CAA विरोध: चीन ने नागरिकता संशोधन कानून को भारत का आतंरिक मसला बताया, कुछ भी कहने से किया इंकार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 19, 2019 09:45 AM2019-12-19T09:45:46+5:302019-12-19T09:45:46+5:30
कांग्रेस-बीएसपी समेत कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर एक कानून को वापस लेने का आग्रह किया है।
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भारत में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पाकिस्तान ने इसे मुस्लिमों का उत्पीड़न बताया है लेकिन इस बार चीन उसके साथ नहीं है। हर मसले पर पाक के साथ खड़ा दिखने वाला चीन ने नागरिकता कानून को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। कोलकाता में चीन के कौंसिल जनरल झा लियोउ ने कहा है कि यह भारत का आंतरिक मसला है।
लियोऊ ने कहा, यह भारत का मामला है और उसे ही निपटाना है। कोलकाता में एक कार्यक्रम से इतर मीडिया के बातचीत में चीनी राजनयिक ने कहा, 'यह भारत का आंतरिक मामला है। हमें इसे लेकर कुछ भी नहीं कहना है। यह आपका देश है और अपने सभी मसले आपको खुद ही निपटाने हैं।'
12 दिसंबर को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद नागरिकता कानून लागू हो चुका है। कांग्रेस-बीएसपी समेत कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर एक कानून को वापस लेने का आग्रह किया है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का शिकार होने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।
इस कानून के लागू होने के बाद से ही देश के विश्वविद्यालयों सहित, असम, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। आज (19 दिसंबर) को वामदलों ने देशव्यापी बंद का आह्वान किया है। वहीं कांग्रेस पार्टी 28 दिसंबर को अपनी स्थापना दिवस के दिन आंदोलन शुरू करने की तैयारी में हैं।
वहीं पाकिस्तान ने अपने यहां अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न होने के आरोपों को बुधवार को एक बार फिर से खारिज कर दिया और कहा कि देश में हिंदुओं की आबादी में भारी गिरावट आने संबंधी भारत का दावा झूठा है। पाक विदेश कार्यालय (एफओ) ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान एक बार फिर इसे स्पष्ट रूप से खारिज करता है। बयान में कहा गया है कि भारत सरकार और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के बेबुनियाद आरोप लगाए और यह तथ्य गलत है कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की जनसंख्या 1947 के 23% से घटकर 2011 में 3.7% रह गई है।