बुरे फंसे बृजभूषण शरण सिंह! दिल्ली पुलिस ने यौन उत्पीड़न मामले में किया बड़ा खुलासा

By अंजली चौहान | Published: September 24, 2023 08:58 AM2023-09-24T08:58:27+5:302023-09-24T08:59:25+5:30

दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही अदालत को बताया कि उन्होंने जब भी मौका मिला, महिला पहलवानों की "मर्यादा को ठेस पहुंचाई"।

Brij Bhushan Sharan Singh is in trouble Delhi Police made a big revelation in the sexual harassment case | बुरे फंसे बृजभूषण शरण सिंह! दिल्ली पुलिस ने यौन उत्पीड़न मामले में किया बड़ा खुलासा

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न केस में नया मोड़ आ गया है। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में बड़ा दावा करते हुए कहा, "बृजभूषण शरण सिंह को जब भी मौका मिलता था वह छेड़खानी करते थें।"

दिल्ली पुलिस ने अदालत के सामने कहा कि बृज भूषण शरण सिंह ने उन महिला पहलवानों की "लज्जा को ठेस पहुंचाई" जिन्होंने हर अवसर पर उनके खिलाफ उत्पीड़न के आरोप दायर किए।

दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि डब्ल्यूएफआई प्रमुख को पता था कि वह क्या कर रहे हैं और उनका इरादा पहलवानों की गरिमा को ठेस पहुंचाना था।

उन्होंने यह भी बताया कि शरण सिंह के खिलाफ तीन तरह के सबूत हैं जो आरोप तय करने के लिए काफी हैं. इनमें आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत धारा 161 (पुलिस द्वारा गवाहों की जांच) और 164 (मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए गए बयान) के तहत एक लिखित शिकायत और दो दर्ज किए गए बयान शामिल हैं।

अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने डब्ल्यूएफआई प्रमुख के वकील के उस तर्क का भी खंडन किया कि भारत के बाहर हुए मामलों के लिए सीआरपीसी की धारा 188 के तहत मंजूरी की आवश्यकता होती है।

अतुल श्रीवास्तव ने पहले के एक फैसले का हवाला दिया और तर्क दिया कि मंजूरी की आवश्यकता केवल तभी होगी जब सभी अपराध भारत के बाहर किए गए हों। उन्होंने कहा कि अपराध दिल्ली के साथ-साथ अन्य स्थानों पर भी हुए इसलिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।

बृजभूषण के वकील, एडवोकेट राजीव मोहन ने पहले कहा था कि दिल्ली की अदालत के पास देश के बाहर हुए अपराधों पर निर्णय लेने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, जब तक कि मंजूरी प्राप्त न हो।

श्रीवास्तव ने अदालत को यह भी बताया कि मामले के सभी गवाहों ने कहा कि सह-अभियुक्त विनोद तोमर ने बृजभूषण के कृत्यों में सहायता की और उसे बढ़ावा दिया।

डब्ल्यूएफआई के पूर्व अतिरिक्त सचिव के रूप में अपने निलंबन से पहले, तोमर ने बृज भूषण सिंह के साथ मिलकर काम किया और कुश्ती निकाय के दिन-प्रतिदिन के मामलों की देखभाल की।

मालूम हो कि दिल्ली पुलिस ने छह बार के सांसद के खिलाफ 15 जून को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप पत्र दायर किया।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने 20 जुलाई को बृज भूषण सिंह और निलंबित डब्ल्यूएफआई के अतिरिक्त सचिव विनोद तोमर को जमानत दे दी थी। 

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