लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि पूरे देश से राज्य के श्रमिकों को वापस लाने के लिए ट्रेनों का नि:शुल्क संचालन जारी रहेगा। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न राज्यों से श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रतिबद्ध है।
योगी ने बताया कि इसके लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा निशुल्क ट्रेन एवं बस की व्यवस्था करते हुए अब तक 27 लाख से अधिक कामगारों की सुरक्षित और सकुशल प्रदेश वापसी कराई गई है। प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने संबंधित राज्य सरकारों से श्रमिकों की सूची उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है ताकि उनकी प्रदेश वापसी के लिए निःशुल्क ट्रेनों की व्यवस्था कराई जा सके।
उन्होंने बताया कि पूरे देश से श्रमिकों के लिए निशुल्क ट्रेनों का संचालन आगे भी तब तक जारी रहेगा, जब तक वापस आने के इच्छुक कामगार प्रदेश लौट नहीं आते।
बता दें कि केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के बाद देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों में 80 प्रतिशत संख्या उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वालों की है।
इन दोनों राज्यों ने भी प्रवासियों के लिए उठाए गए कदमों के बारे में अदालत को अवगत कराया। बिहार ने शीर्ष अदालत को बताया कि टिकट के लिए पैसा चुकाने वाले प्रवासियों को वह किराए का भुगतान कर रही है। उत्तर प्रदेश के लिए पेश वकील ने बताया कि भोजन और अन्य सुविधाओं के साथ 1,000 रुपये नकदी देकर उन्हें पृथक-वास में रहने को लेकर प्रेरित करने के लिए कदम उठाए गए हैं। केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पीठ को बताया कि इन प्रवासी मजदूरों में करीब 80 प्रतिशत संख्या उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वालों की रही है।
मेहता ने पीठ को बताया कि पृथक-वास के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार भोजन, दवा, पानी और अन्य सुविधाओं के लिए भुगतान करती है और पृथक-वास में रहने की अवधि खत्म होने पर उन्हें बसों से संबंधित स्थानों तक पहुंचा दिया जाता है। पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह भी थे। उत्तर प्रदेश के लिए पेश वकील ने पीठ को बताया कि हालात से निपटने के लिए राज्य ने असाधारण कदम उठाए हैं । उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए विशेष ट्रेनें चलायी गयीं और हर चरण में इससे जुड़े विभिन्न मसलों से निपटने के लिए राज्य ने एक तंत्र की स्थापना की है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए कैंप लगाए गए और वहां पर उन्हें खाना मुहैया कराया गया । बिहार सरकार की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि ट्रेनों से आने वालों के अलावा सड़क मार्ग से करीब 10 लाख प्रवासी राज्य पहुंचे । उन्होंने कहा कि पंचायत, प्रखंड और ग्राम स्तर पर पृथक-वास केंद्रों में जरूरी व्यवस्था की गयी है और बाहर से आए लोगों को वहां रखा जा रहा है । बिहार के वकील ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों द्वारा किए गए टिकट के खर्चे के लिए राज्य सरकार उन्हें भुगतान कर रही है।
इस पर, पीठ ने कहा कि बिहार लगता है अकेला ऐसा राज्य है जो प्रवासियों को खर्चे का भुगतान करने पर काम कर रहा है। इसी तरह, राजस्थान के लिए पेश वकील ने पीठ को बताया कि राज्य ने सीमा पर कैंप लगाए और वहां पर करीब 7.5 लाख लोग पहुंचे । मामले में महाराष्ट्र की ओर से वकील जब पेश हुए तो पीठ ने उनसे पूछा कि कितने लोग घर जाने के लिए इंतजार कर रहे हैं और क्या उन्हें खाना मुहैया कराया गया है या नहीं। महाराष्ट्र के वकील ने जब राज्य द्वारा किए गए खर्चे के बारे में बताना चाहता तो पीठ ने कहा कि इसमें उसकी दिलचस्पी नहीं है।