लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: जी-20 बैठक से पहले चीन की पैंतरेबाजी

By शोभना जैन | Updated: September 1, 2023 10:09 IST

यह नक्शा ऐसे वक्त जारी हुआ है जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जी-20 शिखर बैठक में हिस्सा लेने का न्यौता भेजा जा चुका है।

Open in App

भारत की अध्यक्षता में अगले सप्ताह होने वाली जी-20 की अहम शिखर बैठक से ठीक पहले चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन और कई अन्य इलाकों को अपनी सीमा के अंदर दिखाने का नया नक्शा तो जारी किया ही है।

इसके साथ ही ऐसी सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आईं जिसमें अक्साई चिन इलाके में चीन बंकर बनाने, अत्याधुनिक असलहा रखने और सुरंगें बिछाने का काम कर रहा है यानी वह वहां अपनी सैन्य उपस्थिति मजबूत कर रहा है।

यह नक्शा ऐसे वक्त जारी हुआ है जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जी-20 शिखर बैठक में हिस्सा लेने का न्यौता भेजा जा चुका है। हालांकि फिलहाल तो उनकी उपस्थिति को लेकर अनिश्चितता की स्थिति है और अपुष्ट खबरों के अनुसार जिनपिंग शायद इस शिखर बैठक में शामिल भी न हों।

भारतीय क्षेत्रों को अपने मैप में दिखाने की चीन की इस हरकत को लेकर पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा, ‘बेतुके दावे करने से दूसरों के इलाके आपके नहीं हो सकते।

ऐसा करना उनकी पुरानी आदत रही है. अक्साई चिन और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है। हमारी सरकार का रुख देश के हिस्सों को लेकर बेहद साफ है।’ 

क्या जी-20 बैठक से पूर्व चीन के इस कदम को केवल एक सामान्य कदम माना जा सकता है? खासतौर पर जब चीन ने ये नक्शे जोहान्सबर्ग में हुए ब्रिक्स शिखर बैठक के ठीक बाद जारी किए। कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर चर्चा हुई थी।

दोनों देशों ने एलएसी पर सेना के बीच गतिरोध बातचीत के जरिये सुलझाने पर जोर दिया था। हालांकि ये भी तल्ख सच्चाई है कि दोनों की स्थितियों में अभी भी व्यापक मतभेद है।

चीन पहले भी इन भारतीय इलाकों पर अपना दावा करता रहा है। चीन की इस हरकत पर भारत की प्रतिक्रिया दोटूक और स्वाभाविक ही है, जिसमें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भी कहा, ‘चीनी पक्ष की ओर से इस तरह के कदम सीमा के सवाल को सुलझाने की जगह इसे सिर्फ उलझाएंगे।’

गौरतलब है कि नक्शे में भारत के इलाकों के अलावा पूरे दक्षिण चीन सागर और ताइवान को भी चीन का हिस्सा दिखाया गया है। चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में चीन का अपने पड़ोसियों के साथ विवाद है।

चीन ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पिछले 6 दशकों से करीब 38 हजार वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है। अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को अन्य भारतीयों की तरह सामान्य वीजा न देकर नत्थी (स्टेपल) वीजा जारी करना चीन की इसी विस्तारवादी साजिश का हिस्सा है।

दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी-20 सम्मेलन होना है. उससे पहले देश के विभिन्न हिस्सों में इसकी तैयारियों से जुड़े समूहों और मुख्य मुद्दों से जुड़े विभिन्न देशों की मंत्रिस्तरीय बैठकें हो रही हैं। विदेश नीति से जुड़े एक विशेषज्ञ के अनुसार जी-20 शिखर बैठक की तैयारियों से जुड़े विभिन्न ग्रुपों की बैठकों में पिछले कई सप्ताह से भारत और चीन के वार्ताकार कई मुद्दों पर उलझे हुए हैं।

भारत और चीन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच पिछले कुछ सप्ताह से तनाव बढ़ रहा है. जुलाई में भारत की अध्यक्षता में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के बाद से ही चीन का विरोध तल्ख हो रहा है।

यहां तक कि उसे वसुधैव कुटुंबकम्‌ श्लोक पर भी आपत्ति थी। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने जी-20 के लोगो में संस्कृत श्लोक ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के इस्तेमाल पर कहा है कि वह इस श्लोक के सिर्फ अंग्रेजी अनुवाद ‘एक दुनिया, एक परिवार, एक भविष्य’ का इस्तेमाल ही दस्तावेजों और बयानों में कर रहा है।

समझा जाता है कि चीन ने जी-20 के दस्तावेजों में संस्कृत जैसी गैर-संयुक्त राष्ट्र भाषा के इस्तेमाल पर आपत्ति जाहिर की है। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मैक्सर टेक्नोलॉजीज से मिले डाटा से साफ है कि चीनी सेना अक्साई चिन के 15 वर्ग किमी के इलाके की छह जगहों पर सैन्य निर्माण कर रही है।

चीन के विस्तारवादी एजेंडा और उलझते हुए रुख, वादाखिलाफी की वजह से आपसी रिश्तों में तनाव बढ़ता जा रहा है। जून 2020 के लद्दाख के गलवान में चीन द्वारा निहत्थे भारतीय सैनिकों पर किए नृशंस हमले के बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने डटी हैं।

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव दूर करने के लिए दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के कोर कमांडर स्तर की बातचीत के 19 दौर के बावजूद सीमा पर तनाव बरकरार है।

ऐसे में देखना है कि क्या शी जी-20 बैठक में हिस्सा लेने भारत आते हैं. अगर वे आते हैं तो उनका क्या एजेंडा रहता है? और फिर सब से अहम बात, क्या जी-20 सम्मेलन के इतर उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अलग से सीमा पर तनाव कम करने पर ऐसी कोई बातचीत होती है, जिसका नतीजा भी सीमाओं पर देखा जा सके?

क्या यह सच नहीं है कि चीन जिन दोनों पक्षों की बात कर रहा है, उसका एक पक्ष चीन भी है और अपने विस्तारवादी एजेंडे से हट कर रिश्तों को ईमानदारी से संभालने का दारोमदार उसका भी है!

टॅग्स :जी20भारतचीन
Open in App

संबंधित खबरें

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारत अधिक खबरें

भारतHardoi Fire: हरदोई में फैक्ट्री में भीषण आग, दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद

भारतWest Bengal: मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी शैली की मस्जिद’ के शिलान्यास को देखते हुए हाई अलर्ट, सुरक्षा कड़ी

भारतKyrgyzstan: किर्गिस्तान में फंसे पीलीभीत के 12 मजदूर, यूपी गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: कहां से आया 'जय भीम' का नारा? जिसने दलित समाज में भरा नया जोश

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: आज भी मिलिंद कॉलेज में संरक्षित है आंबेडकर की विरासत, जानें