बिहार में चमकी बुखार के पीछे हो सकता है एस्बेस्टस के घरों में रहना भी एक कारण
By एस पी सिन्हा | Published: July 1, 2019 05:38 AM2019-07-01T05:38:14+5:302019-07-01T05:38:14+5:30
मुजफ्फरपुर स्थित श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में बच्चों का इलाज करने के लिए पहुंची एम्स दिल्ली के डॉक्टरों की टीम ने उन बच्चों के घरों का दौरा किया जो चमकी की बुखार की चपेट में आकर अपना दम तोड़ दिए थे. मुजफ्फरपुर में ही इस बुखार का असर सबसे अधिक था.
बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों का इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात की ओर इशारा किया है कि एस्बेस्टस के घरों में रहना भी इस बीमारी का एक कारण हो सकता है. बता दें कि इस बीमारी से मरने वाले बच्चों की की संख्या लगभग 190 के आसपास पहुंच चुकी है. हालांकि बारिश के बाद कुछ दिन के लिए हालात में सुधार आया था, लेकिन फिर से बच्चों की मौत की खबरें आई हैं.
मुजफ्फरपुर स्थित श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में बच्चों का इलाज करने के लिए पहुंची एम्स दिल्ली के डॉक्टरों की टीम ने उन बच्चों के घरों का दौरा किया जो चमकी की बुखार की चपेट में आकर अपना दम तोड़ दिए थे. मुजफ्फरपुर में ही इस बुखार का असर सबसे अधिक था.
डॉक्टरों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लगातार हो रही बच्चों की मौत के पीछे कुपोषण और जागरूकता की कमी के अलावा घरों में एसबेस्टस (सीमेंट से बनी) की छत को भी एक बड़ा कारण है. इन घरों का तापमान रात में भी कम नहीं होता है. एसबेस्टस की छत के नीचे रहने वाले अधिकतर बच्चे उमस भरी गर्मी की चपेट में आने के बाद चमकी बुखार से पीड़ित हुए.
डॉक्टरों ने यह भी पाया कि चमकी बुखार के चपेट में आए इलाके के बच्चों को जापानी इंसेफेलाइटिस का वैक्सीन (टीका) नहीं लगाया गया था. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का मस्तिष्क प्रभावित होता है और इसका सबसे ज्यादा असर 10 साल से कम बच्चों पर ज्यादा होता है.
वहीं, जिन घरों में डॉक्टर पहुंचे थे वहां ज्यादातर घर में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी और साफ-सफाई की स्थिति भी चिंताजनक थी. डॉक्टरों की रिपोर्ट पर बिहार सरकार राज्य के दोनों सदनों में अगले सप्ताह तक विस्तृत जवाब दे सकती है.