पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 जिलों के 121 विधानसभा क्षेत्रों में मंगलवार को चुनाव प्रचार का शोर शाम छह बजे थम जायेगा। चुनाव प्रचार को लेकर अंतिम 24 घंटे में उम्मीदवार घर-घर जनसंपर्क कर मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में जुट जाएंगे। इस चरण की सभी सीटों पर 6 नवंबर को मतदान होगा। वहीं, चुनाव के मद्देनजर नेपाल से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा सील कर दी गई है। हर आने-जाने वाले पर कड़ी नजर रखी जा रही है। पहले चरण की 121 सीटें बिहार के पूर्वी, मध्य और उत्तरी हिस्सों में फैली हुई हैं, जो मुख्य रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों को प्रभावित करती हैं।
जिन 18 जिलों में पहले चरण के तहत मतदान होना है, उसमें अररिया जिले के 6 विधानसभा क्षेत्र, मधेपुरा-4, सहरसा-4, दरभंगा-10, बेगूसराय-7, भोजपुर-7, बक्सर-4, मुजफ्फरपुर-11, गोपालगंज-6, सीवान-8, खगड़िया-4, मुंगेर-3, नालंदा-7, पटना-14, समस्तीपुर-10, सारण-10, वैशाली- 8, लखीसरय-2 और शेखपुरा जिले में 2 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है। पहले चरण में 102 सामान्य और 19 अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीटों के लिए मतदान होगा। पहले चरण में 1314 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें 1192 पुरुष और 122 महिलाएं हैं।
वहीं, पहले चरण में तीन करोड़ 75 लाख 13 हजार 302 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इनमें एक करोड़ 98 लाख 35 हजार 325 पुरुष, एक करोड़ 76 लाख 77 हजार 219 महिला एवं 758 थर्ड जेंडर के मतदाता वोट डालेंगे। इस चरण में 45,341 बूथों पर मतदान होगा। इनमें 45,324 मुख्य बूथ और 17 सहायक बूथ शामिल हैं। इस चरण में 8608 बूथ शहरी क्षेत्र और 36,733 बूथ ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए हैं।
पहले चरण के चुनाव को लेकर ईवीएम और वीवीपैट के दोनों चरणों का रैंडमाइजेशन (आवंटन) हो चुका है। मतदान केंद्रवार ईवीएम और वीवीपैट मशीन चिह्नित कर ली गई है। इसकी सूची उम्मीदवारों या उनके चुनाव अभिकर्ता (एजेंट) को दे दी गई है। सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किये ताकि निष्पक्ष चुनाव हो सके। इस चरण के चुनाव को लेकर सभी बूथों पर सशस्त्र सुरक्षा बलों की तैनाती की जाएगी। बूथों के इर्द-गिर्द तीन स्तरीय सुरक्षा चक्र बनाया गया है। इसमें भ्रमणशील सुरक्षा बलों के साथ सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर सुरक्षा बलों की तैनाती शामिल है। चुनाव को लेकर राज्य में 1049 चेक पोस्ट पर सुरक्षा जांच की जा रही है।
वहीं, अब तक 1005 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। चुनाव आयोग ने 6 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का समय घटा दिया है। जिसके बाद पहले चरण के 6 विधानसभा क्षेत्र के 2135 बूथों पर शाम 5 बजे तक ही मतदान होगा। मतदान का समय एक घंटे घटा दिया गया है। सूत्रों की मानें तो चुनाव आयोग ने सुरक्षा और भौगोलिक कारणों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। अब इन क्षेत्रों के 2135 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक ही वोटिंग होगी। जिन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान समय घटाया गया है, उनमें सिमरी बख्तियारपुर के 410, महिषी के 361, तारापुर के 412, मुंगेर के 404, जमालपुर के 492 और सूर्यगढ़ा के 56 मतदान केंद्र शामिल हैं।
निर्वाचन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मतदान समय में यह बदलाव पूर्व की घटनाओं, नदी और प्रखंड मुख्यालय से दूरी, क्षेत्र की संवेदनशीलता और स्थानीय प्रशासन के अनुरोध को देखते हुए किया गया है। वहीं, बाकी 115 विधानसभा क्षेत्रों के 43,206 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोटिंग होगी। पहले चरण में कुल 18 जिलों के 121 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, गुरुवार की सुबह 5 बजे विभिन्न राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंटों की मौजूदगी में पीठासीन पदाधिकारी मॉक पोल की प्रक्रिया शुरू करेंगे। इसके बाद निर्धारित समय पर मतदान प्रारंभ किया जाएगा।
पहले चरण में सबसे अधिक उम्मीदवार भाजपा के हैं, जबकि राजद, कांग्रेस, वामदल और अन्य क्षेत्रीय दलों के बीच भी बहुकोणीय संघर्ष नजर आ रहा है। पहले चरण में राजद और भाजपा के बीच 25 सीटों पर सीधा मुकाबला है, जबकि राजद और जदयू 34 सीटों पर आमने-सामने हैं। इसी तरह 23 सीटों पर एनडीए और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच लड़ाई है। 12 सीटों पर लोजपा (रा) और राजद एवं 12 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी भिड़ंत है। वामदलों में भाकपा-माले सबसे आगे है जो इस चरण में 14 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनमें से 7 सीटों पर जदयू, 5 पर भाजपा और 2 पर लोजपा (रा) के खिलाफ सीधा संघर्ष है।
वहीं, वीआईपी की तीन सीटों पर भाजपा और एक सीट पर जदयू से मुकाबला होगा। छोटे दलों की बात करें तो आईआईपी की जदयू और भाजपा से एक-एक सीट पर भिड़ंत है, जबकि भाकपा और भाजपा एक सीट पर आमने-सामने हैं। जानकारों की नजर में पहले चरण का यह चुनावी रण पूरी तरह से राजनीतिक समीकरणों की परीक्षा साबित होगा। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपने मजबूत गढ़ों को बचाने और नए इलाकों में पैठ बनाने की कोशिश में हैं। वहीं, वामदलों और जनसुराज जैसी नई राजनीतिक ताकतों की मौजूदगी से मुकाबला और जटिल हो गया है। एक ओर भाजपा और जदयू अपने तालमेल को मैदान में उतार रहे हैं तो दूसरी ओर राजद-कांग्रेस और वामदलों की जोड़ी अपनी एकजुटता दिखाने की कोशिश में है।
पहले चरण के प्रचार में राज्य की राजनीति अपने पुराने द्वंद्व में ही उलझी रही। दोनों गठबंधन के सहयोगी दलों ने अपने प्रचार के दौरान जंगलराज बनाम गुंडा राज पर सर्वाधिक जोर दिया। भाजपा-जदयू गठबंधन जहां राजद के शासनकाल को जंगलराज बताकर मतदाताओं को चेताने में जुटे रहे, वहीं महागठबंधन सत्ता पक्ष पर अपराधियों को संरक्षण देने के आरोप जड़ता दिखा। चुनावी मंचों से लेकर इंटरनेट मीडिया तक यह जुबानी जंग इतनी तेज रही कि विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे वास्तविक मुद्दे हाशिये पर दिखाई दिए।
सत्ता पक्ष के अधिकांश नेताओं के भाषण इस बात पर जोर देते रहे कि बिहार को फिर से अराजकता के दौर में नहीं जाने देंगे। एनडीए के शासन में कानून का राज कायम हुआ, लेकिन विपक्ष चाहता है कि राज्य फिर पुराने जंगलराज में लौट जाए।दूसरी ओर, महागठबंधन ने पलटवार करते हुए एनडीए पर जातिवाद और अपराध को संरक्षण देने के आरोप लगाए। महागठबंधन का दावा रहा कि भाजपा और जदयू सरकार ने जातीय भेदभाव की ऐसी दीवार खड़ी कर दी है, जिससे आम नौजवान का भविष्य बर्बाद हो रहा है।
अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं, बल्कि उन्हें राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है। भ्रष्ट अफसरशाही और सत्ता के संरक्षण में अपराध का नया मॉडल खड़ा किया गया है, जिसे सिस्टमेटिक जंगलराज कहा जा सकता है। दोनों गठबंधन के नेताओं के इस भाषणों को सुनने वाले-देखने वाले जानकार मानते हैं कि दोनों गठबंधन इस समय भावनात्मक नैरेटिव पर खेल रहे हैं।भाजपा-जदयू को पता है कि जंगलराज शब्द बिहार की राजनीतिक स्मृति में गहराई से बैठा है।
वहीं, राजद इस बार अपराधियों को संरक्षण, विधि-व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति स्थिति को भुनाने की कोशिश कर रहा है। दोनों ही पक्ष जनता को भय और असंतोष के बीच खींचने में लगे हैं। ऐसे में चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है राजनीतिक संवाद और अधिक तीखा होता जा रहा है। इस तरह बिहार की चुनावी राजनीति एक बार फिर विकास और नीति से ज्यादा आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में उलझ गई है। बात जंगलराज बनाम गुंडाराज पर ही आगे बढ़ती दिख रही है।