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CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ अयोध्या समेत कई अन्य मामलों में 17 नवंबर से पहले सुनाएगी फैसला

By भाषा | Updated: October 30, 2019 06:02 IST

न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर भी फैसला सुनाएगी।

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ठळक मुद्देराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद प्रकरण में पीठ ने 40 दिन तक इस मामले में सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।फिलहाल शीर्ष अदालत में दीपावली की छुट्टी है और चार नवंबर को यह दोबारा खुलेगी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद प्रकरण और राफेल मामले में शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली अर्जी समेत कई महत्वपूर्ण मामले में उच्चतम न्यायालय के अगले आठ कामकाजी दिनों के दौरान फैसला सुनाने की उम्मीद है।

इस दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ शीर्ष अदालत के हवाले से ‘चौकीदार चोर है’ वाला बयान देने के लिये कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग वाली याचिका पर भी फैसला सुनाएगी।

न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर भी फैसला सुनाएगी। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की एक अन्य संविधान पीठ राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में भी अपना फैसला सुनाएगी।

पीठ ने 40 दिन तक इस मामले में सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फिलहाल शीर्ष अदालत में दीपावली की छुट्टी है और चार नवंबर को यह दोबारा खुलेगी। इसके बाद, न्यायालय में 11 और 12 नवंबर को छुट्टी रहेगी। इस तरह 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले न्यायमूर्ति गोगोई के पास सिर्फ आठ कामकाजी दिन बचेंगे।

चार अप्रैल को न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल और उसके केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ 2010 में दायर तीन अपीलों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि सीजेआई का कार्यालय सूचना का अधिकार कानून के दायरे में आता है। राफेल मामले में शीर्ष अदालत पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण की याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। इसमें उन्होंने शीर्ष अदालत के पिछले साल 14 दिसंबर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है।

न्यायालय ने अपने फैसले में फ्रांसीसी फर्म दसॉल्ट से 36 लड़ाकू विमानों खरीदने के लिये केंद्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट दी थी। 

टॅग्स :अयोध्या विवादराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामलासुप्रीम कोर्ट
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