लोक सभा और विधान सभा उपचुनावों में विपक्षी दलों ने जिस तरह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिलकर हराया है उसका असर देश के राजनीतिक भविष्य पर सीधा पड़ने वाला है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनावों के लिए गठबन्धन करने के बारे में गम्भीर हो चुके हैं। इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी पिछले डेढ़ दशकों से सत्ता में है। वहीं राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार सत्ता में अपने पाँच साल पूरी करेगी। तीनों ही राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है। वहीं तीनों राज्यों में दलित आबादी होने की वजह से बसपा कई सीटों पर चुनाव को प्रभावित कर सकती है।
कर्नाटक में कांग्रेस ने जनता दल (सेकुलर) के साथ मिलकर सरकार बना ली है और चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी को विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर कर दिया। वहीं उत्तर प्रदेश की कैराना लोक सभा उपचुनाव और नूरपुर विधान सभा उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने बीजेपी को हरा दिया। कर्नाटक में बसपा ने जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। 15 मई को जब कर्नाटक चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78, जेडीएस को 37 और बसपा को एक सीट पर जीत मिली। दो सीट अन्य को मिली। राज्य की दो सीटों पर चुनाव टाल दिये गये थे। इनमें से एक सीट पर 28 मई को चुनाव हुआ और 31 मई को नतीजा आया। आरआर नगर सीट जीतकर कांग्रेस ने अपना आंकड़ा 79 कर लिया।
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कर्नाटक में भी बसपा प्रमुख मायावती को गेमचेंजर माना गया। रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक के नतीजों के रुझान साफ होते ही मायावती ने सोनिया गांधी को फोन किया और जेडीएस को समर्थन देने का सुझाव दिया। सोनिया ने बहनजी का सुझाव मान लिया और नतीजे आने से पहले ही जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को समर्थन दे दिया। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को पहले सरकार बनाने का न्योता दिया। बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा राज्य के सीएम बने लेकिन 55 घण्टे में ही उनकी सरकार गिर गयी। येदियुरप्पा ने बहुमत परीक्षण पर मतदान से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
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2014 के लोक सभा चुनाव में बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिली थी। 2017 के यूपी विधान सभा चुनाव में भी बसपा 19 सीटों पर सिमट गयी। राजनीतिक जानकार मायावती और बसपा के भविष्य पर सवाल उठाने लगे। मायावती ने बीजेपी विरोधी गठबन्धन का पहला सफल प्रयोग यूपी की गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों के लिए हुए उपचुनाव में किया। गोरखपुर सीट यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और फूलपुर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की वजह से खाली हुई थी। दोनों ही सीटों पर बसपा ने सपा को समर्थन दिया। दोनों ही सीटें बीजेपी हार गयी।
हाल ही में कैराना और नूरपुर विधान सभा चुनाव ने भी साबित कर दिया कि जातिगत समीकरण सही रहें तो बीजेपी को हराना बहुत बड़ी बात नहीं होगी। शायद यही वजह है कि बसपा प्रमुख ने यूपी और कर्नाटक में सफलता का स्वाद चखने के बाद वही फार्मूला राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपनाने जा रही हैं।
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