कश्मीर में ‘चिल्ला-ए-कलां’ शुरू?, घाटी में पड़ने वाली 40 दिनों की भीषण सर्दी क्या होती है?

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: December 20, 2025 16:52 IST2025-12-20T16:30:18+5:302025-12-20T16:52:22+5:30

Chillai Kalan in Kashmir: श्रीनगर में तापमान शून्य से 6 डिग्री नीचे गिरने के कारण रात के दौरान डल झील की ऊपरी पानी की परत कई क्षेत्रों में जम गई थी।

Chillai Kalan in Kashmir What 40-day intense winter valley witnesses extreme cold from tonight know the weather update | कश्मीर में ‘चिल्ला-ए-कलां’ शुरू?, घाटी में पड़ने वाली 40 दिनों की भीषण सर्दी क्या होती है?

file photo

HighlightsChillai Kalan in Kashmir: उम्मीद जताई की 22 दिसम्बर से बर्फबारी हो सकती है।Chillai Kalan in Kashmir: मैदानी इलाकों में बारिश और बर्फबारी होगी और सूखे से निजात मिलेगी।Chillai Kalan in Kashmir: पर्यटनस्थलों पर रात के दौरान पारा शून्य डिग्री से नीचे चला गया है।

जम्मूः कश्मीर में 40 दिनों की सबसे कठोर सर्दियों की अवधि में से एक - चिल्लेकलां - आज रात यानि रविवार की रात को शुरू हो जाएगा। चिल्लेकलां एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ है ‘प्रचंड ठंड’। इस दौरान अब चल रही शीत लहर अपने चरम पर पहुंच जाएगी और कश्मीर के पहाड़ हफ्तों तक बर्फ से ढके रहेंगे और डल झील भी हिमांक बिंदु तक पहुंच जाएगी। कश्मीर में 40 दिनों का भयानक सर्दी का मौसम, जिसे स्थानीय भाषा में चिल्लेकलां कहा जाता है, सूखे के साथ ही आरंभ होगा। फिर भी कश्मीरियों को आस है कि जल्द मैदानी इलाकों में बारिश और बर्फबारी होगी और सूखे से निजात मिलेगी।

वैसे मौसम विज्ञान विभाग का कहना था कि चिल्लेकलां पर मौसम मुख्य रूप से आंशिक रूप से बादल छाए रहने के लिए साफ है। और उन्होंने उम्मीद जताई की 22 दिसम्बर से बर्फबारी हो सकती है। इतना जरूर था कि श्रीनगर में तापमान शून्य से 6 डिग्री नीचे गिरने के कारण रात के दौरान डल झील की ऊपरी पानी की परत कई क्षेत्रों में जम गई थी।

झील पर रहने वाले एक स्थानीय निवासी अब्दुल रहीम का कहना था कि झील के अंदरूनी हिस्से जम गए हैं और हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में झील पूरी तरह से जम जाएगी, क्योंकि ठंड तेज हो रही है। कश्मीर के सभी महत्वपूर्ण पर्यटनस्थलों पर रात के दौरान पारा शून्य डिग्री से नीचे चला गया है।

कश्मीर की सर्दी तीन चरणों में समाप्त हो जाती है, जो 21 दिसंबर (चिल्ले कलां) से 40 दिनों की तीव्र अवधि के साथ शुरू होती है, इसके बाद 20 और दिन कम तीव्र (चिल्ले खुर्द) और अंत में 10 दिनों की हल्की ठंड (चिल्ले बच्चा) होती है। मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, नवंबर और दिसंबर के महीने अब तक के प्रमुख हिस्से के लिए शुष्क थे, इस साल कश्मीर में औसत बारिश या बर्फबारी दर्ज की गई।

क्या है चिल्लेकलां

कश्मीर में 21 और 22 दिसम्बर की रात से सर्दी के मौसम की शुरूआत मानी जाती है। करीब 40 दिनों तक के मौसम को चिल्लेकलां कहा जाता है। चिल्लेकलां करीब 40 दिनों तक चलता है और उसके बाद चिल्ले खुर्द और फिर चिल्ले बच्चा का मौसम आ जाता है। दरअसल कश्मीर घाटी एक सर्द इलाका है। यहां साल के तकरीब 7 महीनों में मौसम ठंडा ही रहता है।

सर्दियों का मौसम शुरू होते ही तापमान में गिरवाट आना शुरू हो जाती है और धीरे धीरे यह जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है जिससे समूची वादी शीत लहर की चपेट में आ जाती है। 21 दिसंबर से वादी में सर्दियों का सब से कठिन दौर 40 दिवसीय चिल्लेकलां शुरू हो जाता है। चिल्ले कलां में कडा़के की ठंड पड़ती है। आसमान घने बादलों से ढका रहता है।

इस दौरान अमूमन बर्फबारी होती है। तापमान जमाव बिंदु से नीचे बना रहता है जिसके चलते तमाम जलस्रोत जम जाते हैं। चिल्ले कलां के बाद 20 दिवसीय चिल्ले खुर्द शुरू होता है। चिल्ले खुर्द चिल्ले कलां में पड़ने वाली ठंड से कम तीव्रता वाला होता है। इस दौरान भी बर्फबारी होती है लेकिन तापमान जमाव बिंदु से ऊपर आना शुरू हो जाता है। चिल्लेखुर्द की समाप्ति के बाद 10 दिवसीय चिल्लेबच्चा शुरू हो जाता है। यह चिल्लेकलां व चिल्लेखुर्द में पड़ने वाली ठंड से कम तीव्रता से कम होता है।

इस दौरान जमीन जोकि तापमान के जमाव बिंदु से नीचे चले जाने के चलते ठंडी पड़ी हुई होती है, गर्म होनी शुरू हो जाती है। चिल्लेबच्चा की समाप्ति के साथ ही वादी में 70 दिनों तक रहने वाली कड़ाके की ठंड का न केवल दौर समाप्त हो जाता है बलकि इसके साथ ही सर्दियों का मौसम भी रुख्सत हो जाता है।

कश्मीर में आसान नहीं है जीवन सर्दी में

कश्मीर में सर्दी का मौसम आते ही कश्मीरवासियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे यहां के निवासियों की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। कश्मीरियों का मानना है कि ठंड वादी में जीवन की एक खासियत है, लेकिन इसके साथ-साथ जरूरी वस्तुओं की कमी, बिजली की कटौती और कालाबाजारी की बढ़ती गतिविधियां लोगों के लिए सर्दियों को खास तौर पर मुश्किल बना रही हैं।

श्रीनगर के पुराने शहर में रहने वाले मोहम्मद असलम के बकौल, हाल के वर्षों में कश्मीर की सर्दियों का पारंपरिक आकर्षण रोजमर्रा की जिंदगी के संघर्षों के कारण फीका पड़ गया है। ठंड की शुरुआत के साथ ही हीटिंग सप्लाई, गर्म कपड़े और ईंधन और खाद्य जैसे जरूरी सामानों की मांग आसमान छू जा रही हैं।

हालांकि, लगातार आपूर्ति की कमी और कालाबाजारी करने वालों की वजह से बढ़ती कीमतों ने पहले से ही सीमित संसाधनों से जूझ रहे परिवारों पर काफी दबाव बढ़ा दिया है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सेवाओं के प्रबंधन से चुनौतियां लगातार और बढ़ रही हैं। बिजली कटौती, जो अक्सर लंबे समय तक हो रही है, ठंड के महीनों में कई निवासियों को गर्मी और रोशनी के बिना छोड़ रही है।

कुछ इलाकों में पाइप जम जाने के कारण पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है, जिससे दैनिक जीवन और भी मुश्किल हो गया है।  एक अन्य स्थानीय निवासी का कहना था कि जलवायु परिवर्तन से खराब हुए मौसम की अप्रत्याशितता ने कठोर परिस्थितियों के लिए तैयार रहना और भी कठिन बना दिया है, और इन मुद्दों को दूर करने के लिए प्रशासन के प्रयास स्थानीय आबादी के लिए निरंतर चिंता का विषय बने हुए हैं।

इन बढ़ती कठिनाइयों के बावजूद, कश्मीर के लोग उल्लेखनीय लचीलापन प्रदर्शित करना जारी रखे हुए हैं। समुदाय संसाधनों को साझा करने, हीटिंग समाधानों के साथ एक-दूसरे की मदद करने और सर्दियों की चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव तरीके खोजने के लिए एक साथ आ रहे हैं। 

हालांकि, कई निवासी प्रशासन से आवश्यक आपूर्ति के सुचारू वितरण को सुनिश्चित करने, कीमतों को स्थिर करने और सेवाओं के प्रबंधन में सुधार करने के लिए अधिक प्रभावी उपाय करने का आह्वान कर रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों से मजबूत समर्थन के बिना, कश्मीरियों को डर है कि सर्दियों के महीने और भी असहनीय हो रहे हैं।

Web Title: Chillai Kalan in Kashmir What 40-day intense winter valley witnesses extreme cold from tonight know the weather update

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे