कोयला खनन : आपराधिक मामलों में अपील के कानूनी मुद्दे पर न्यायालय फैसला करेगा
By भाषा | Published: March 1, 2021 08:00 PM2021-03-01T20:00:11+5:302021-03-01T20:00:11+5:30
नयी दिल्ली, एक मार्च कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह पहले कानूनी मुद्दे पर गौर करेगा कि क्या आपराधिक मामले में एकल न्यायाधीश की पीठ के फैसले के खिलाफ अंतर अदालती अपील पर उच्च न्यायालय सुनवाई कर सकता है।
शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ की गई एक अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कथित कोयला खनन और परिवहन मामले की सीबीआई जांच को मंजूरी दी गई।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अनूप माजी की अपील पर जवाब देने के लिए सीबीआई को और समय दे दिया। माजी एक कंपनी के निदेशक हैं जो सूखे ईंधन की खरीद-बिक्री करती है और यह पश्चिम बंगाल के आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में कथित तौर पर कोयले के अवैध व्यवसाय में आरोपी है।
माजी ने अपनी याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है जिसने सीबीआई को पश्चिम बंगाल सरकार की सहमति के बगैर राज्य में कोयले के कथित अवैध खनन और परिवहन मामले की जांच को अनुमति दे दी।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई सुनवाई में पीठ ने पहले एक फैसले को उद्धृत किया जिसमें कहा गया कि आपराधिक मामले में एकल न्यायाधीश की पीठ के फैसले के खिलाफ अंतर अदालती अपील (इसे लेटर पैटेंट अपील :एलपीए: के नाम से भी जाना जाता है) उच्च न्यायालय में होगी।
पीठ ने कहा, ‘‘हम खंडपीठ में एलपीए पर सुनवाई के मुद्दे को लेकर चिंतित हैं। हम इसके बाद की बातों को लेकर चिंतित नहीं हैं।’’
इसने सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता का आग्रह स्वीकार करने के बाद माजी की याचिका पर सुनवाई दस मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले पीठ ने केंद्र और सीबीआई को नोटिस जारी कर याचिका पर उनसे एक मार्च तक जवाब मांगा था। याचिका में दावा किया गया कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 2018 में सहमति वापस लेने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार नहीं है।
बहरहाल, इसने माजी को सुरक्षा देने इंकार कर दिया।
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