जंतर-मंतर पर सांप्रदायिक नारेबाजी : दिल्ली की अदालत ने भाजपा के पूर्व प्रवक्ता को दी जमानत
By भाषा | Updated: August 11, 2021 22:37 IST2021-08-11T22:37:53+5:302021-08-11T22:37:53+5:30

जंतर-मंतर पर सांप्रदायिक नारेबाजी : दिल्ली की अदालत ने भाजपा के पूर्व प्रवक्ता को दी जमानत
नयी दिल्ली, 11 अगस्त दिल्ली की अदालत ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर सांप्रदायिक नारेबाजी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय को बुधवार को जमानत दे दी।
महानगर दंडाधिकारी उद्भव कुमार जैन ने पेशे से वकील उपाध्याय को 50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ जहां तक भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (दो समूहों में धर्म, जाति नस्ल आदि के आधार पर द्वेष फैलाना) के तहत दर्ज मामले का सवाल है तो यह केवल दावा है और इसके अलावा कुछ भी रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं है जो दर्शाये कि आरोपी की उपस्थिति या उसकी ओर से कथित भड़काऊ भाषण से दो समूहों में द्वोष को बढ़ावा मिला।’’
सुनवाई के दौरान अदालत ने लोक अभियोजक से भी जानकारी ली और कहा कि कथित वीडियों में आरोपी के खिलाफ कुछ भी नहीं है।
अदालत ने जमानत मंजूर करते हुए रेखांकित किया कि आरोपी के फरार होने की संभावना नहीं है।
अदालत ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है कि बंद कमरें में साजिश रची गई और मौजूदा मामले में जांच प्रारंभिक चरण में है। फिर भी यह नियम नागरिक की आजादी को केवल दावे और आशंका के आधार पर सीमित करने के लिए लागू नहीं की जा सकती।’’
अभियोजन पक्ष ने सुनवाई के दौरान जमानत अर्जी का विरोध इस आधार पर किया कि आरोपी की रिहाई सार्वजनिक शांति और कानून व्यवस्था के प्रतिकूल होगी। लोक अभियोजक ने कहा कि ऐसी संभावना है कि आरोपी सांप्रदायिक विद्वेष उत्पन्न कर सकता है।
आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने गिरफ्तारी को ‘पुलिस द्वारा शक्तियों का घोर दुरुपयोग’ करार दिया।
उन्होंने कहा कि पुलिस किसी को मनमाने तरीके से नहीं पकड़ सकती है। यह स्वीकृत तथ्य है कि आरोपी सुबह मौके पर मौजूद था न कि उस समय जब कथित भड़काऊ भाषण दिया गया। आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और गोपाल शंकरनारायण और अधिवक्ता अश्वनी दुबे भी पेश हुए।
आरोपी का पक्ष रख रख रहे वकील ने तर्क दिया कि उपाध्याय को गैर कानूनी तरीके से बंधक बनाया गया है, इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
जमानत का विरोध करते हुए लोक अभियोजक ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान जब बड़े समागम पर रोक है, आरोपी ने विरोध प्रदर्शन बिना अनुमति के आयोजित किया। आरोपी द्वारा आयोजित समागम गैर कानूनी गतिविधि है और यह जानते हुए वह शामिल हुए।
हालांकि, अदालत ने लोक अभियोजक के महामारी से जुड़े तर्क को खारिज करते हुए कहा कि यह मुश्किल समय है और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाना चाहिए। हालांकि, जहां तक दिशानिर्देशों के उल्लंघन का मामला है तो वे जमानती प्रकृति के हैं और योग्यता के आधार पर निचली अदालत निपटेगी।
अदालत ने उपाध्याय की जमानत मंजूर करते हुए उन्हें चल रही जांच में सहयोग करने और जांच अधिकारी के समन देने पर जांच से जुड़ने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी बिना अदालत की मंजूरी देश नहीं छोड़ेंगे और प्रत्येक चरण की सुनवाई के दौरान पेश होंगे और प्रक्रिया में कोई बाधा या देरी उत्पन्न नहीं करेंगे।
अदालत ने उपाध्याय की जमानत अर्जी लंबित होने के मद्देनजर मंगलवार को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कुछ लोग कथित तौर पर मुस्लिम विरोधी नारेबाजी करते दिखे। घटना के संबंध में दिल्ली पुलिस ने सोमवार को मामला दर्ज किया था। बताया जा रहा है कि घटना रविवार की है जब जंतर मंतर पर ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ द्वारा आयोजित प्रदर्शन में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे।
‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की मीडिया प्रभारी शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदर्शन उपाध्याय के नेतृत्व में हुआ। हालांकि, उन्होंने मुस्लिम विरोधी नारे लगाने वालों से किसी प्रकार के संबंध से इनकार किया। उपाध्याय ने भी मुस्लिम विरोधी नारेबाजी की घटना में शामिल होने से इनकार किया।
वीडियो में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कुछ लोग भड़काऊ नारेबाजी करते हुए और मुस्लिमों को धमकी देते हुए नजर आए।
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