लाइव न्यूज़ :

अन्य समुदाय में शादी करने पर नहीं बदलती SC शख्स की जाति, हाईकोर्ट का महिला को जाति प्रमाणपत्र मुहैया कराने का आदेश

By विशाल कुमार | Updated: February 7, 2022 11:29 IST

केरल हाईकोर्ट अनुसूचित जाति से आने वाली हिंदू-कुरवन समुदाय की एक महिला की रिट याचिका पर सुनवाई कर रहा था। ईसाई लड़के से शादी करने के आधार पर महिला को जाति प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया गया था।

Open in App
ठळक मुद्देकेरल हाईकोर्ट हिंदू-कुरवन समुदाय की एक महिला की रिट याचिका पर सुनवाई कर रहा था।ईसाई लड़के से शादी करने के आधार पर महिला को जाति प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया गया था।हाईकोर्ट ने तहसीलदार और ग्राम अधिकारी को याचिकाकर्ता के जाति प्रमाण पत्र पर विचार करने के लिए कहा।

तिरुवनंतपुरम: एक केस की सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि किसी व्यक्ति के समुदाय का फैसला उसके जन्म के आधार पर किया जाता है और किसी अन्य समुदाय के व्यक्ति से उसके विवाह का जाति प्रमाण पत्र पर कोई असर नहीं पड़ता है।

हाईकोर्ट अनुसूचित जाति से आने वाली हिंदू-कुरवन समुदाय की एक महिला की रिट याचिका पर सुनवाई कर रहा था। ईसाई लड़के से शादी करने के आधार पर महिला को जाति प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया गया था।

अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 341 के तहत जारी राष्ट्रपति की अधिसूचना से पता चलता है कि हिंदू-कुरवन समुदाय के सदस्य अनुसूचित जाति के रूप में माने जाने के हकदार हैं।

गृह मंत्रालय ने जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करते हुए दिनांक 02.05.1975 का एक परिपत्र जारी किया है।

उक्त परिपत्र में यह उल्लेख किया गया है कि एक व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य है, वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य बना रहेगा, भले ही उसका विवाह किसी ऐसे व्यक्ति से हो, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति संबंधित नहीं है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 341(1) का उद्देश्य अनुसूचित जाति के सदस्यों को आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करना है, जिससे वे पीड़ित हैं।

अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता का जन्म हिंदू-कुरवन के रूप में हुआ था, इसलिए इस आधार पर आवेदन को खारिज करने का कोई औचित्य नहीं था कि उसने ईसाई समुदाय के व्यक्ति से शादी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति की जाति या समुदाय उक्त समुदाय में उसके जन्म के आधार पर तय किया जाता है।

अदालत ने याचिकाकर्ता के जाति प्रमाण पत्र के अनुरोध पर विचार करने के लिए तहसीलदार और ग्राम अधिकारी को निर्देश देते हुए रिट याचिका का निस्तारण कर दिया।

टॅग्स :केरलKerala High Courtजाति
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटकमाल संजू सैमसन, 15 गेंद, 5 छक्के और 43 रन की धांसू पारी, 10.3 ओवर में हासिल किए 121 रन, 56 गेंद शेष रहते जीत

क्राइम अलर्टकांग्रेस के निलंबित विधायक राहुल ममकूट्टथिल ने की हैवानियत, गर्भावस्था के समय कई बार रेप, रिश्ता सार्वजनिक किया तो वीडियो करेंगे वायरल, कार में गर्भपात की गोलियां दीं

क्राइम अलर्टKerala: पलक्कड़ विधायक राहुल ममकूटाथिल के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज, महिला का जबरन अबॉर्शन कराने का आरोप

क्राइम अलर्ट7 माह पहले प्रेम विवाह, थिनर डालकर आग लगाई, 20 वर्षीय गर्भवती पत्नी को जलाकर मारा, पति शेरोन और सास रजनी पर केस

भारतक्या शशि थरूर केरल में बदलाव ला सकते हैं?, नए साल में भाजपा को मिलेगा नया अध्यक्ष!

भारत अधिक खबरें

भारतKyrgyzstan: किर्गिस्तान में फंसे पीलीभीत के 12 मजदूर, यूपी गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: कहां से आया 'जय भीम' का नारा? जिसने दलित समाज में भरा नया जोश

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: आज भी मिलिंद कॉलेज में संरक्षित है आंबेडकर की विरासत, जानें

भारतडॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि आज, पीएम मोदी समेत नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

भारतIndiGo Crisis: लगातार फ्लाइट्स कैंसिल कर रहा इंडिगो, फिर कैसे बुक हो रहे टिकट, जानें