वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आम बजट ने इस बात को प्रतिध्वनित किया है जो उद्योग जगत कई महीने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर को कम करके लोगों के हाथों में अधिक पैसा डालने को कह रहा था. उन्होंने व्यक्तिगत कर को कम कर ठीक वैसा ही किया है जिससे पूर्व निर्धारित राजस्व पर 40000 करोड़ रुपए का बोझ होगा. नई व्यवस्था के तहत करदाता कम कर का भुगतान कर अधिक पैसा बचा सकते हैं और अपनी इच्छानुसार खर्च कर सकते हैं. हालांकि, इसमें पेचीदगी है. सीतारमण की दोहरी व्यक्तिगत आयकर प्रणाली गुगली है और कोई नहीं जानता कि कौन करदाता किस व्यवस्था को चुनेगा.
कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए दोहरी कर व्यवस्था (पुराने 22 प्रतिशत या नए 15 प्रतिशत कर स्लैब का विकल्प) लागू करने के बाद अब व्यक्तिगत कर के लिए भी वैसा ही व्यवस्था की गई है. निश्चित तौर पर सरकार चाहती है कि लोग बचत करने केे बदले खर्च कर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएं. अर्थव्यवस्था में नरमी मुख्यत: इसलिए है कि लोग पैसे खर्च नहीं कर रहे हैं. वहीं, डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) को वापस लेकर सरकार ने कंपनियों को एक और बड़ी राहत दी है. निश्चित रूप से यह कंपनियों और विदेशी निवेशकों को बड़ी सौगात है. हालांकि, व्यक्तिगत करदाताओं को डिविडेंड टैक्स चुकाना होगा. यह एक और गुगली है.
सरकार ने कर आतंकवाद को खत्म करने के लिए बजट में कई प्रावधान किए हैं. वहीं, सीमा शुल्क बढ़ाकर और उत्पाद शुल्क घटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया' और 'असेंबल इन इंडिया' को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है.
वित्त मंत्री बोलीं- कल तक इंतजार करें
निर्मला सीतारमण के आम बजट के बीच सेंसेक्स में 1000 अंकों की गिरावट ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया है. हालांकि वित्त मंत्री पूरे आत्मविश्वास में दिखीं जब उन्होंने कहा, ''सोमवार तक इंतजार करें. निष्कर्ष निकालने में इतनी जल्दबाजी क्यों. पूर्ण निहितार्थ तब तक समझ में आ जाएंगे.'' दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोई बड़ी योजना शुरू नहीं की है, बल्कि सरकार ने बजट में अहम योजनाओं के लिए अगले वित्त वर्ष में आवंटन घटा दिया है.