CAA Protest: IIT कानपुर की जाँच समिति ने कहा- फ़ैज़ की नज्म गाने का वक़्त और जगह सही नहीं थे, की छात्रों-टीचरों की काउंसलिंग की सिफारिश

By गुणातीत ओझा | Published: March 16, 2020 10:59 AM2020-03-16T10:59:41+5:302020-03-16T10:59:41+5:30

आईआईटी कानपुर में सीएए के विरोध में छात्रों और शिक्षकों के खिलाफ बैठी जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट इंतजामिया को सौंप दी है। जांच समिति ने इंतजामिया को यह सलाह भी दी कि विरोध करने वाले पांच शिक्षकों और छह छात्रों की काउंसलिंग करानी चाहिए।

CAA Protest iit kanpur faiz ahmed faiz hum dekhenge jamia violence | CAA Protest: IIT कानपुर की जाँच समिति ने कहा- फ़ैज़ की नज्म गाने का वक़्त और जगह सही नहीं थे, की छात्रों-टीचरों की काउंसलिंग की सिफारिश

पिछले साल सीएए के विरोध में फैज़ अहमद फैज़ की नज्म गाने पर मचा था बवाल

Highlightsपिछले साल सीएए के विरोध में फैज़ अहमद फैज़ की नज्म गाने पर मचा था बवालकॉलेज को आरोपियों के खिलाफ बैठानी पड़ी थी जांच, जांच समिति ने इंतजामिया को सौंपी रिपोर्ट

पिछले साल आईआईटी कानपुर कैंपस में संशोधित  नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में छात्रों द्वारा फैज अहमद फैज की कविता की लाइनें गाना, समय और जगह के हिसाब से सही नहीं था। सीएए विरोधी छात्रों और शिक्षकों के खिलाफ बैठी जांच समिति ने इंतजामिया को दी अपनी रिपोर्ट में यह कहा है। जांच समिति ने इंतजामिया को यह सलाह भी दी कि विरोध करने वाले पांच शिक्षकों और छह छात्रों की काउंसलिंग करानी चाहिए।

जानें पूरा मामला

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के विरोध में IIT कानपुर के कुछ छात्रों और शिक्षकों ने बीते साल दिसंबर में ''इन सोलिडैरिटी विद जामिया'' के नाम से रैली निकाली थी। इसमें कवि और शायर फैज़ अहमद फ़ैज की एक कविता की लाइनें गुनगुनाई गई थीं.. ''जब अरज़-ए-खुदा के काबे से, सब बुत उठवाए जाएंगे, हम अहल-ए-सफा मरदूद-ए-हराम, मनसंद पे बिठाए जाएंगे, सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराए जाएंगे।'' इस पर काफी बवाल मचा था। फैकल्टी के ही लोगों ने आरोप लगाया था कि छात्रों और शिक्षकों का यह कदम धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। बवाल ज्यादा बढ़ने पर आईआईटी ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था। उस पैनल ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि फैज की शायरी पढ़ना समय और जगह के लिहाज से सही नहीं था। जांच करने वाले पैनल ने यह भी कहा है कि मामले में आरोपी पांच शिक्षकों और छह छात्रों की काउंसलिंग होनी चाहिए।

17 दिसंबर, 2019 को कैम्पस में पढ़ी गई थी फैज़ की कविता

आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में 17 दिसंबर को मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविता 'हम देखेंगे' गाए जाने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था। इस प्रकरण में जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया था । आईआईटी कानपुर के उपनिदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने तब कहा था कि आईआईटी के लगभग 300 छात्रों ने परिसर के भीतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था क्योंकि उन्हें धारा 144 लागू होने के चलते बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्रों और शिक्षकों ने फ़ैज़ की कविता 'हम देखेंगे' गाई जिसके खिलाफ वासी कांत मिश्रा और 16 अन्य लोगों ने आईआईटी निदेशक के पास लिखित शिकायत दी थी। उनका कहना था कि वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि कविता में कुछ दिक्कत वाले शब्द हैं जो हिंदुओं की भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।

जानें आरोपियों ने अपने पक्ष में क्या कहा

मनिंद्र अग्रवाल ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि मामले में गठित जांच समिति ने पिछले सप्ताह ही रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। फैज की शायरी पढ़ने पर उन्होंने कहा, “समिति ने यह पाया कि जब शायरी पढ़ी गई तब शायद, समय और स्थान उपयुक्त नहीं थे। जिस व्यक्ति ने कविता गाई थी, उसने कहा है कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचने पर उसे पछतावा है। अग्रवाल ने कहा कि यह जांच अब बंद हो चुकी है।

Web Title: CAA Protest iit kanpur faiz ahmed faiz hum dekhenge jamia violence

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे