सूर्य ग्रहण के दौरान सामुदायिक भोज के आयोजन पर ओडिशा में विवाद, संतों ने की निंदा, 4 एफआईआर भी दर्ज

By भाषा | Published: October 28, 2022 11:05 AM2022-10-28T11:05:16+5:302022-10-28T11:11:11+5:30

ओडिशा में सूर्यग्रहण के दौरान कुछ लोगों द्वारा सामुदायिक मांसाहार भोज के आयोजन पर विवाद बढ़ गया है। हिंदू धर्म के संतों ने इसकी आलोचना की है। पुरी और कटक के अलग-अलग थानों में चार एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।

Controversy in Odisha over organizing community feast during solar eclipse, four FIRs registered | सूर्य ग्रहण के दौरान सामुदायिक भोज के आयोजन पर ओडिशा में विवाद, संतों ने की निंदा, 4 एफआईआर भी दर्ज

सूर्य ग्रहण के दौरान सामुदायिक भोज के आयोजन पर ओडिशा में विवाद (फाइल फोटो)

Highlightsसूर्य ग्रहण के दौरान भुवनेश्वर में कुछ लोगों द्वारा एक सामुदायिक भोज में चिकन बिरयानी परोसने पर विवाद।खुद को तर्कवादी बताने वाले लोगों के एक समूह ने ‘अंध विश्वास’ को तोड़ने के लिए इस भोज का आयोजन किया था।दूसरी ओर धार्मिक संगठनों ने इसे लेकर नाराजगी जाहिर की है, चार एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।

भुवनेश्वर: ओडिशा में संतों और धर्मगुरुओं ने सूर्य ग्रहण के दौरान भुवनेश्वर में कुछ लोगों की ओर से एक सामुदायिक भोज में मुर्गे की बिरयानी परोसने की घटना पर रोष जताया है। खुद को तर्कवादी बताने वाले लोगों के एक समूह ने ‘अंध विश्वास’ को तोड़ने के लिए इस भोज का आयोजन किया था। कुछ धार्मिक संगठनों ने ‘तर्कवादियों’ के खिलाफ पुरी और कटक के अलग-अलग थानों में कम से कम चार प्राथमिकी दर्ज कराई हैं।

ग्रहण के दौरा भोजन: पुरी के शंकराचार्य ने की आलोचना

पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, “वे अज्ञानी हैं। उनके कार्य सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं। ग्रहण के दौरान उन लोगों द्वारा खाया गया भोजन (चिकन बिरयानी) उनके जीवन का अभिशाप हो सकता है।”

उन्होंने कहा कि जो लोग बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन कर नए सिद्धांत गढ़ते हैं, वे ‘अपने जीवन और बड़े पैमाने पर समाज को नुकसान पहुंचाते हैं।’ संत ने कहा, “नियम और परंपराएं भारतीयों के दर्शन, विज्ञान और सामाजिक व्यवहार के आधार पर बनाई गई हैं। ये बताती हैं कि किस समय क्या खाया जाना चाहिए।”

'समाज को गुमराह करना स्वस्थ संस्कृति नहीं'

प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु पद्म श्री बाबा बलिया ने भी ‘तर्कवादियों’ के कृत्य की निंदा की, जिन्होंने मंगलवार को ‘सूर्य ग्रहण के दौरान उपवास की परंपरा को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी थी।’ उन्होंने कहा, “कोई किसी को खाना खाने से नहीं रोक सकता। लेकिन, समाज को गुमराह करना स्वस्थ संस्कृति नहीं है। सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान खाली पेट रहने की प्रथा विज्ञान पर आधारित है।”

इस बीच, ‘तर्कवादियों’ ने कहा कि वे आठ नवंबर को होने वाले चंद्र ग्रहण के दौरान भी ऐसा ही करेंगे। उत्कल विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर प्रताप रथ ने कहा, “मैं जो मानता हूं, उसके साथ खड़ा हूं। जो कुछ भी विज्ञान पर आधारित नहीं है, उसका पालन नहीं किया जाना चाहिए। मैंने बचपन से ग्रहण के दौरान खाना खाया है और आगे भी ऐसा करता रहूंगा।” 66 वर्षीय रथ ने कहा, “मैंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है या फिर संविधान के खिलाफ काम नहीं किया है।” 

Web Title: Controversy in Odisha over organizing community feast during solar eclipse, four FIRs registered

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