पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव का मामला: कलकत्ता उच्च न्यायालय की टिप्पणियों में ‘‘राजनीतिक लहजा’’ झलकता है: केन्द्र

By भाषा | Published: November 29, 2021 07:36 PM2021-11-29T19:36:25+5:302021-11-29T19:36:25+5:30

Case of former West Bengal chief secretary: Calcutta High Court's observations reflect "political tone": Center | पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव का मामला: कलकत्ता उच्च न्यायालय की टिप्पणियों में ‘‘राजनीतिक लहजा’’ झलकता है: केन्द्र

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव का मामला: कलकत्ता उच्च न्यायालय की टिप्पणियों में ‘‘राजनीतिक लहजा’’ झलकता है: केन्द्र

नयी दिल्ली, 29 नवंबर पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की याचिका पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश में की गई कतिपय टिप्पणियों पर केन्द्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने ‘‘गंभीर आपत्ति’’ की और कहा कि इनमें से कुछ में ‘‘राजनीतिक लहजा’’ झलकता है।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी.टी.रवि कुमार की पीठ से केन्द्र सरकार ने कहा कि यह मामला एक अधिकारी की सेवा से संबंधित है और उच्च न्यायालय को इस तरह की टिप्पणियां करने से बचना चाहिए था।

उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र की उस याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली जिसमें उच्च न्यायालय के 29 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत इस पर अपना फैसला बाद में सुनायेगी। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें बंदोपाध्याय का एक आवेदन कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने की अनुमति दी गयी थी। बंदोपाध्याय ने इसी आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि "इनमें कुछ राजनीतिक लहजा झलकता है और इनसे बचा जाना चाहिए था।’’ मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत के ऐसे फैसले हैं जिनमें कहा गया है कि उच्च न्यायालयों को टिप्पणी करते समय बहुत चौकस रहना होगा।

उन्होंने कहा कि न्यायिक कार्य के दौरान व्यक्तिगत विचार या राजनीतिक विचारधारा कभी भी कोई भूमिका नहीं निभा सकती हैं।

मेहता ने कहा, ‘‘यह एक अधिकारी की सेवा का मामला है। अध्यक्ष (कैट) के पास कार्यवाही को एक पीठ से दूसरी पीठ में स्थानांतरित करने की शक्ति है, और उच्च न्यायालय का कहना है कि यह संघीय ढांचे को बाधित करता है।’’

मेहता ने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर भी तर्क दिया और कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय कैट की प्रमुख पीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ याचिका पर अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग नहीं कर सकता जो नई दिल्ली में है।

बंदोपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि आईएएस अधिकारी हमेशा कोलकाता का निवासी रहा है और इस मामले में कार्रवाई का हर हिस्सा पश्चिम बंगाल से जुड़ा है।

केंद्र ने 15 नवंबर को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि कलकत्ता उच्च न्यायालय का पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के एक आवेदन को कोलकाता से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने के कैट की प्रधान पीठ के आदेश को खारिज करने वाला आदेश ‘‘परेशान करने वाला’’ है।

बंदोपाध्याय ने 28 मई को कलाईकुंडा वायु सेना स्टेशन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चक्रवात ‘यास’ के प्रभावों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक में भाग लेने से संबंधित मामले में कार्मिक और लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती देते हुए कैट की कोलकाता पीठ का रुख किया था।

मेहता ने शीर्ष अदालत को 15 नवंबर को बताया था कि बंदोपाध्याय ने कैट की कलकत्ता पीठ के समक्ष केंद्र द्वारा उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने को चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि कैट की प्रधान पीठ के खिलाफ कुछ ‘‘बहुत परेशान करने वाली’’ टिप्पणी की गई है।

पीठ ने कहा था, ‘‘हम कह सकते हैं कि परेशान करने वाली टिप्पणियों को हटा दिया जाएगा।

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