कॉल और डाटा दरें बढ़ाने पर सलाह देगी सचिवों की समिति, टेलीकॉम कंपनियों ने बढ़ाया मोदी सरकार पर दबाव
By संतोष ठाकुर | Published: October 30, 2019 08:28 AM2019-10-30T08:28:12+5:302019-10-30T08:28:12+5:30
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दूरसंचार कंपनियों को 1.42 लाख करोड़ रुपए के पुराने बकायों का भुगतान करने का आदेश देने के कुछ दिन बाद समिति गठित करने का फैसला किया है.
सचिवों का एक समूह जल्द ही मोबाइल कॉल और डाटा दरें बढ़ाने के संबंध में सरकार को सलाह दे सकता है. केंद्र सरकार इसके लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित करने की तैयारी कर रही है. समिति में वित्त सचिव, दूरसंचार सचिव, विधि सचिव समेत अन्य मंत्रालयों के सचिव शामिल होंगे. इसकी वजह टेलीकॉम कंपनियों की ओर से सरकार पर बढ़ाया गया दबाव है.
उनका कहना है कि टेलीकॉम इंडस्ट्री को बचाने के लिए कॉल और डाटा दरों में इजाफा जरूरी है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने पहले इससे इनकार कर दिया था. वहीं, इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का कहना था कि जिस तरह से सरकार उन पर टैक्स और जुर्माना लगा रही है और आने वाले समय में उन्हें 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में भी हिस्सा लेना है, तो कॉल व डाटा दरों में इजाफा उनकी मजबूरी है.
उनकी यह भी दलील थी कि दुनिया में सबसे सस्ता डाटा और कॉल भारत में है. एक अधिकारी ने कहा कि सरकार का फिलहाल यही मानना है कि कॉल और डाटा दरों का निर्धारण बाजार की ताकत करे. कंपनियोंं की प्रतिस्पर्धा के कारण ही कॉल और डाटा दरों में लगातार कमी बनी हुई है. इसके लिए सरकार ने कभी भी दबाव नहीं बनाया है. जहां तक सचिवों की समिति का सवाल है, वह केवल दरों में वृद्धि पर सलाह नहीं देगी. वह यह भी आकलन करनेगी कि क्या सच में टेलीकॉम इंडस्ट्री आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है या स्थिति इससे अलग है.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दूरसंचार कंपनियों को 1.42 लाख करोड़ रुपए के पुराने बकायों का भुगतान करने का आदेश देने के कुछ दिन बाद समिति गठित करने का फैसला किया है. सूत्रों ने कहा कि समिति की बैठक जल्द होने की उम्मीद है. वह समयबद्ध तरीके से अपनी सिफारिशें सौंप सकती है.
निजी कंपनियों का नहीं हो वर्चस्व :
अधिकारी ने बताया कि सरकार का स्पष्ट मत है कि निजी कंपनियों का बाजार में वर्चस्व नहीं होना चाहिए. वर्चस्व की स्थिति में वे आपस में मिलीभगत करके दरें बढ़ाने में सफल हो जाएंगे. यही वजह है कि सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय का फैसला किया है. इससे बाजार में सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी बनी रहेगी जिससे कॉल और डाटा दरों में स्थिरता या कमी बनी रहेगी.