Caste Census: कांग्रेस में भारी फुटमत, "राहुल 'जाति जनगणना' की बात करके इंदिरा और राजीव की विरासत का अपमान कर रहे हैं", आनंद शर्मा ने घेरा अपने ही नेता को
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 21, 2024 02:50 PM2024-03-21T14:50:54+5:302024-03-21T15:00:26+5:30
देश की सबसे बड़ी विपक्षी दल कांग्रेस में भारी फुटमत नजर आ रही है। कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता और यूपीए सरकार में मंत्री रहे आनंद शर्मा ने राहुल गांधी के 'जाति जनगणना' के वादे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी विपक्षी दल कांग्रेस में भारी फुटमत नजर आ रही है। जी हां, पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के किये 'जाति जनगणना' के वादे को लेकर पार्टी में भारी मतभेद पैदा हो गया है।
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता और यूपीए सरकार में मंत्री रहे आनंद शर्मा ने राहुल गांधी के 'जाति जनगणना' के वादे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने राहुल गांधी के जाति जनगणना वादे का विरोध किया और इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बेहद कड़ा पत्र लिखा है।
अपने पत्र में आनंद शर्मा ने लिखा कि कांग्रेस ने कभी भी पहचान की राजनीति नहीं की और न ही इसका समर्थन किया और इसलिए यह लोकतंत्र के लिए बेहद हानिकारक है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने अपने पत्र में लिखा, "मेरी विनम्र राय में राहुल जी के जाति जनगणना के वादे को इंदिरा जी और राजीव जी की विरासत का अनादर करने के रूप में देखा जाएगा और गलत भी समझा जाएगा।"
आनंद शर्मा ने दिवंगत इंदिरा गांधी के बेहद करीबी कांग्रेसी नेता और साहित्यकार श्रीकांत वर्मा के लिखे ‘न जात पर, न पात पर, इंदिरा जी की बात पर, मुहर लगेगी हाथ पर’ नारे का हवाला देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने अपने जीवन पर्यंत जातियों का विरोध किया है। वहीं राजीव गांधी जी ने भी कहा, था, "...अगर जातिवाद को संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में एक कारक बनाया जाएगा तो हमें दिक्कत है..."।
कांग्रेस नेता शर्मा ने राहुल गाधी के विचार और सोच की खुली खिलाफत करते हुए पार्टी प्रमुख खड़गे को लिखे पत्र में कहा, "एक जन आंदोलन के रूप में कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आंतरिक चर्चा और बहस और सामाजिक मुद्दों पर नीतियां बनाने को प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन हमेशा सकारात्मक कार्रवाई के लिए एकमात्र मार्गदर्शक मानदंड रहा है।"