झारखंड में भोजपुरी और मगही पर विवाद: सरकार के निर्णय से बड़ी आबादी रह जाएगी नौकरी से वंचित! विवाद बढ़ने की आशंका

By एस पी सिन्हा | Published: February 19, 2022 09:22 PM2022-02-19T21:22:03+5:302022-02-19T21:22:55+5:30

झारखंड की स्थापना से पहले बोकारो और धनबाद बिहार का हिस्सा थे. दोनों शहरों में भी मगही और भोजपुरी बोलने वालों की अच्छी-खासी तादाद है.

Controversy over Bhojpuri and Magahi in Jharkhand: large population may deprived of jobs | झारखंड में भोजपुरी और मगही पर विवाद: सरकार के निर्णय से बड़ी आबादी रह जाएगी नौकरी से वंचित! विवाद बढ़ने की आशंका

झारखंड में तूल पकड़ रहा भाषा का विवाद (फाइल फोटो)

रांची: झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा स्‍थानीय भाषा की परीक्षा पास करना अभ्‍यर्थी के लिए अनिवार्य किये जाने के बाद राज्य में रहने वाली एक बड़ी आबादी नौकरी से वंचित रह जायेगी. इसका कारण यह है कि राज्य में रहने वाली बड़ी आबादी झारखंड की स्‍थानीय भाषा नहीं बोलती है. ऐसे में अब यह मामला तूल पकड़ सकता है. 
 
उल्लेखनीय है कि झारखंड में जिलावार स्‍थानीय भाषाओं की सूची जारी की गई है. जिला स्‍तर पर जो भी सरकारी बहालियां होंगी, इसमें स्‍थानीय भाषा की परीक्षा पास नहीं करने पर अभ्‍यर्थी फेल माना जाएगा. सबसे मुश्किल यह है कि स्‍थानीय भाषाओं की सूची में बोकारो और धनबाद जिलों में भोजपुरी और मगही नहीं है. 

ऐसे में झारखंड के आदिवासी और मूलवासियों को इसका लाभ जरूर मिलेगा. आदिवासी और मूलवासी चूंकि झामुमो के परंपरागत वोट रहे हैं, इसलिए झामुमो इनके पक्ष में खड़ा है. झामुमो का कहना है कि भोजपुरी और मगही को जगह मिलने से आदिवासियों और मूलवासियों की हकमारी हेागी. ऐसे में यह माना जा रहा है कि भाषा का यह विवाद आने वाले दिनों में और भड़क सकता है. 

जानकार बताते हैं कि झारखंड के शहरी इलाकों में भोजपुरी और मगही भाषी लोगों की अच्‍छी आबादी है. ये लोग चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. ऐसे में राजद जैसी पार्टी मुद्दे पर शांत नहीं रहेगी. राजद झारखंड में मौजूद हेमंत सोरेन सरकार की सहयोगी दल है और बिहार में यह पार्टी अहम पकड़ रखती है. ऐसे में बिहार में यह अपने वोटरों को नाराज नहीं करना चाहेगी. 

झारखंड की स्थापना से पहले बोकारो और धनबाद बिहार का हिस्सा थे. दोनों शहरों में भी मगही और भोजपुरी उसी तरह से बोली जाती है, जैसा कि बिहार के सभी जिलों में बोली जाती है. अब झारखंड के बनने के बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि यह भाषा इन दोनों शहरों से खत्म मान लिया गया? 

सवाल यह भी उठने लगा है कि झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में उर्दू को लेकर कब पढ़ाई कराई गई कि यहां के सभी जिलों में बोलचाल की भाषा बन गई? ऐसे कई सवाल अब झारखंड में बवाल के कारण बन सकते हैं.

Web Title: Controversy over Bhojpuri and Magahi in Jharkhand: large population may deprived of jobs

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे