कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद बीएस येदियुरप्पा के सामने सबसे बड़ी होगी ये चुनौती
By भाषा | Updated: July 26, 2019 22:33 IST2019-07-26T22:33:49+5:302019-07-26T22:33:49+5:30
येदियुरप्पा ने चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। पिछली बार वह मई 2018 विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री बने थे लेकिन वह पद पर तीन दिन ही टिक पाए क्योंकि वह विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद बीएस येदियुरप्पा के सामने सबसे बड़ी होगी ये चुनौती
कर्नाटक में जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच, भाजपा के दिग्गज नेता बी एस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। अब उनके सामने सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या जुटाने की बड़ी चुनौती है। राज्यपाल वजूभाई वाला ने राजभवन में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में 76 साल के येदियुरप्पा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। कार्यक्रम में येदियुरप्पा ने अकेले ही शपथ ली है। येदियुरप्पा ने शुक्रवार को कहा कि वह 29 जुलाई को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक विधानसभा का सत्र विश्वास प्रस्ताव पेश करने और वित्त विधेयक को पारित कराने के लिए 29 जुलाई को सुबह 10 बजे बुलाया जाएगा ।’’
राज्य में येदियुरप्पा नीत भाजपा सरकार ऐसे समय बनी है जब तीन दिन पहले, विधायकों की बगावत के बीच कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार गिर गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा विधानसभा में पेश विश्वासमत प्रस्ताव 105 के मुकाबले 99 मतों से गिर गया था। शुक्रवार की सुबह आनन-फानन में हुए घटनाक्रम में, येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मुलाकात करके सरकार का दावा पेश किया और उनसे उन्हें शुक्रवार को ही पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाने का अनुरोध किया। इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दिया। इससे एक दिन पहले, विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने कांग्रेस-जद(एस) के तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराया था जिससे नई सरकार को लेकर संदेह और बढ़ गया था। सरकार गठन को लेकर अचानक हुए घटनाक्रम के बारे में येदियुरप्पा ने शपथ ग्रहण से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं गृह मंत्री अमित शाह ने सुबह उनसे फोन पर बात की और उनसे शुक्रवार को ही शपथ के लिए तैयारी करने को कहा।
येदियुरप्पा ने चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। पिछली बार वह मई 2018 विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री बने थे लेकिन वह पद पर तीन दिन ही टिक पाए क्योंकि वह विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने से कुछ सप्ताह पहले कांग्रेस और जदएस के 15 विधायकों के इस्तीफे से राजनीतिक ड्रामा हुआ और कानूनी जंग छिड़ी। उधर, दिल्ली में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कर्नाटक में कांग्रेस..जद(एस) गठबंधन सरकार को गिराने के लिये ‘‘दल बदल को बढ़ावा देने’’ के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वहां सरकार आंतरिक कारणों से गिरी और भाजपा राज्य में स्थिर सरकार देगी। भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा की उम्र 75 वर्ष से अधिक होने से संबंधित सवालों के जवाब को हालांकि वह (नड्डा) टाल गए। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि येदियुरप्पा राज्य में भाजपा विधायक दल के नेता हैं और यह स्वाभाविक है कि वह मुख्यमंत्री पद के लिये पार्टी की पसंद बने । उन्होंने कहा कि आप देखें कि वह नेता हैं, वह विधायक दल के निर्वाचित नेता हैं और इसी के अनुरूप वह शपथ ले रहे हैं ।
उन्होंने कहा ‘‘ विपक्ष के नेता के तौर पर वह ठीक हैं लेकिन जब वह शपथ लेने जाते हैं तब उनकी उम्र की बात की जाती है...ऐसे नहीं चलता।’’ वरिष्ठ भाजपा नेताओं का मानना है कि विधानसभा में बहुमत साबित करना, कांग्रेस-जद(एस) के बागी विधायकों के इस्तीफे या उनकी संभावित अयोग्यता द्वारा खाली सीटें के उपचुनाव को जीतना और कैबिनेट गठन येदियुरप्पा के लिए कड़ी चुनौती होगी। उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा को यह सुनिश्चित करने के लिए संतुलित कदम उठाने होंगे कि पार्टी के अपने सदस्यों को नजरअंदाज नहीं किया जाए और कांग्रेस-जद(एस) के बागी विधायकों को जगह दी जाए। कांग्रेस के तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद 225 सदस्यीय विधानसभा में स्पीकर को छोड़कर वर्तमान संख्या 221 है और सरकार गठन के लिए 111 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है। स्पीकर ने अब तक 14 विधायकों के इस्तीफे और उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला नहीं किया है।