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कांग्रेस नेतृत्व की कार्यशैली से खुश नहीं हैं पार्टी नेता, मौका मिलते ही उठाएंगे आवाज़, जानिए सबकुछ

By शीलेष शर्मा | Updated: December 15, 2020 20:47 IST

कांग्रेस के अंदर बदलाव को लेकर भड़की आग को तो पार्टी ने कुछ भावनात्मक रूप से और कुछ बल प्रयोग से दबा दिया लेकिन चिंगारी बरकरार है।

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ठळक मुद्देकार्यसमिति की बैठक में मुख्य मुद्दा 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से लिखी गई चिट्ठी बन गई थी।कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, विवेक तन्खा जैसे नेता पत्र लिख चुके हैं।

नई दिल्लीः कांग्रेस में पार्टी नेतृत्व और उसकी कार्यशैली को लेकर सवाल उठाने वाले पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता एक बार फिर लामबंद हो रहे हैं।

उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार इन नेताओं ने पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात करने पर विचार कर रहे हैं,ताकि उनको पार्टी के ताज़ा हालातों से रूबरू कराया जा सके। दरअसल यह नेता राहुल गांधी के नेतृत्व को उनके सिपहसालारों के साथ स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।

वे चाहते हैं कि सोनिया गांधी पार्टी में सामूहिक नेतृत्व को पार्टी चलाने की ज़िम्मेदारी सौंपे अथवा वे पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को चाहे वह राहुल गाँधी ही क्यों हों अध्यक्ष का पद सौंप कर एक समूह गठित करें जो पार्टी का संचालन करे। 

ग्रुप 23 के एक नेता ने अनौपचारिक बातचीत में स्वीकार किया कि राहुल के नेतृत्व में पार्टी के आगे बढ़ने की उम्मीद कार्यकर्ताओं को नहीं दिख रही हैं क्योंकि राहुल ना तो किसी वरिष्ठ नेता से सलाह लेते हैं और न ही चर्चा करते हैं।  उनकी चारों ओर  जो लोग घिरे हुए हैं उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है। 

पार्टी के नेता चाहते हैं कि राहुल पार्टी का नेतृत्व करें लेकिन लगातार पार्टी की चुनाव में हो रही पराजय और हाल के दिनों में पार्टी कार्यकर्ताओं में बनी निराशा यह बताती है कि  राहुल के नेतृत्व में कार्यकर्ता सीधा संवाद न होने से दुखी हैं। 

पिछले दिनों जब कार्य समिति की बैठक में 23 नेताओं द्वारा लिखे पत्र पर चर्चा  हुई थी उसमें संकेत दिए गए थे कि  नेतृत्व अपनी कार्यशैली में सुधार करेगा लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आया है।  पार्टी में चुनाव कराने की बात भी आधार में लटकी पड़ी है। 

इस नेता का मानना था कि कार्य समिति का विधिवत चुनाव हो ताकि ज़मीन से जुड़े नेता पार्टी को दिशा दे सकें। इस नेता ने यह भी खुलासा किया कि  ग्रुप 23 अब 23 नेताओं का ग्रुप नहीं है, इसमें बड़ी संख्या में विभिन्न प्रांतों के नेता जुड़ चुके हैं जिनको लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी को यह समूह अपनी भावना से अवगत कराने की बात सोच रहा है। यह सही है कि पार्टी गंभीर संकट का सामना कर रही है लेकिन उसे उबारने की ज़िम्मेदारी भी पार्टी के नेताओं के साथ साथ पार्टी नेतृत्व की भी है। 

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