CAA Protest: पवार ने कहा- बिहार सहित 8 राज्यों ने लागू करने से मना किया, महाराष्ट्र को भी इनकार कर देना चाहिए

By भाषा | Published: December 21, 2019 07:04 PM2019-12-21T19:04:11+5:302019-12-21T19:04:11+5:30

वार को भय है कि यह भारत के धार्मिक एवं सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ सकता है। पवार ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को केंद्र सरकार की “चालें” करार दिया जो देश को त्रस्त कर रहे गंभीर मुद्दों से “ध्यान हटाने के लिए” है।

CAA Protest: Pawar said - 8 states including Bihar refused to implement, Maharashtra should also refuse | CAA Protest: पवार ने कहा- बिहार सहित 8 राज्यों ने लागू करने से मना किया, महाराष्ट्र को भी इनकार कर देना चाहिए

सीएए और एनआरसी देश के सामने मौजूद गंभीर मुद्दों से ध्यान हटाने की चाल है।

Highlightsपूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी ने संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित किए जाने के दौरान इसका विरोध किया था।मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा था कि सीएए का क्रियान्वयन उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर करेगा।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि आठ अन्य राज्यों की ही तरह महाराष्ट्र को भी नये नागरिकता कानून को लागू करने से इनकार कर देना चाहिए।

इस कानून को लेकर पवार को भय है कि यह भारत के धार्मिक एवं सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ सकता है। पवार ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को केंद्र सरकार की “चालें” करार दिया जो देश को त्रस्त कर रहे गंभीर मुद्दों से “ध्यान हटाने के लिए” है।

उन्होंने संदेह जताया कि केंद्र नये नागरिकता कानून का विरोध कर रही राज्य सरकारों को बर्खास्त कर सकता है। राकांपा, शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार में कांग्रेस के साथ एक घटक है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी ने संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित किए जाने के दौरान इसका विरोध किया था।

पवार ने एक सवाल के जवाब में कहा, “ राजग के सहयोगी दल के शासन वाले बिहार समेत आठ राज्यों ने कानून को लागू करने से इनकार कर दिया है और महाराष्ट्र का भी रुख यही रहना चाहिए।” उन्होंने कहा, “लेकिन अगर राज्य केंद्र सरकार के आदेश का विरोध करते हैं, ऐसी आशंका है कि केंद्र इन राज्य सरकारों को बर्खास्त कर सकती है।” बिहार के अलावा, केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान ने सीएए लागू करने का विरोध किया है।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा था कि सीएए का क्रियान्वयन उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, “हम नये कानून की वैधता को जांच रहे हैं। कुछ लोगों ने सीएए को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। हम यह जानने का इंतजार कर रहे हैं कि नया कानून संविधान के ढांचे में फिट बैठता है या नहीं।” इस बीच, पवार ने आरोप लगाया कि केंद्र अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है और पक्षकारों से बातचीत करने से बच रहा है जबकि सीएए के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “सीएए और एनआरसी देश के सामने मौजूद गंभीर मुद्दों से ध्यान हटाने की चाल है।” साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि नया कानून देश की एकता और सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा खड़ा करता है। उन्होंने कहा, “न सिर्फ अल्पसंख्यक बल्कि जो लोग भी देश की एकता एवं प्रगति की चिंता करते हैं, वे सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं। नया नागरिकता कानून देश की धार्मिक, सामाजिक एकता और सौहार्द बिगाड़ेगा। सबसे अधिक प्रभावित गरीब लोग होंगे। असम में कई लाख गैर मुस्लिम शिविरों में हैं और उनकी स्थिति बुरी है।”

पवार ने नये कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने और श्रीलंका के तमिलों को इससे बाहर रखने के चयनात्मक तरीके पर भी सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “ऐसा इसलिए क्योंकि वे (श्रीलंकाई तमिल) किसी खास धर्म से ताल्लुक नहीं रखते?” पवार ने आरोप लगाया, “केवल इन देशों के लोगों को स्वीकार (नागरिक के तौर पर) किया जाएगा क्योंकि सरकार को लगता है कि यह उसके पक्ष में समाज का ध्रुवीकरण करेगा।”

उन्होंने कहा, “नेपाल के कई लोग हैं जो यहां रहते हैं और काम करते हैं। दिल्ली के मेरे आधिकारिक निवास में दो कर्मचारी जो पिछले 30 वर्षों से घर की देखभाल कर रहे हैं, वे नेपाली हैं। न सिर्फ मेरे यहां, बल्कि कई नेपाली प्रतिष्ठानों में घरेलू सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं।”

देशभर में सीएए के खिलाफ जारी हिंसक प्रदर्शनों पर केंद्र की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, “सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और पक्षों से बातचीत नहीं कर रही। उसे चीजें स्पष्ट करनी चाहिए ताकि शांति बहाल हो सके।” उन्होंने कहा, “लोग अपना गुस्सा जाहिर कर सकते हैं और विरोध दर्ज करा सकते हैं लेकिन हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। हमने अपने नेताओं से पहले ही किसी तरह की हिंसा में हिस्सा नहीं लेने की अपील की है।”

उन्होंने पूछा, “सीएए भले ही केंद्रीय कानून हो लेकिन इसको लागू राज्यों को करना है। लेकिन क्या राज्यों के पास ऐसा करने के लिए संसाधन एवं तंत्र है।” पवार ने कहा कि राज्यों और केंद्र को साथ मिल कर काम करना चाहिए और मौजूदा सरकार ठीक इसके उलट काम कर रही है। उन्होंने कहा, “ ऐसी स्थिति जानबूझ कर पैदा की जा रही है और हम इसका सख्ती से विरोध करते हैं।” 

Web Title: CAA Protest: Pawar said - 8 states including Bihar refused to implement, Maharashtra should also refuse

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