'चौकीदार चोर है' बनाम 'जमानती गांधी परिवार', कौन जीतेगा राजनीतिक धारणाओं के इस खेल में?
By विकास कुमार | Published: February 12, 2019 02:55 PM2019-02-12T14:55:26+5:302019-02-12T14:55:26+5:30
प्रियंका गांधी हर पूछताछ में रॉबर्ट वाड्रा के साथ दिखना चाहती हैं ताकि देश के लोगों में ये सन्देश जाए कि अत्याचारी मोदी के सामने गांधी परिवार डट कर खड़ी है. इसलिए 'हम साथ-साथ हैं' की पॉलिटिकल शूटिंग जारी है.
लोकसभा चुनाव से पहले देश की राजनीति में धारणाओं को स्थापित करने का खेल शुरू हो चुका है. पीएम मोदी ने जहां जमानती गांधी परिवार पर मोर्चा खोला है वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चौकीदार को ही चोर साबित करने पर तुले हैं. राहुल गांधी और सोनिया गांधी नेशनल हेरल्ड केस में जमानती तौर पर बाहर हैं तो राहुल गांधी भी राफ़ेल डील के जरिये नरेन्द्र मोदी को चुनाव से पहले पब्लिक परसेप्शन में किसी तरह उनकी तथाकथित भ्रष्टाचारी छवि को स्थापित कर देना चाहते हैं. तभी तो मीडिया से दूरी बनाकर रखने वाले राहुल गांधी हर हफ्ते प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं. बीते दिन लखनऊ में हुए रोड शो में राफ़ेल विमान लहराया गया और चौकीदार चोर है के नारे को आसमानी बुलंदी तक पहुंचाया गया.
रॉबर्ट वाड्रा बनाम राफ़ेल
आये दिन रैलियों में जमानती गांधी परिवार की चर्चा नरेन्द्र मोदी करते हैं. सन्देश साफ है कि ईमानदार बनाम बेईमान और परिवारवाद बनाम राष्ट्रवाद के नैरेटिव के साथ प्रधानमंत्री जनता को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन देश के लिए सोचता है और किसकी श्रद्धा केवल राजनीतिक सत्ता में है. राहुल गांधी भी राफ़ेल को बोफोर्स बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं. एक नियमित अंतराल के बाद और एक नए सबूत के साथ राफेल को लेकर मोदी को घेरने के उनके प्रयास ने धीरे-धीरे अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है.
अनिल अंबानी हैं 'बलि का बकरा'
बीजेपी राफेल को लेकर एक पल में आक्रामक हो जाती है तो दूसरे ही पल रक्षात्मक रूख अपना लेती है. लेकिन एक सवाल ये भी है कि अगर राफ़ेल डील शक के घेरे में है तो फिर बार-बार अनिल अंबानी का ही नाम क्यों लिया जा रहा है और राहुल गांधी अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ देने की बातें क्यों कर रहे हैं, जबकि यह पूरी डील ही 55 हजार करोड़ रुपए की है. दरअसल अनिल अंबानी हमेशा से नरेन्द्र मोदी के समर्थक रहे हैं. 2011 में सबसे पहले अनिल अंबानी ने ही कहा था कि नरेन्द्र मोदी में प्रधानमंत्री बनने की सारी खूबियाँ हैं. राहुल गांधी को ये पता है कि राफ़ेल डील में नरेन्द्र मोदी और अनिल अंबानी का कनेक्शन स्थापित करने पर जनमानस में चौकीदार चोर है कि धरना स्वतः स्थापित हो जाएगी.
ईडी क्यों हुई सक्रिय
रॉबर्ट वाड्रा से पिछले तीन दिनों से ईडी की ताबड़तोड़ पूछताछ चल रही है. एक बार ठहर कर ये सोचना होगा कि आखिर इस वक्त ईडी इतनी ज्यादा सक्रिय कैसे हो गई है? रॉबर्ट वाड्रा लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े राजनीतिक हथियार बनने वाले थे इसका अंदेशा किसी को नहीं था, जैसे-जैसे राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है के नारे को पूरी ताकत के साथ उछालना शुरू किया वैसे-वैसे ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया. परसेप्शन और एक्सपोज होने का डर चुनाव से पहले नेताओं को सबसे ज्यादा होता है.
पॉलिटिकल फिक्सिंग है क्या
सोमवार को लखनऊ की सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. कहने वाले तो ऐसा भी कह रहे थे कि इससे पहले इस शहर ने ऐसा स्वागत तो अटल बिहारी वाजपेयी का भी नहीं किया था. प्रियंका गांधी को भाषण भी देना था लेकिन उनकी जगह खुद राहुल गांधी ने छोटा सा भाषण दिया. ऐसा कहा गया कि प्रियंका को अगले दिन बीकानेर जाना है इसलिए वो भाषण नहीं दे पाएंगी. दरअसल अगर पूरे पहलू पर गौर किया जाए तो कभी-कभी ये पूरा मामला म्यूच्यूअल अंडरस्टैंडिंग का लगता है जहां दोनों पार्टियों के सुप्रीमों को पता है कि हमें एक-दूसरे के खिलाफ कितना माहौल बनाना है और कब-कब बनाना है.
प्रियंका गांधी हर पूछताछ में रॉबर्ट वाड्रा के साथ दिखना चाहती हैं ताकि देश के लोगों में ये सन्देश जाए कि अत्याचारी मोदी के सामने गांधी परिवार डट कर खड़ी है. इसलिए 'हम साथ-साथ हैं' की पॉलिटिकल शूटिंग जारी है.