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नागरिकता (संशोधन) विधेयकः सेना ने ट्रेन के यात्रियों को भीड़ से बचाया, जो रेल के डिब्बों को आग लगाने पर उतारू थे

By भाषा | Updated: December 13, 2019 14:10 IST

सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि भीड़ ने नहारकाटिया में सिलचर-डिब्रुगढ ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस को घेर लिया और वे उसमें आग लगाने ही वाले थे कि सुरक्षा बल वहां पहुंच गए। उन्होंने बताया कि रेलवे अधिकारियों ने यात्रियों को बचाने के लिए तत्काल मदद का अनुरोध किया था।

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ठळक मुद्देउन्होंने बताया कि तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए सेना और असम राइफल्स की टुकड़ियां मौके पर पहुंच गईं। बाराक घाटी के बंगाली प्रभुत्व वाले कछार, करीमगंज और हिलाकंडी जिलों में बांग्लादश से आए हिन्दू प्रवासी रहते हैं।

समूचे असम में हजारों लोगों द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच सेना ने कहा कि उसने नहारकाटिया रेलवे स्टेशन पर एक एक्सप्रेस ट्रेन के यात्रियों को भीड़ से बचाया जो रेल के डिब्बों को आग लगाने पर उतारू थे।

सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि भीड़ ने नहारकाटिया में सिलचर-डिब्रुगढ ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस को घेर लिया और वे उसमें आग लगाने ही वाले थे कि सुरक्षा बल वहां पहुंच गए। उन्होंने बताया कि रेलवे अधिकारियों ने यात्रियों को बचाने के लिए तत्काल मदद का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए सेना और असम राइफल्स की टुकड़ियां मौके पर पहुंच गईं। उन्होंने तुरंत मौके से भीड़ को खदेड़ दिया।

असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बाराक घाटी के तीन बंगाली प्रभुत्व वाले जिलों का नजारा कुछ अलग है। वहां लोग इस विवादित विधेयक के पारित होने के बाद भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।

बाराक घाटी के बंगाली प्रभुत्व वाले कछार, करीमगंज और हिलाकंडी जिलों में बांग्लादश से आए हिन्दू प्रवासी रहते हैं। उन्होंने पीटीआई-भाषा से बातचीत करते हुए संसद द्वारा विधेयक पारित किए जाने पर खुशी जाहिर की और उम्मीद जताई कि अब उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी, जिसका वे अरसे से इंतजार कर रहे थे और वे बिना देश के नहीं रहेंगे। वहां रहने वाले अधिकतर लोग धार्मिक अत्याचारों की वजह से बांग्लादेश से भागकर आए थे और भारत में शरण ली थी।

करीमगंज में रहने वाले भोला ने कहा कि उन्हें बांग्लादेश के नोअखाली जिले के बेगमगंज का अपना घर छोड़ने को इसलिए मजबूर होना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी, क्योंकि उन पर अपनी बेटी की शादी मुस्लिम शख्स से करने का दबाव था और उन्होंने इससे इनकार कर दिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी दो बेटियां और एक बेटा है। वह शख्स मेरी 16 साल की बेटी से शादी करना चाहता था। मैंने अपनी अनुमति देने से इनकार कर दिया और उसी रात उसने और कुछ मुस्लिम व्यक्तियों ने मेरे घर पर हमला किया। हम जंगल में छुपने के लिए मजबूर हुए.... किसी ने भी मेरे परिवार को शरण नहीं दी और हमें भारत आने के लिए मजबूर होना पड़ा।’’

उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के साथ त्रिपुरा होते हुए करीमगंज आए। भोला ने कहा, ‘‘अब मेरे परिवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक बचा सकता है और हमें भारत की नागरिकता मिल सकती है। मेरा परिवार बहुत खुश है।’’ करीमगंज के रहने विश्वजीत नाथ ने कहा कि वह यही पैदा हुए थे लेकिन उनका और उनके परिवार के सदस्यों का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची में नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने सारे जरूरी दस्तावेज दिए थे फिर भी नाम नहीं आए। नाथ ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से हमें भारत की नागरिकता मिल सकती है।

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