CAA Protest: यूपी के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा का आरोप, हिंसा में कट्टरपंथी संगठन पीएफआई और सिमी का हाथ, 17 की मौत
By भाषा | Updated: December 22, 2019 20:18 IST2019-12-22T20:18:01+5:302019-12-22T20:18:01+5:30
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि हिंसा में शामिल लोग प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के हैं। हिंसा के मामले में इस संगठन से जुड़े छह लोगों को पश्चिम बंगाल के मालदा से गिरफ्तार किया गया है।

प्रभावित जिलों में इंटरनेट सेवा अब भी बंद है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ राज्य के विभिन्न जिलों में हुई हिंसा में ‘बाहरी तत्वों’ का हाथ होने का दावा करते हुए रविवार को कहा कि इस सिलसिले में पश्चिम बंगाल के कट्टरपंथी संगठन पीएफआई और सिमी से जुड़े छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि हिंसा में शामिल लोग प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के हैं। हिंसा के मामले में इस संगठन से जुड़े छह लोगों को पश्चिम बंगाल के मालदा से गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को स्थिति बिगड़ने का जिम्मेदार करार दिया। नये नागरिकता कानून के खिलाफ गत शुक्रवार को कानुपर में हुई हिंसा में एक और व्यक्ति की मौत के साथ राज्य में हिंसक वारदात में मरने वालों की संख्या 17 हो गई है। हालांकि रविवार को प्रदेश में शांति रही। प्रभावित जिलों में इंटरनेट सेवा अब भी बंद है।
Dy CM Dinesh Sharma:Popular Front of India's role is clear at many places.There are people who were members of SIMI & are indirectly related to it.Outside elements came here&spread violence,who can be behind this? Opposition should realise its responsibility&condemn violence #CAApic.twitter.com/YIyRBskHtQ
— ANI UP (@ANINewsUP) December 22, 2019
कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि कानपुर के बाबूपुरवा में हुई हिंसा में गम्भीर रूप से जख्मी हुए मोहम्मद रईस (30) की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी। उन्होंने यह भी बताया कि हिंसा के पीछे एआईएमआईएम और सिमी के कार्यकर्ताओं की भूमिका संदिग्ध है। कानपुर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश ने बताया कि हिंसा में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने की आशंका को भी मद्देनजर रखकर जांच की जा रही है।
इस बीच, प्रदेश में हिंसा में मारे गये व्यक्तियों के परिजन से मुलाकात करने आये तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमण्डल को चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डे पर पर कथित रूप से हिरासत में ले लिया गया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसद नदीम-उल-हक ने कहा कि उन्होंने तथा उनके साथियों ने हवाई अड्डे पर धरना प्रदर्शन किया। हक ने फोन पर ‘भाषा’ को बताया कि विमान से उतरते ही तृणमूल कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल के तमाम सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया।
पुलिस ने हमें घेर लिया और रनवे के पास एक सुनसान जगह पर ले गयी। पूर्व सांसद दिनेश त्रिवेदी की अगुवाई वाले इस प्रतिनिधिमण्डल में प्रतिमा मोंडल और अबीर बिस्वास भी शामिल थे। इस बीच, सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक सम्पत्ति को हुए नुकसान की भरपाई बलवाइयों की सम्पत्ति से करने की दिशा में कदम उठाते हुए लखनऊ जिला प्रशासन ने नुकसान के आकलन के लिये चार सदस्यीय समिति गठित की है।
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया कि हिंसा में हुए नुकसान का पता लगाने के लिये अपर जिलाधिकारी स्तर के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गयी है। इस बीच, विपक्ष ने सीएए के खिलाफ प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के लिये राज्य सरकार और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। सपा ने जहां इसे सरकार प्रायोजित हिंसा करार दिया, वहीं कांग्रेस ने इसकी न्यायिक जांच की मांग की।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा रविवार को अचानक बिजनौर पहुंचीं और संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शुक्रवार को नहटौर इलाके में हुई हिंसा में मारे गये दो लोगों के परिजन से मुलाकात की। प्रियंका गत शुक्रवार को बिजनौर में नये नागरिकता कानून के खिलाफ नहटौर इलाके में हुए हिंसक प्रदर्शन में मारे गये अनस और सुलेमान नामक व्यक्तियों के घर अचानक पहुंची। उन्होंने मृतकों के परिजन से मुलाकात की और उनके प्रति संवेदना व्यक्त की।
हिंसा की न्यायिक जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि पहले पुलिस ने गोली चलायी, उसके बाद पथराव हुआ है। यह सीधे तौर पर पुलिस द्वारा हत्या का मामला है। उन्होंने कहा कि अपने अधिकारों के लिये आवाज उठाना संवैधानिक अधिकार है।
कांग्रेस प्रदर्शनकारियों के प्रति हुई हिंसा के मामले को संसद में उठायेगी और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाएगी। उधर, सपा मुखिया अखिलेश यादव ने नये नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा के लिए राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए रविवार को कहा कि सरकार के इशारे पर जानबूझकर आगजनी और हिंसा की गयी।
सरकार के इशारे पर पुलिस ने गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की। हिंसा में हुई सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई दंगाइयों को चिह्नित कर उनकी संपत्ति कुर्क करके किए जाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए सपा मुखिया ने कहा कि फिर तो 2007 के गोरखपुर दंगों में हुए नुकसान की भी भरपाई की जानी चाहिए।
उन दंगों में योगी आदित्यनाथ आरोपी थे। मालूम हो कि सीएए के खिलाफ प्रदेश के करीब 20 जिलों में हाल में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और भीड़ के बीच संघर्ष में कम से कम 16 लोग मारे गये थे तथा बड़ी संख्या में अन्य जख्मी हुए थे। गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून में धर्म के आधार पर प्रताड़ना के कारण पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये हिन्दुओं, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों तथा पारसियों को नागरिकता देने की व्यवस्था की गयी है।