बिहार: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से अब तक 129 बच्चों की मौत, लापारवाही के चलते सीनियर डॉक्टर निलंबित
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 23, 2019 08:41 AM2019-06-23T08:41:51+5:302019-06-23T08:41:51+5:30
chamki fever bihar live updates: इस बिमारी से बिहार के 16 जिले प्रभावित हैं। बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि एईएस फैलने का कारण क्या है?
बिहार में चमकी बुखार से बच्चों के मरने का सिलसिला नहीं थम रहा है। मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से एक और बच्चे की मौत हो गई है। मुजफ्फरपुर में अब तक कुल 129 बच्चों की मौत हो चुकी है। एसकेएमसीएच में 109 और केजरीवाल अस्पताल में 20 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं, एसकेएमसीएच के एक सीनियर डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है।
एएनआई न्यूज एजेंसी के मुताबिक वरिष्ठ डॉक्टर भीमसेन कुमार को ड्यूटी के दौरान लापरवाही की वजह से निलंबित किया है। स्वास्थ्य विभाग ने उनकी तैनाती 19 जून को एसकेएमसीएच में पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) के बाल रोग विशेषज्ञ में की थी।
Bihar: Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) rises to 129 in Muzaffarpur। 109 deaths at SKMCH & 20 deaths at Kejriwal hospital। pic।twitter।com/kFzxxSxwS9
— ANI (@ANI) June 23, 2019
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले में ही अब तक 580 बच्चे बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं। इस तरह से चमकी बुखार का प्रकोप जारी है। तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चों की मौत नहीं थम रही है। चमकी बुखार से बच्चों की मौत की संख्या तो बढ़ ही रही है, नए मरीजों की संख्या में भी कमी नहीं आ रही है।
आज भी एसकेएमसीएच में 15 नए बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। एईएस के तय प्रोटोकॉल के तहत इनका इलाज किया जा रहा है। इस बिमारी से बिहार के 16 जिले प्रभावित हैं। बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि एईएस फैलने का कारण क्या है? लेकिन कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में पिछले एक महीने से पड़ रही भयंकर गर्मी से इसका ताल्लुक है।
हालांकि कुछ स्टडीज में लीची को भी मौतों का जिम्मेदार ठहराया गया है। मुजफ्फरपुर लीची के लिए खासा मशहूर है। हालांकि कई परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों ने हालिया हफ्तों में लीची नहीं खाई है। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित गरीब परिवारों से आते हैं जो कुपोषण और पानी की कमी से जूझ रहे हैं।