Congress Rajesh Kumar: लालू यादव से दोस्ती?, अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर राजेश कुमार पर दांव?, विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने किया बदलाव
By सतीश कुमार सिंह | Updated: March 19, 2025 05:36 IST2025-03-19T05:34:40+5:302025-03-19T05:36:04+5:30
Congress Rajesh Kumar: दलित समर्थन को मजबूत करने के लिए पार्टी द्वारा एक सोची-समझी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

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पटनाः राजद प्रमुख लालू यादव से दोस्ती भारी पड़ गई? आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह राजेश कुमार को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। इस फैसले को राज्य में दलित समर्थन को मजबूत करने के लिए पार्टी द्वारा एक सोची-समझी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
राजेश कुमार एक दलित नेता और कुटुंबा से मौजूदा विधायक हैं, जिनके राहुल गांधी से करीबी संबंध हैं। आंतरिक कलह के बीच नेतृत्व परिवर्तन अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाए जाने की खबर उनके और बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के बीच कथित टकराव की पृष्ठभूमि में आई है। सिंह ने हाल ही में पार्टी मामलों खासकर आउटरीच कार्यक्रमों के संचालन को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
उल्लेखनीय है कि पूर्व कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने पहले बीपीसीसी प्रमुख के पद के लिए राजेश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उस समय राजनीतिक कारणों से सिंह को चुना गया था। प्रभावशाली भूमिहार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सिंह को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साथ निकटता के लिए जाना जाता है।
हालांकि, लोकसभा चुनावों में उनके संचालन खासकर अपने बेटे के लिए टिकट हासिल करने और राजद के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत करने में उनकी भूमिका ने पार्टी के भीतर आलोचना को जन्म दिया था। राजेश कुमार की नियुक्ति करके कांग्रेस यह स्पष्ट संदेश देती दिख रही है कि उसका लक्ष्य दलित मतदाताओं के बीच अपना आधार मजबूत करना है।
इस कदम से राजद के साथ पार्टी के समीकरण पर भी असर पड़ने की उम्मीद है, जिसके साथ राज्य में उसका गठबंधन है, भविष्य में सीट बंटवारे पर बातचीत बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने अपनी सियासी सक्रियता बढ़ा दी है। इसी कड़ी में कन्हैया कुमार के नेतृत्व में रविवार से ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ की शुरूआत की गई।
कन्हैया कुमार ने यह यात्रा पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से इस शुरु की है, जो विभिन्न जिलों में भ्रमण के बाद पटना आकर समाप्त होगा। इस यात्रा में कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु भी शामिल हो रहे हैं। यह यात्रा 24 दिन चलेगी। उद्देश्य बिहार में रोजगार की कमी और युवाओं के मुद्दों के साथ ही लोगों के पलायन का मुद्दा बनाना और नीतीश सरकार के खिलाफ जनमानस तैयार करना है।
इस बीच जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अपनी यात्रा के माध्यम से अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी है। कांग्रेस के नेता लोगों से यात्रा के माध्यम से मुलाकात करेंगे उनसे फीडबैक लेंगे। 2025 के विधानसभा चुनाव में जनता को मुद्दे को भटकाया नहीं जाए, इसलिए कांग्रेस विपक्षी पार्टी होने के नाते लोगों के बीच में जाकर सरकार की विफलताओं को गिना रही है।
दरअसल, बिहार में बीते तीन दशक में कमजोर लगातार कमजोर होती गई है और अब कांग्रेस खुद को खड़ा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। राजनीति के जानकारों के अनुसार इस यात्रा के जरिए महागठबंधन में कांग्रेस की धमक जहां बढ़ेगी। वहीं इस यात्रा के जरिए बिहार के युवाओं को साधने का प्रयास किया जा रहा है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी बिहार की राजनीति में कन्हैया कुमार को मजबूती से लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी दो बार बिहार आ सकते हैं और इस यात्रा में भी शामिल हो सकते हैं। दूसरी ओर चर्चा यह भी है कि कन्हैया कुमार के बिहार सक्रिय होने से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद खुश नहीं हैं।
इसके चलते ही दिल्ली में राहुल गांधी के साथ बिहार कांग्रेस नेताओं की बैठक टल गई। इस बैठक में राहुल गांधी प्रदेश के नेताओं से विधानसभा चुनाव पर फीडबैक लेने वाले थे। पार्टी की ओर से दलील दी गई इसके साथ ही यूथ कांग्रेस के कृष्ण अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
युवा और तेज तर्रार कृष्णा अल्लावरु 14 फरवरी 2025 को बिहार कांग्रेस के प्रभारी बने थे और वह कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए लगातार बिहार दौरे पर पहुंच रहे हैं। वहीं, युवा नेता कन्हैया कुमार के फेस को आगे कर नया दांव खेला जा रहा है।