पटना: बिहार में राजनीतिक संकट जारी है। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने सोमवार को कहा कि वह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड जद(यू) को "गले लगाने" को तैयार है, बशर्ते वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का साथ छोड़ दे। कांग्रेस और वामदलों ने भी सोमवार को संकेत दिया कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका समर्थन करेंगे। कांग्रेस नेता अजित कुमार ने मंगलवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, "अगर नीतीश कुमार आएंगे तो हम उनका स्वागत करेंगे।"
उन्होंने कहा, "अगर वह आएंगे तो हम उनका समर्थन करेंगे। महागठबंधन की बैठक हो रही है। हमें नीतीश कुमार को सीएम मानकर (उन्हें) समर्थन देने का फैसला लेना चाहिए लेकिन हम बैठक के बाद ही आपको बता पाएंगे।" वहीं एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि जद(यू) ने बिहार के राज्यपाल फागू चौहान से समय मांगा है। बता दें कि सोमवार की देर शाम तक व्यस्त राजनीतिक गहमागहमी जारी रही और दोनों पार्टियों में इससे अवगत लोगों ने जोर देकर कहा कि इन दलों का पुनर्मिलन बैठकों के एजेंडे का हिस्सा नहीं है।
1990 के दशक से एक-दूसरे की सहयोगी रही जदयू और भाजपा की हाल के दिनों में अग्निपथ योजना, जाति जनगणना, जनसंख्या कानून और लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों पर अलग-अलग राय रही है। हालांकि, जदयू ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में राजग के उम्मीदवारों का समर्थन किया लेकिन नीतीश कुमार की इनसे संबंधित कई कार्यक्रमों में अनुपस्थिति और रविवार को नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने के उनके फैसले के साथ-साथ जदयू और भाजपा के बीच राजनीतिक गतिरोध की अटकलों के बीच वे अपनी चुप्पी कब तोड़ते हैं, इसपर अब सबकी निगाहें टिकीं हुई हैं।