया जाए कि वो मेहदी नासिर शेख को अंडा सेल से हटाकर अन्य कैदियों के साथ नियमित सेल में रखें
औरंगाबाद: बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने बीते दो सालों से कथिततौर पर औरंगाबाद जेल की अंडा सेल में बंद दोषी कैदी इमरान उर्फ मेंहदी नासिर शेख की मानसिक स्थिति की जांच के लिए जेल अधिकारियों को आदेश दिया है।
कोर्ट ने यह आदेश मेहदी नासिर शेख की पत्नी रुबीना शेख की अपील पर दी है, जिसमें इस बात का दावा किया गया है जेल अधिकारियों ने उनके पति को बीते दो साल और चार महीने से अन्य कैदियों से अलग बिल्कुल एकांत में अंडा सेल में बंद करके रखा है।
रुबीना शेख की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील रूपेश जायसवाल ने दायर याचिका में कहा है कि जेल अधिकारी कानून का उलंघन कर रहे हैं जबकि महाराष्ट्र जेल अधिनियम, 1894 के अनुसार स्पष्ट दिशा-निर्देश है कि किसी भी कैदी को अंडा सेल (एकांत कारावास) में वैधानिक तौर पर केवल 14 दिनों तक ही रखा जा सकता है।
दोषी मेंहदी नासिर शेख की पत्नी ने कोर्ट में दायर की है याचिका
इस मामले में रुबीना की याचिका में कहा गया है कि उसने स्वयं और उसके पति ने कई पत्र लिखकर औरंगाबाद जेल अधीक्षक को प्रार्थना की कि मेंहदी नासिर शेख को अंडा सेल से हटाकर अन्य कैदियों के साथ नियमित सेल में रखा जाए और उसे भी जेल मैनुएल के हिसाब से वो सारी सुविधाएं दी जाएं, जिसका एक कैदी होने के नाते वह अधिकार रखता है।
इसके बाद भी जब रुबीना की प्रार्थनापत्र पर कोई एक्शन नहीं हुआ तब उसने 5 जनवरी 2022 को औरंगाबाद बेंच की लीगल हेल्प कमेटी को इस बाबत लिखित जानकारी दी। जिसके बाद लीगल हेल्प कमेटी ने वकील रूपेश जायसवाल को मामले में उनका प्रतिनिधि नियुक्त किया। जिसके बाद कोर्ट में यह याचिका दायर हो सकी।
शेख का दावा, इतनी दयनीय हालत में जानवरों को भी नहीं रखा जाता
रुबीना शेख ने दायर याचिका में कोर्ट को बताया है कि बीते 2 साल से अंडा सेल में बंद रहने के कारण उनके पति की मानसिक स्थिति पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। इस मामले में शेख के जेल में बंद पति का कहना है, "मैं अब मतिभ्रम का शिकार हो जाता हूं। 2 साल के तन्हाई में बंद रहने के कारण मैं इंसानी बातचीत और तहजीब भूलता जा रहा हूं। मेरी स्थिति इतनी दयनीय है कि शायद जानवरों को भी ऐसी हालत में नहीं रखा जाता है।"
इसके आगे वो कहते हैं, "न तो मैं आतंकी हूं और न ही मैं अंडरवर्ल्ड का कोई सदस्य नहीं हूं। इसके अलावा मैंने कभी भी जेल नियमों का भी उल्लंघन किया है।" याचिका में रुबीना ने यह भी कहा है कि उसने खुद देखा है कि उसके पति सामान्य बातचीत को भी समझने की स्थिति में नहीं है, वो अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं।
औरंगाबाद बेंच ने तत्काल जेल अधिकारियों को मामले में आदेश जारी किया है
इस याचिका के संबंध में हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने तत्काल संबंधित जेल अधिकारियों को सुधारात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है और साथ ही औरंगाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को आदेश दिया है कि वो औरंगाबाद केंद्रीय कारागार का दौरा करके अंडा सेल का निरीक्षण करें और संबंधित पक्षों का बयान लेकर 31 जनवरी 2022 तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करें।
यही नहीं कोर्ट ने सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डीन को तुरंत जेल का दौरा करने के लिए एक टीम जिसमें एक मनोचिकित्सक, एक चिकित्सक और अन्य विशेषज्ञ हों, उन्हें बनाने का निर्देश दिया है।