नई दिल्लीः झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी का नामांकन पत्र शनिवार को खारिज होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में अब मुकाबला मल्लिकार्जुन खड़गे औरशशि थरूर के बीच है। शशि थरूर ने कहा कि वह पार्टी में बदलाव का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे मल्लिकार्जुन खड़गे जैसा नेता नहीं ला सकते है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रविवार को नागपुर में महात्मा गांधी स्मारक पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कोई युद्ध नहीं है। हम दुश्मन नहीं हैं, यह युद्ध नहीं है। कुछ लोग कह रहे हैं कि खड़गे जी एक वरिष्ठ नेता हैं और मैं उनके लिए दौड़ से बाहर क्यों नहीं हो जाता?
मैं खड़गे जी का सम्मान करता हूं, लेकिन यह हमारी पार्टी के भविष्य के लिए एक चुनाव है। जिस तरह से हम पार्टी को आगे ले जाना चाहते हैं, उसमें मतभेद हैं। खड़गे जी हमारे नेतृत्व का हिस्सा हैं और गांधी परिवार के अलावा वह कांग्रेस पार्टी के शीर्ष तीन नेताओं में से हैं। लेकिन उनके जैसे नेता बदलाव नहीं ला सकते हैं और मौजूदा व्यवस्था को जारी रखेंगे। मैं बदलाव लाऊंगा।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चुनने दें
थरूर ने गांधी परिवार को पार्टी के लिए एक संपत्ति कहा। गांधी परिवार और कांग्रेस का डीएनए एक ही है। यह लड़ाई नहीं है। पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनने दें, यही हमारा संदेश है। मैं कह रहा हूं कि अगर आप पार्टी के काम से संतुष्ट हैं, तो खड़गे साहब को वोट दें। अगर आप बदलाव चाहते हैं, तो मैं वहां हूं। लेकिन कोई वैचारिक समस्या नहीं है।
शशि थरूर ने रविवार को कहा कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ सार्वजनिक बहस के लिए तैयार हैं, क्योंकि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व पद के चुनाव को लेकर हुई थी। उनकी इस टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए खड़गे ने कहा कि विद्वान लोगों (थरूर) की इच्छा बहस की हो सकती है, लेकिन वह इसमें नहीं पड़ेंगे क्योंकि वह सिर्फ काम करना जानते हैं।
नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी
कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मौजूदा चुनौतियों का जवाब प्रभावी नेतृत्व और संगठनात्मक सुधार के संयोजन में निहित है। गौरतलब है कि थरूर ने कहा, ‘‘संगठनों का उच्च स्तर पर नेतृत्व करने का मेरा विश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग के अवर प्रभारी महासचिव के तौर पर मैंने दुनियाभर में 77 कार्यालय में 800 से अधिक कर्मियों के संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े विभाग के संचार का जिम्मा संभाला था। इसे देखते हुए कई लोगों ने मुझसे संयुक्त राष्ट्र संगठन का नेतृत्व करने के लिए चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था।’’
भाजपा की मशीनरी का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है
कांग्रेस के संगठन में सुधारों के संदर्भ में पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने कहा कि उन्होंने पिछले पांच वर्षों में ‘अखिल भारतीय प्रोफेशनल्स कांग्रेस’ के अध्यक्ष के तौर पर 20 प्रदेशों में 10 हजार साथियों की टीम खड़ी कर दी है। उन्होंने अपनी कुछ प्राथमिकताओं का उल्लेख किया और कहा कि इनसे कांग्रेस को मजबूत करने और भाजपा की मशीनरी का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है।
थरूर ने कहा, ‘‘हमारी मौजूदा स्थिति की व्यापक रूप से आलोचना की जाती है, ऐसे में पार्टी के मौजूदा संगठन में बहुत ज्यादा समय जाया करने के बोझ से बचना और नए नजरिये के साथ इस पर आगे बढ़ना लाभकारी हो सकता है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह कई पश्चिमी देशों की तर्ज पर पार्टी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के बीच सार्वजनिक बहस चाहते हैं तो थरूर ने कहा, ‘‘मैं इस विचार को लेकर तैयार हूं।’’
हमारे बीच कोई वैचारिक मतभेद नहीं है
उनके मुताबिक, ‘‘हमारे बीच कोई वैचारिक मतभेद नहीं है। सवाल सिर्फ यह है कि हम उस उद्देश्य को हासिल कैसे करेंगे, जिस पर हम सबने सहमति बनाई है।’’ थरूर ने कहा कि विचारों के आदान-प्रदान से उन वर्गों का भी ध्यान खींचा जा सकेगा, जो मतदान नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैंने हमेशा यह कहा है कि उम्मीदवारों के बीच विचारों के आदान-प्रदान का प्रभाव पार्टी के लिए फायदेमंद होगा।
मिसाल के तौर पर, हमने देखा कि ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व के हालिया चुनाव में वैश्विक स्तर पर दिलचस्पी थी।’’ थरूर के अनुसार, उसी तरह का समान दृश्य यहां होगा तो कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर दिलचस्पी बढ़ेगी तथा पार्टी के पक्ष में एक बार फिर से उन मतदाताओं को गोलबंद किया जा सकेगा, जो पहले पार्टी के पक्ष में होते थे।
सिर्फ काम करना जानता हूं और उसका मौका दीजिए
थरूर की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जो मुझे कहना है स्पष्टता के साथ कहूंगा। वो विद्वान लोग हैं, पढ़े-लिखे लोग हैं, शायद उनकी इच्छा डिबेट की हो सकती है। उसमें मैं पड़ना नहीं चाहता। मैं सिर्फ काम करना जानता हूं और उसका मौका दीजिए।’’
उधर, थरूर के करीबी कांग्रेस नेता सलमान सोज ने कहा कि अगर थरूर और खड़गे में बहस होती है तो इससे पार्टी के प्रति लोगों का ध्यान आकृष्ट होगा और डेलीगेट (निर्वाचक मंडल के सदस्य) एवं आम लोगों को नेताओं के नजरिये और योजनाओं की जानकारी मिलेगी।
(इनपुट एजेंसी)