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सीबीआई ने प. बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के दौरान सामने आये हत्या, बलात्कार के मामलों का ब्योरा मांगा

By भाषा | Updated: August 20, 2021 18:23 IST

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केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान सामने आये हत्या, हत्या के प्रयास और बलात्कार के सभी मामलों का विवरण उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा है। यह जानकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को दी। एजेंसी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के अनुरूप पुलिस महानिदेशक से ऐसे मामलों का विवरण मांगा, जिसमें सीबीआई को हिंसा के दौरान हत्या, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से संबंधित मामलों की जांच का जिम्मा संभालने का निर्देश दिया गया था। दो मई को तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद हुई राजनीतिक हिंसा की जांच के लिए सीबीआई ने संयुक्त निदेशकों रमनीश, अनुराग, विनीत विनायक और संपत मीणा के नेतृत्व में चार टीमों का गठन किया है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव आठ चरणों में हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक टीम में करीब सात सदस्य होंगे, जिनमें एक उप महानिरीक्षक और करीब चार पुलिस अधीक्षक शामिल होंगे, जिन्हें देश भर से बुलाया गया है। समग्र जांच की निगरानी अतिरिक्त निदेशक अजय भटनागर करेंगे। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित हत्याओं, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सीबीआई जांच का बृहस्पतिवार को आदेश दिया था। पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने कई जनहित याचिकाओं पर एकमत से निर्णय दिया था। इन याचिकाओं में चुनाव बाद हुई कथित हिंसा की घटनाओं पर स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने अन्य सभी मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का भी आदेश दिया। एसआईटी में सुमन बाला साहू, सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार शामिल होंगे, सभी पश्चिम बंगाल काडर के आईपीएस अधिकारी हैं। पीठ सीबीआई और एसआईटी दोनों की जांच की निगरानी करेगी और उसने उनसे छह सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट अदालत को सौंपने को कहा है। इसमें कहा गया है कि एसआईटी के कामकाज की निगरानी उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे, जिसके लिए उनकी सहमति प्राप्त करने के बाद एक अलग आदेश पारित किया जाएगा। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराना आवश्यक है और परिस्थितियों को देखते हुए इसके लिए सीबीआई ही ऐसी एजेंसी हो सकती है। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार कथित हत्याओं के कुछ मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराने में भी विफल रही। पीठ ने कहा कि ऐसे आरोप हैं कि शिकायतकर्ताओं को मामले वापस लेने की धमकी दी जा रही है और हत्या के कई मामलों को प्राथमिकी दर्ज किए बिना और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार जांच किये बिना प्राकृतिक मौत होने का दावा किया जा रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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