महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी के साथ शिवसेना के गतिरोध के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ भी कहने से बचते नजर आये। नीतीश कुमार ने महाराष्ट्र की सियासत से जुड़े पत्रकारों के सवाल पर कहा कि इस पूरे मसले से उनका कोई मतलब नहीं है। दरअसल, पत्रकारों ने पूछा कि शिवसेना ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है, इस पर वे क्या कहेंगे? इस सवाल पर नीतीश ने कहा, 'वो जाने भाई इसमें हमको क्या मतलब है?'
बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी एनडीए का हिस्सा है। हालांकि, इसी साल नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल से ठीक पहले मंत्री पद के बंटवारे को लेकर जेडीयू और बीजेपी के बीच कुछ गतिरोध नजर आया था। हालांकि, तब दोनों पार्टियों ने इससे इनकार किया था।
दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल एकमात्र शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने मत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी है। इसे एनसीपी की ओर से रखी गई शर्त के बाद उठाया गया कदम माना जा रहा है। एनसीपी ने प्रस्ताव रखा है कि अगर शिवसेना को सरकार बनाने के लिए एनसीपी के साथ आना है तो सबसे पहले केंद्र के मोदी सरकार से नाता तोड़ना होगा।
बीजेपी के शिवसेना को सीएम पद देने से इनकार और 50-50 के फॉर्मूले पर दोनों पार्टियों के बीच जारी गतिरोध के बाद कयास लगाये जा रहे हैं कि उद्धव ठाकरे एनसीपी के साथ जा सकते हैं। बीजेपी के इनकार के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी शिवसेना को सरकार बनाने का रविवार को न्योता भेजा था।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना के पास 56 विधायक हैं। वहीं, एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। ये दोनों पार्टियां अगर शिवसेना का साथ देती हैं तो पार्टी सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है। बीजेपी के पास 105 विधायक हैं लेकिन शिवसेना के साथ गतिरोध के बाद उसने सरकार बनाने से इनकार कर दिया है।