नागरिकता कानून, आर्टिकल 370 और राम मंदिर फैसला, मोदी सरकार ने नेशनल सिक्योरिटी को ऐसे संभाला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 16, 2019 11:20 AM2019-12-16T11:20:08+5:302019-12-16T11:20:08+5:30
14 फरवरी को पुलवामा में हुए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हमले से लेकक नागरिकता कानून के खिलाफ असम में हो रही हिंसा तक, नेशनल सिक्योरिटी के मुद्दे पर मोदी सरकार की प्रतिक्रिया बेहद प्रभावशाली रही है।
12 दिसंबर की रात करीब दो बजे। गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों के दो शीर्ष अधिकारियों (तपन डेका और जीपी सिंह) को अपने घर बुलाया। यह बैठक राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पारित होने के कुछ घंटे बाद बुलाई गई थी। उस वक्त डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी से हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की खबरें आने लगी थी।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमित शाह ने बुलाए गए दोनों अधिकारियों को असम हिंसा से निपटने के लिए भेजने का फैसला किया। वो इस बात से परेशान थे कि जारी हिंसा को राज्य की बीजेपी सरकार ने कमतर आंका। तपन डेका और जीपी सिंह को सुबह 4 बजे विशेष विमान से गुवाहाटी के लिए भेजा गया। आधी रात को उठाए उस कदम का असर अब दिखने लगा है।
14 फरवरी को पुलवामा में हुए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हमले से लेकक नागरिकता कानून के खिलाफ असम में हो रही हिंसा तक, नेशनल सिक्योरिटी के मुद्दे पर मोदी सरकार की प्रतिक्रिया बेहद प्रभावशाली रही है।
जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त को आर्टिकल 370 हटाए जाने के साथ ही कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। फोन और इंटरनेट बंद कर दिये गए। इसका असर यह हुआ कि घाटी में जान की कोई क्षति नहीं हुई। अब प्रतिबंधों पर धीरे-धीरे ढील दी जा रही है।
केंद्र के सामने उस वक्त भी बड़ी चुनौती पेश हो गई थी जब सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद पर अपने फैसला सुनाया। तमाम ऐहतियाती कदम उठाते हुए इस फैसले के बाद भी किसी प्रकार की उलथ-पुथल को रोक दिया गया।
आर्टिकल 370 को हटाया जाना, राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला और अब नागरिकता संशोधन कानून; अगर सही समय पर सुरक्षा से जुड़े सही कदम ना उठाए गए होते तो प्रतिफल काफी गंभीर हो सकते थे। यहां केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका भी उल्लेखनीय है।