पत्थरबाजों के खिलाफ केस वापस लिया तो गिर जाएगा जवानों का मनोबल: केन्द्र सरकार
By पल्लवी कुमारी | Published: June 6, 2018 04:22 AM2018-06-06T04:22:30+5:302018-06-06T04:22:30+5:30
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को यह जवाब सेना के तीन जवानों के बच्चों द्वारा दायर की गई याचिका पर दिया है।
नई दिल्ली, 6 जून: केंद्र ने सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने अगर पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज केस वापस ले लिया तो इससे सेना और सुरक्षाबलों का मनोबल काफी कम हो जाएगा। इसके साथ ही ऐसे फैसले का आतंकियों को गलत पैगाम जाएगा। आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आम नागरिकों को ऐसे काम करने का दोबारा मौका मिल जाएगा।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को यह जवाब सेना के तीन जवानों के बच्चों द्वारा दायर की गई याचिका पर दिया है। केंद्र सरकार ने साफतौर पर कह दिया है कि यह राज्य सरकार का काम है कि जम्मू-कश्मीर में सेना के मानवाधिकार हनन के लिए पत्थरबाजों के खिलाप सख्त कार्रवाई करे।
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केंद्र सरकार से सेना के तीन जवानों के बच्चों द्वारा दायर की गई याचिका में पूछा गया था कि सेना के जवान जो मानवाधिकार हनन का शिकार है क्या उन्हें मानवाधिकारों की रक्षा करनेवालों की जरूरत नहीं है? इस याचिका में यह भी पूछा गया था कि देश के लोग वैसे जवानों को लेकर काफी परेशान हैं, जिनकी तैनाती ऐसे अशांत माहौल में की गई है।
इसके साथ ही याचिका में उस घटना के बारे में बताया गया था, जिसमें शोपियां में सेना के एक मेजर पर पत्थरबाजों पर गोली चलाने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर में 4,327 पत्थरबाजों पर लगाए गए मुकदमों को वापस लेने के आदेश दिए थे। महबूबा मुफ्ती ने इसके पीछे यह तर्क दिया था कि इसे घाटी के युवाओं भविष्य के निर्माण के लिए एक नया मौका मिल पाएगा।
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