केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा- CAA, NRC और NPR को लेकर देश में फैलाया जा रहा है भ्रम 

By एस पी सिन्हा | Updated: January 3, 2020 17:34 IST2020-01-03T17:34:09+5:302020-01-03T17:34:09+5:30

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पासवान ने लिखा है कि जनगणना वर्ष 1887 से शुरू हुई और यह हर 10 साल पर होती है. इसमें कौन देश का नागरिक है और कौन नागरिक नहीं है, इसका कोई ब्यौरा नहीं होता है.

Confusion is being spread in the country regarding CAA, NRC and NPR says Ram Vilas Paswan | केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा- CAA, NRC और NPR को लेकर देश में फैलाया जा रहा है भ्रम 

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लोजपा प्रमुख व केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को ट्वीट कर नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 यानी सीएए, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर और नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर यानी एनसीआर को लेकर लोगों का भ्रम दूर करते हुए विस्तार से बताया है. 

उन्होंने ट्वीट कर कहा है, 'नागरिकता (संशोधन) अधिनयम-2019 को लेकर पूरे देश में सुनियोजित तरीके से भ्रम फैलाया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने बार-बार कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून नागरिकता देने के लिए है, नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.' 

सीएए का किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता से कोई संबंध नहीं है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी या इसाई जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में रह रहे हैं, भारत की नागरिकता के पात्र होंगे. देश के मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. जहां तक एनआरसी का संबंध है, इस पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है और इसका किसी धर्म से कोई संबंध नहीं है. कोई भी व्यक्ति धर्म के आधार पर नागरिकता से वंचित नहीं किया जा सकता है. जहां तक एनपीआर का संबंध है, यह सामान्यतया जनगणना है. 

पासवान ने लिखा है कि जनगणना वर्ष 1887 से शुरू हुई और यह हर 10 साल पर होती है. इसमें कौन देश का नागरिक है और कौन नागरिक नहीं है, इसका कोई ब्यौरा नहीं होता है. यह सिर्फ परिवार के सदस्यों की संख्या एवं अन्य विवरण का संकलन होता है. भारत की नागरिकता प्राप्त करने का प्रावधान नागरिकता अधिनियम 1955 में है, जिसके अनुसार किसी भी देश के किसी भी धर्म का व्यक्ति जो भारत के पंजीकरण नियमों या प्राकृतिक रूप से देश में रहने की शर्तों को पूरा करते हों, भारत के नागरिक बन सकते हैं. 

वहीं, साल 2003 में नागरिकता कानून में संशोधन किया गया, जिसमें एनआरसी की अवधारणा तय हुई थी. साल 2004 में यूपीए की सरकार बनी, जो इसे निरस्त कर सकती थी. निरस्त करने के बजाय 7 मई, 2010 को लोकसभा में तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा था- 'यह स्पष्ट है कि एनआरसी, एनपीआर का उपवर्ग होगा.' 

उन्होंने कहा है कि यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं वंचित वर्ग के लोगों के पास जन्मतिथि या माता-पिता के जन्मस्थल या जन्मतिथि का दस्तावेज नहीं रहने पर उन्हें संदेहास्पद सूची में डाल दिया जायेगा, जो सही नहीं है. नागरिक या उसके माता-पिता की जन्मतिथि या जन्मस्थली का सबूत आवश्यक नहीं है. सक्षम प्राधिकारी के पास किसी व्यक्ति द्वारा नागरिकता पंजीकरण के लिए आवेदन देने पर गवाह, अन्य सबूत या स्थानीय लोगों से पूछताछ आदि के आधार पर नागरिकता दी जायेगी.

विदेशियों को भी नागरिकता कानून-1955 के तहत भारत की नागरिकता मिलती रही है. भारतीय मूल के 4,61000 तमिलों को 1964 से 2008 के बीच भारत की नागरिकता मिली. विगत छह वर्षों में 2830 पाकिस्तानी, 912 अफगानी और 172 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी गयी. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम देश में आये घुसपैठियों के खिलाफ लागू होता है. यही कारण है कि संसद के दोनों सदनों ने इसे पास किया, जबकि राज्यसभा में एनडीए का बहुमत भी नहीं है.

पासवान ने कहा है कि चाहे दलित हों, आदिवासी हों, पिछड़ा हो, अल्पसंख्यक हो या उच्च जाति का हो, ये देश के मूल निवासी हैं, नागरिकता उनका जन्मसिद्ध अधिकार है. उसे कोई भी सरकार छीन नहीं सकती. किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक परेशान नहीं किया जायेगा. 

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के प्रावधान संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा या मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 'मैंने जीवनभर दलितों, आदिवासियों, पिछडों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार के लिए संघर्ष किया है. सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता मेरा और मेरी पार्टी लोजपा का मिशन है. कोई भी सरकार नागरिकता तो दूर रही, इनके अधिकार पर उंगली नहीं उठा सकती है.'

Web Title: Confusion is being spread in the country regarding CAA, NRC and NPR says Ram Vilas Paswan

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