CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग मसले पर कांग्रेस पहुँची सुप्रीम कोर्ट, वेंकैया नायडू ने खारिज कर दी थी नोटिस
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 7, 2018 11:48 AM2018-05-07T11:48:20+5:302018-05-07T11:55:25+5:30
कांग्रेस के नेतृत्व में सात दलों के 64 राज्य सभा सासंदों ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही करने नोटिस खारिज कर दी।
कांग्रस के दो राज्य सभा सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज होने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सोमवार (सात मई) को कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अी हर्षादृय याज्ञनिक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के फैसले को चुनौती दी है। वेंकैया नायडू ने कांग्रेस समेत सात दलों के 64 सांसदों के हस्ताक्षरों वाली नोटिस खारिज कर दी थी।
वेंकैया नायडू ने अपने लिखित जवाब में कहा था कि कांग्रेस ने सीजेआई दीपक मिश्रा पर लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं दिया। वेंकैया नायडू ने अपने जवाब में कहा था कि सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की नोटिस देने के बाद ही कांग्रेस ने प्रेस वार्ता करके इसकी सूचना सार्वजनिक कर दी थी जो कानूनन गलत है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने वेंकैया नायडू द्वारा महाभियोग नोटिस खारिज किए जाने के बाद ही कहा था कि वो इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने खारिज किया CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस का महाभियोग प्रस्ताव
कांग्रेस सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि नियत संख्या में सांसदों द्वारा महाभियोग प्रस्ताव की नोटिस देने के लिए उपराष्ट्रपति उसे खारिज करने का अधिकार नहीं रखते। कांग्रेस सांसदों ने अपनी याचिका में कहा है कि उपराष्ट्रपति वेंकया नायडू को सीजेआई के खिलाफ लगे आरोपों की कोर्ट ऑफ इनक्वाय्री कमेटी बनाकर जाँच करानी चाहिए थी।
महाभियोग प्रस्ताव: भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कांग्रेस ने लगाए हैं ये पाँच आरोप
राज्य सभा में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। वहीं लोक सभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के दस्तखत की जरूरत है।
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