यूपी में सरकारी कर्मचारियों पर सीएम योगी की नकेल, नौकरशाहों को बिना अनुमति के बयान जारी करना पड़ेगा भारी
By राजेंद्र कुमार | Updated: June 20, 2024 21:03 IST2024-06-20T21:01:27+5:302024-06-20T21:03:19+5:30
देश में यूपी के इन नौकरशाहों की फौज पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पकड़ बनाने की ठान ली है। इसके तहत राज्य में सभी सरकारी कर्मचारियों को बिना अनुमति के सोशल मीडिया पर लेख लिखने और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने पर रोक लगा दी गई है।

यूपी में सरकारी कर्मचारियों पर सीएम योगी की नकेल, नौकरशाहों को बिना अनुमति के बयान जारी करना पड़ेगा भारी
लखनऊ: देश में कैडर के हिसाब से नौकरशाहों की सबसे बड़ी तादाद उत्तर प्रदेश में हैं। इस प्रदेश में करीब 1200 आईएएस और आईपीएस कार्यरत हैं। राज्य के तमाम सीनियर आईएएस और आईपीएस केंद्र सरकार में अहम पदों का दायित्व संभाल रहे है। देश में यूपी के इन नौकरशाहों की फौज पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पकड़ बनाने की ठान ली है। इसके तहत राज्य में सभी सरकारी कर्मचारियों को बिना अनुमति के सोशल मीडिया पर लेख लिखने और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने पर रोक लगा दी गई है। अब से राज्य में सोशल मीडिया पर भी बिना अनुमति के बयानबाजी या नीतियों को लेकर सवाल उठाना सरकारी कर्मचारियों पर भारी पड़ सकता है।
अब यह कार्य नहीं करेंगे सरकारी कर्मचारी :
राज्य के अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक देवेश चतुर्वेदी ने शासन के आला अफसरों को दो पेज का एक पत्र भेजकर उन्हें 'सरकारी सेवकों के संचार माध्यमों (मीडिया) के उपयोग' के नियम याद दिलाए हैं। इस दो पेज के पत्र में लिखा गया है कि प्रदेश के सरकारी कार्मिकों के आचरण को विनियमित करने के लिए सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली 1956 प्रभावी है। इस नियमावली के बाद भी सरकारी कर्मियों की बयानबाजी से असहज स्थिति पैदा हो रही है। इसे रोका जाएगा और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई की जाए।
इस पत्र में मीडिया में बात रखने के लिए सरकारी कर्मचारियों के लिए तय गाइडलाइन का उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक कोई सरकारी कर्मचारी सरकार या संबंधित प्राधिकारी से अनुमति के बिना मीडिया में लिखा-पढ़ी नहीं करेगा। कोई ऐसा लेख या बयान नहीं जारी करेगा, जिससे वरिष्ठ अधिकारियों या सरकार के फैसलों की आलोचना होती हो। किसी सूचना का भी अनधिकृत लेन-देन नहीं करेगा. यह भी कहा गया है कि मीडिया का स्वरूप अब विस्तृत हो चुका है। इसमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अलावा सोशल मीडिया (फेसबुक, एक्स, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम ) और डिजिटल मीडिया भी शामिल है।
इसलिए जारी हुआ आदेश :
सरकारी कर्मचारियों के लेकर यह आदेश जारी करने की वजह क्या है? इस सवाल को लेकर जब कार्मिक विभाग के अफसरों से सवाल किया गया तो यह बताया गया कि लोकसभा चुनाव के दौरान सूबे के तमाम आईएएस और आईपीएस अफसरों ने सोशल मीडिया पर अपने विचार लिखे थे, जो सरकार की नीतियों के खिलाफ थे। इस कारण से पत्र जारी कर अब यह कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी नियमावली में स्पष्ट प्रावधान के बावजूद कुछ सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा मीडिया में बयान अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
सरकारी कर्मचारियों के बयानों से सरकार के समक्ष असहज स्थिति पैदा हो रही है। अधिकारियों-कर्मचारियों का यह काम नियमों की अवहेलना और अनुशासनहीनता का परिचायक है, इसलिए इन निर्देशों का अपने सभी अधीनस्थों में कड़ाई से अनुपालन कराएं। नियमावली के विपरीत कोई आचरण करता पाया जाए, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।