नयी दिल्ली, 16 मार्च उच्चतम न्यायालय ने कांस्टेबल के पदों के लिए आरक्षित श्रेणी के तहत प्रारंभ में चयनित किये गये उम्मीदवारों से संबद्ध सीटें सामान्य श्रेणी में ले जाने के उत्तर प्रदेश सरकार के कदम को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ को उप्र सिविल पुलिस, प्रोवेंसियल आर्म्ड कांस्टबलरी एवं अग्निशमन कर्मी की चयन प्रक्रिया और 3295 कांस्टेबलों की भर्ती में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में ले जाने में कोई कमी नजर नहीं आयी ।
न्यायमूर्ति ललित ने फैसला लिखते हुए संबद्ध मामले में शीर्ष अदालत के एक फैसले का हवाला दिया और कहा कि राज्य सरकार एवं उसके अधिकारी गुण-दोष के आधार पर आदेश का पालन करने और आरक्षण के सिद्धांत का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
फैसले में कहा गया है, ‘‘ 3,295 अतिरिक्त पदों की उपलब्धता के साथ चीजों में थोड़ा परिवर्तन करने यदि, आरक्षित पदों के लिए पहले से चयनित उम्मीदवारों को खुली श्रेणी पदों के लिए गौर किये जाने का हक मिलता है तो यह कवायद किसी भी मायने से अवैध या गैरकानूनी नहीं मानी जा सकती है। ये 3295 पद 2013 में 41,610 पदों को भरने के लिए शुरू की गयी चयन प्रक्रिया का हिस्सा हैं और ऐसे बदलाव राज्य ने सही ही किया है।’’
शीर्ष अदालत ने प्रमोद कुमार सिंह समेत आम श्रेणी के कुछ उम्मीदवारों द्वारा दायर की गयी याचिका खारिज कर दी।
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