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बिहार विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले ही RJD के साथ सीट बंटवारा चाहती है कांग्रेस, बताई ये वजह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 29, 2019 13:04 IST

लोकसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस, हम, वीआईपी और रालोसपा साथ मिलकर लड़े थे, लेकिन राज्य की 40 सीटों में कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज में जीत मिली। शेष 39 सीटों पर भाजपा-जदयू-लोजपा गठबंधन ने जीत हासिल की।

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ठळक मुद्देबिहार चुनाव से छह महीने पहले सीट बंटवारे के पक्ष में कांग्रेस चुनाव से करीब छह महीने पहले सीट बंटवारे के बारे में फैसला करने के पक्ष में है।

झारखंड में अपने गठबंधन की जीत से उत्साहित कांग्रेस अब बिहार में पूरी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरना चाहती है और इसी के मद्देनजर उसने राजद नेतृत्व से कहा है कि वह विधानसभा चुनाव से करीब छह महीने पहले सीट बंटवारे के बारे में फैसला करने के पक्ष में है।

पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक चली खींचतान जैसी किसी भी स्थिति से विधानसभा चुनाव में बचना चाहती है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, '' हमने राजद को अवगत कराया है कि सीट बंटवारे पर अगर पांच-छह महीने पहले ही फैसला हो जाएगा तो गठबंधन के लिए स्थिति ज्यादा मजबूत रहेगी क्योंकि पार्टियों को अपनी तैयारी और रणनीति के लिए पूरा समय मिलेगा।''

उन्होंने कहा, ''हमारी कोशिश है कि गठबंधन से जुड़ी पार्टियों के नेता अगले साल अप्रैल या मई में बैठ कर सीट बंटवारे पर निर्णय कर लें।'' बिहार में अगले साल अक्टूबर-नवम्बर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, चुनाव से कुछ महीने पहले सीट बंटवारे की स्थिति साफ होने के बाद पार्टी को सही उम्मीदवार तय करने का पर्याप्त समय मिलेगा और दूसरे सभी राजनीतिक समीकरण साधने में भी मदद मिलेगी।

पार्टी के एक नेता ने कहा, ''लोकसभा चुनाव में आखिर तक सीटों के तालमेल की स्थिति को लेकर असमंजस बना रहा और हमारे गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। झारखंड में समय पर सब कुछ तय होने का हमें फायदा मिला। हमें बिहार में भी यही करना होगा।''

लोकसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस, हम, वीआईपी और रालोसपा साथ मिलकर लड़े थे, लेकिन राज्य की 40 सीटों में कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज में जीत मिली। शेष 39 सीटों पर भाजपा-जदयू-लोजपा गठबंधन ने जीत हासिल की। राज्य में राजद और कांग्रेस के लिए जीतनराम मांझी की पार्टी हम का अलग राह पकड़े हुए नजर आना और राजद के शीर्ष नेता लालू प्रसाद का जेल में होना भी चुनौती है। 

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