राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने देश के कुछ हिस्सों में एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी की खबर मिलने के बाद इसकी पूर्ति के लिए विभिन्न राज्यों के साथ परामर्श किया है। बता दें कि एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी भारत में कोई नई बात नहीं है।
इसी साल 13 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार और नगर निकायों को राष्ट्रीय राजधानी में वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति का स्टॉक रखने का निर्देश दिया था। दरअसल, एक वकील द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि एक समाचार लेख से पता चलता है कि कुत्ते के काटने का शिकार हुए लोगों को रेबीज रोधी टीके उपलब्ध कराने में संबंधित सरकारी और नगर निगम अधिकारियों की विफलता से शहर में भयावह स्थिति पैदा हो गई। कुत्ते के काटने पर पहले 24 घंटे के भीतर रेबीज का टीका लगाना आवश्यक होता है।
बता दें कि दुनिया भर में 99% मामलों में संक्रमित कुत्ते के काटने से संक्रमण फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, भारत रेबीज के वैश्विक बोझ में एक तिहाई से अधिक है और एशिया में इस बीमारी से मृत्यु दर 59.9% और वैश्विक स्तर पर 35% है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक एशिया और अफ्रीका में रेबीज से संबंधित 99% प्रतिशत मौतें होती हैं। इनमें से 80% ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग होते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पश्चिमी यूरोप, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और कई लैटिन अमेरिकी देशों से कुत्ते के काटने से फ़ैलाने वाली बीमारी रेबीज को ख़त्म कर दिया गया है, जबकि ऑस्ट्रेलिया सहित कई देश हमेशा से ही रेबीज मुक्त रहे हैं।
गुजरात के अंकलेश्वर में स्थित चिरोन बेह्रिंग वैक्सीन प्राइवेट लिमिटेड, डब्ल्यूएचओ पूर्व-योग्य संयंत्र में सालाना 15 मिलियन खुराक का उत्पादन करने की क्षमता के साथ दुनिया में एंटी-रेबीज टीके के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है। चिरोन को हाल ही में जैव प्रौद्योगिकी प्रमुख भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) से अधिग्रहण किया गया है।
लगभग 100 मिलियन आवारा कुत्तों की आबादी वाले देश में 35 मिलियन एंटी-रेबीज वैक्सीन की खुराक की जरूरत है। फिलहाल, देश में लगभग 15 मिलियन खुराक की कमी है।
बता दें कि सिर्फ मुंबई में इस साल अब तक रेबीज संक्रमण के 36,431 मामले सामने आ चुके हैं और रेबीज के टीकों की राज्य में कोई कमी नहीं है। रेबीज संक्रमण सामान्यत: कुत्ते के काटने से होता है।
साल के पहले महीने जनवरी में रेबीज के 7,378 मामले, फरवरी में 4,664 मामले, मार्च में 8,036 मामले, अप्रैल में 10,640 मामले और मई में 5,713 मामले सामने आए हैं। 10 जनवरी से 20 जनवरी आपूर्ति में थोड़ी सी कमी आई थी, लेकिन इसका कारण गुणवत्ता था। लेकिन अभी इस टीके की कोई कमी नहीं है।