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जातिगत जनगणनाः सीएम नीतीश बोले-देश हित में, विकास में मदद मिलेगी, गृह मंत्री अमित शाह से मिले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

By भाषा | Updated: September 26, 2021 20:21 IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर बिहार में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों से बात करेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति का खाका तैयार करेंगे।

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ठळक मुद्देप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए राज्य के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। सरकार ने कहा है कि सामाजिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य में जातिगत जनगणना 2011 में जाति गणना गलतियों और अशुद्धियों से भरी थी। जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर सवाल उठाया।

नई दिल्लीः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए रविवार को कहा कि यह राष्ट्रीय हित में है और इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी।

उच्चतम न्यायालय में केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने संवाददाताओं से कहा कि यह बिल्कुल सही नहीं है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह मामला सीधे तौर पर जातिगत जनगणना के मुद्दे से संबंधित नहीं था। केन्द्र ने हलफनामे में जाति के आधार पर जनगणना को एक तरह से खारिज कर दिया गया था।

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए जनता दल (यू) नेता ने जातिगत जनगणना के खिलाफ सभी तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है। नीतीश ने कहा कि वह इस मुद्दे पर बिहार में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों से बात करेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति का खाका तैयार करेंगे। उन्होंने देश भर में जातिगत जनगणना के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए राज्य के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था।

हालांकि, केन्द्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम कोर्ट को बताया कि पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना का काम प्रशासनिक रूप से कठिन और बेहद बोझिल है और इस तरह की जानकारी को जनगणना के दायरे से बाहर करना एक सचेत नीति के तहत लिया गया फैसला है। शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में सरकार ने कहा है कि सामाजिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य में जातिगत जनगणना 2011 में जाति गणना गलतियों और अशुद्धियों से भरी थी। बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन सरकार चला रहे नीतीश ने कहा, ‘‘जातिगत जनगणना देश के हित में है और इससे देश के विकास में मदद मिलेगी।’’

केन्द्र के रुख के बाद, बिहार में कई भाजपा नेताओं ने इस कदम का जोरदार बचाव किया और जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर सवाल उठाया। भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक रूप से उलझे हुए मुद्दों पर उसका रुख कई राजनीतिक दलों से अलग हो सकता है, जिसमें उसके कुछ सहयोगी दल भी शामिल हैं। भाजपा ने कहा कि वह ‘‘सब का साथ, सबका विकास’’ के सिद्धांत में विश्वास करती है।

सोरेन के नेतृत्व में झारखंड के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की शाह से मुलाकात, जाति आधारित जनगणना की मांग

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की। यह दौरा ऐसे समय हुआ है, जब केंद्र ने कुछ ही दिन पहले उच्चतम न्यायालय में कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’’ है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘‘सतर्क नीतिगत निर्णय’’ है।

सोरेन के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस की झारखंड इकाई के अध्यक्ष राजेश ठाकुर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, आजसू अध्यक्ष एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो और राजद नेता सत्यानंद भोका शामिल थे।

सोरेन ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि जाति आधारित जनगणना हो। हमने उन्हें जाति आधारित जनगणना के समर्थन में अपने राज्य की भावनाओं से अवगत कराया।’’ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को धैर्यपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि वह ‘‘मामले को देखेंगे।’’ भाजपा के दीपक प्रकाश पत्रकारों के इस सवाल का सीधा जवाब देने से बचते दिखे कि क्या उनकी पार्टी जाति जनगणना का समर्थन करती है।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा भी इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थी। हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पिछड़े वर्ग के लोगों की शुभचिंतक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया और मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण भी दिया।

भाजपा और उसकी सरकार पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ खड़ी है।’’ प्रकाश ने कहा कि उनकी पार्टी लगातार ओबीसी के कल्याण के लिए काम कर रही है। सोरेन के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भाकपा-माले नेता विनोद सिंह, भाकपा के भुवनेश्वर मेहता, माकपा के सुरेश मुंडा, राकांपा विधायक कमलेश सिंह और एमसीसी नेता अरुप चटर्जी भी शामिल थे।

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया गया है कि केंद्र ने पिछले वर्ष जनवरी में एक अधिसूचना जारी करके जनगणना 2021 के लिए जुटाई जाने वाली सूचनाओं का ब्योरा तय किया था और इसमें अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति से जुड़ी सूचनाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया, लेकिन इसमें जाति के किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं किया गया है।

इसने कहा कि जनगणना के दायरे से किसी अन्य जाति के बारे में जानकारी को बाहर करना केंद्र सरकार द्वारा लिया गया एक "सतर्क नीतिगत निर्णय" है। उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना (एसईसीसी), 2011 में काफी गलतियां एवं अशुद्धियां थीं। 

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