मणिपुर हिंसा की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष इंफाल पहुंचे, 6 महीने के भीतर देगी होगी रिपोर्ट
By अंजली चौहान | Published: June 10, 2023 09:21 AM2023-06-10T09:21:50+5:302023-06-10T09:35:34+5:30
मणिपुर में हुई हिंसा के लिए गृह मंत्रालय द्वारा बनाए गए जांच आयोग को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी। मामले की जांच के लिए टीम इंफाल पहुंच गई है।
इंफाल: भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में फैली जातीय हिंसा की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के अध्यक्ष मणिपुर पहुंच चुके हैं। न्यायिक जांच आयोग गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति अजय लांबा हैं।
साथ ही इसके सदस्य हिमांशु शेखर दास (सेवानिवृत्त) आईएएस भी इंफाल पहुंचे हैं। इस दौरान मणिपुर सरकार के मुख्य सचिव विनीत जोशी और मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह ने इंफाल हवाई अड्डे पर अध्यक्ष और सदस्य दोनों का स्वागत किया। गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग इस मामले की जांच शुरू करेगा।
दरअसल, मणिपुर में 3 मई को बड़े पैमाने पर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। इसके कारण मणिपुर में तनाव का माहौल हो गया हर तरफ अफरातफरी और आगजनी।
इस हिंसा में मणिपुर के कई नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। वहीं, अब भी कई लोग घायल है कई लोगों को अपने घरों को छोड़ भागना पड़ा। दंगाईयों ने कई घरों, दुकानों को अपना निशाना बनाया जिसे आग के हवाले कर दिया गया।
इसके बाद मणिपुर सरकार ने 29 मई को न्यायिक जांच आयोग गठित करने की सिफारिश की थी। ताकि संकट के कारणों और संबद्ध कारकों और 3 मई और उसके बाद हुई घटनाओं को जांच आयोग अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के तहत देखा जा सके।
गृह मंत्रालय की ओर से 4 जून को न्यायमूर्ति अजय लांबा, हिमांशु शेखर दास और आलोक प्रभाकर से मिलकर एक जांच आयोग नियुक्त किया जो कि बीते शुक्रवार को इंफाल पहुंचे।
छह महीने के भीतर पेश करनी होगी रिपोर्ट
गौरतलब है कि जांच आयोग को छह महीने के भीतर हिंसा की जांच की रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। आज से छह महीने बाद आयोग की पहली बैठक होने वाली है जिससे पहले इस रिपोर्ट का तैयार होना आवश्यक है।
जांच आयोग का मुख्यालय इंफाल में होगा। जानकारी के अनुसार, ये जांच उन शिकायतों या आरोपों के संबंध में भी होगी जो किसी व्यक्ति या संघ द्वारा पैनल के समक्ष ऐसे रूप में और ऐसे हलफनामों के साथ की जा सकती हैं, जैसा कि आयोग द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है।
आयोग राज्य में हुई विभिन्न समुदायों के सदस्यों को निशाना बनाकर की गई हिंसा और दंगों के कारणों और प्रसार की जांच करेगा और उसके बाद की घटनाओं का क्रम और इस तरह की हिंसा से संबंधित सभी तथ्यों की जांच करेगा।
किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों या व्यक्तियों की ओर से इस संबंध में कर्तव्य की कोई चूक या अवहेलना, उक्त हिंसा और दंगों को रोकने और निपटने के लिए किए गए प्रशासनिक उपायों की पर्याप्तता। वे ऐसे मामलों पर विचार करने के लिए जांच भी करेंगे जो जांच के दौरान प्रासंगिक पाए जा सकते हैं।