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Chandrayaan-2: ऑर्बिटर ने भेजी गायब विक्रम लैंडर की लोकेशन, जानें अब तक की 10 बड़ी बातें

By रामदीप मिश्रा | Updated: September 8, 2019 15:38 IST

Chandrayaan-2: भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था।

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ठळक मुद्देChandrayaan-2 (चंद्रयान-2) को लेकर रविवार को एक अच्छी खबर मिली है कि विक्रम लैंडर की लोकेशन मिल गई।चंद्रमा की सतह को छूने से चंद मिनट पहले लैंडर 'विक्रम' का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था, जिसके बाद पूरे देश में मायूसी छा गई थी।

Chandrayaan-2 (चंद्रयान-2) को लेकर रविवार को एक अच्छी खबर मिली है कि विक्रम लैंडर की लोकेशन मिल गई। दरअसल, चंद्रमा की सतह को छूने से चंद मिनट पहले लैंडर 'विक्रम' का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था, जिसके बाद पूरे देश में मायूसी छा गई, लेकिन भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए यह एक बड़ा कदम कहा गया और पूरा देश उसके साथ खड़ा दिखाई दिया। हर तरफ उसकी तारीफ की गई। बता दें, 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था। आइए आपको बताते हैं Chandrayaan-2 से जुड़ी दस अहम बातें।

1- इसरो प्रमुख के सिवन ने रविवार को बताया है कि विक्रम लैंडर की लोकेशन मिल गई है और ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल इमेज क्लिक की है, लेकिन अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है। हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। जल्द ही इससे संपर्क कर लिया जाएगा।

2- इसरो के अधिकारी कह रहे हैं कि ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में पूरी तरह ठीक एवं सुरक्षित है और सामान्य तरीके से काम कर रहा है। 2379 किलोग्राम ऑर्बिटर के मिशन का जीवन काल एक साल है। 

3- चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा 'ट्रांस लूनर इन्सर्शन' नाम की प्रक्रिया को अंजाम दिए जाने के बाद शुरू की थी। 

4- चंद्रयान-2 के 'ऑर्बिटर' में चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करने और पृथ्वी के इकलौते उपग्रह के बाह्य परिमंडल का अध्ययन करने के लिए आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं।  

5- इसरो ने दो सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर को अलग करने में सफलता पाई थी, लेकिन शनिवार तड़के विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था।

6- लैंडर को रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। 

7- 'विक्रम' लैंडर को चांद की सतह की तरफ लाने की प्रक्रिया योजना के अनुरूप और सामान्य देखी गई थी, लेकिन जब यह चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था तो तभी इसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटा। कहा गया कि लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद 95 फीसदी मिशन ठीक है।

8- 12 जून को  इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने घोषणा की कि चंद्रमा पर जाने के लिए भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा। 5 जुलाई को इसरो ने महज एक घंटे पहले प्रक्षेपण यान में तकनीकी खामी के कारण चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया था, जिसके बाद 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।

9- बताया गया कि 24 जुलाई को चंद्रयान-2 के लिए पृथ्वी की कक्षा पहली बार सफलतापूर्वक बढ़ाई गई। वहीं, इसरो ने 4 अगस्त को चंद्रयान-2 उपग्रह से ली गई पृथ्वी की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया और 14 अगस्त को चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक 'लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी' में प्रवेश किया किया था।

10- इसरो ने 22 अगस्त को चंद्रमा की सतह से करीब 2,650 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रयान-2 के एलआई4 कैमरे से ली गई चंद्रमा की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया। 26 अगस्त को टेरेन मैपिंग कैमरा-2 से ली गई चंद्रमा की सतह की तस्वीरों के दूसरे सैट को जारी किया। वहीं, 02 सितंबर को लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से अलग हुआ और 03 सितंबर को विक्रम को चंद्रमा के करीब लाने के लिए पहली डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई। इसके बाद 04 सितंबर को दूसरी डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई और 07 सितंबर को लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह पर लैंड करवाने से पहले ही प्रथ्वी के स्टेशन से संपर्क टूट गया।(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

टॅग्स :चंद्रयानभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनचंद्रमा
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