नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त एक्सपर्ट्स के पैनल ने भले ही अडानी ग्रुप को क्लीन चिट दे दी हो लेकिन कांग्रेस अब भी इस पूरे मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति की जांच की आवश्यकता पर जोर दे रही है। कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति और सेबी ने अडानी समूह के लेन-देन की जांच करते समय महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की।
कांग्रेस का यह दावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति की एक रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि अडानी समूह की कंपनियों में शेयरों की कीमत में हेरफेर का कोई सबूत नहीं मिला है। इसी मामले में सेबी ने भी कहा था कि विदेशी संस्थाओं से मिलने वाले पैसे में कथित उल्लंघन की जांच में भी कुछ नहीं मिला है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर एक मीडिया रिपोर्ट को टैग करते हुए कहा, "मोदानी ब्रिगेड सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को "क्लीन चिट" (ऐसा नहीं है) के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है लेकिन बावजूद इसके अधिक सबूत सामने आ रहे हैं कि अडानी समूह छोटे शेयरधारकों को धोखा देने और प्रमोटरों को गलत तरीके से समृद्ध करने के उद्देश्य से कई संबंधित-पार्टी लेनदेन में शामिल हैं। गुजरात में कंपनी रजिस्ट्रार ने हाल ही में फैसला सुनाया कि अडानी पावर ने संबंधित पक्ष अनुबंधों और लेनदेन को छिपाकर कंपनी अधिनियम, 2013 का उल्लंघन किया था। इसने गौतम अडानी, राजेश अडानी और विनीत जैन पर जुर्माना लगाया। इस बीच, अडानी समूह के लेन-देन की जांच में सुप्रीम कोर्ट की समिति और यहां तक कि सेबी ने भी जांच ऐसी जगह पहुंचा दी जहां से आगे कुछ भी पता लगाना मुश्किल है। यही कारण है कि हमें मोदानी मेगास्कैम को सुलझाने के लिए जेपीसी की आवश्यकता है।"
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त एक्सपर्ट्स के पैनल ने अडानी ग्रुप के बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ऐसा लगता है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी की तरफ से नियमों में कोई चूक नहीं हुई है। अडानी ग्रुप की तरफ से शेयरों की कीमतों में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है और ग्रुप ने रिटेल इनवेस्टर्स के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए हैं।