ISRO के बाजार पर 'स्मार्ट ड्रैगन' की नजर, चीन ने कसी कमर, भारत से भी सस्ते में सैटेलाइट लॉन्च की तैयारी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 28, 2019 09:45 AM2019-10-28T09:45:04+5:302019-10-28T09:45:04+5:30
चीन ने ये कदम ऐसे समय में उठाया है जब भारत इस साल के अंत में मिनी-पीएसएलवी का टेस्ट लॉन्च करने की तैयारी में है। इसरो इस मिनी-पीएसएलवी को खासतर पर कॉमर्शियल जरूरतों के लिए बनाया है। इसकी लॉन्चिंग से पहले हीअमेरिका के सैटेलाइट उपभोक्ताओं ने बुकिंग करवा ली है।
दुनिया में सैटलाइट लॉन्चिंग का बाजार बढ़ता जा रहा है। इसमें भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को महारत हासिल है। अब भारत को चुनौती पेश करने के लिए चीन ने तैयारी कर ली है। टाइम्स ऑफ इंडिया का रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हाल ही में 'स्मार्ट ड्रैगन' नाम के एक रॉकेट का खुलासा किया है। ये कम कीमत में कॉमर्शियल सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजेगा। हालांकि इस औपचारिक लॉन्चिंग में कम से कम दो साल का वक्त लगेगा।
चीन ने ये कदम ऐसे समय में उठाया है जब भारत इस साल के अंत में मिनी-पीएसएलवी का टेस्ट लॉन्च करने की तैयारी में है। इसरो इस मिनी-पीएसएलवी को खासतर पर कॉमर्शियल जरूरतों के लिए बनाया है। इसकी लॉन्चिंग से पहले हीअमेरिका के सैटेलाइट उपभोक्ताओं ने बुकिंग करवा ली है।
इस मिनी-पीएसएलवी (अथवा एसएसएलवी) की खासियत यह है कि इसे 3-4 दिन में असेंबल किया जा सकता है। इसके अलावा नॉर्मल पीएसएलवी रॉकेट की अपेक्षा इसकी कीमत भी सिर्फ दसवें भाग के बराबर ही है।
चीन के 'स्मार्ट ड्रैगन' परिवार में एसडी-1, एसडी-2 और एसडी-3 शामिल हैं। एसडी-1 लॉन्चर ने अपनी पहली उड़ान 17 अगस्त को भरी थी। यह 200 किलो क्षमता के सैटेलाइट उठा सकता है। एसडी-2 की क्षमता 500 किलो है और यह 2020 में लॉन्च होगा। एसडी-30 की क्षमत डेढ़ टन है और यह 2021 में लॉन्च होगा।
यद्यपि चीन की स्पेस इंडस्ट्री भारत से काफी पीछे हैं लेकिन हालिया लॉन्च से वो अपनी जगह बनाने की कोशिश करेगा। चीन ने 2014 में अपनी अंतरिक्ष नीति में बदलाव करते हुए प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी की भी अनुमति दे दी है। इसकी वजह से करीब आधा दर्जन नई कॉमर्शियल लॉन्च कंपनियां उभर कर सामने आई हैं।